पूरे करियर में सिर्फ एक ही बार चुनावी मैदान में उतरे थे मनमोहन सिंह, जानें क्या रहा नतीजा

Edited By Pardeep,Updated: 27 Dec, 2024 05:10 AM

manmohan singh contested elections only once in his entire career

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।

नेशनल डेस्कः पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 92 वर्ष की आयु में दिल्ली के एम्स में लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। देशवासियों के लिए यह समय उनके योगदान और जीवन के प्रेरक प्रसंगों को याद करने का है।

डॉ. मनमोहन सिंह, जो अपने सादगीपूर्ण और निष्ठावान जीवन के लिए जाने जाते थे, कांग्रेस पार्टी के सबसे विश्वसनीय नेताओं में से एक थे। उन्होंने अधिकांश समय राज्यसभा के माध्यम से संसद में प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, उन्होंने एक बार लोकसभा चुनाव भी लड़ा, जो उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। 

1999 का लोकसभा चुनाव: पहला और आखिरी प्रयास
डॉ. मनमोहन सिंह ने 1999 में दक्षिणी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। यह पहली और आखिरी बार था जब उन्होंने चुनावी मैदान में कदम रखा। यह चुनाव उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहा और इसके नतीजे उनकी उम्मीदों के विपरीत आए। 

चुनाव परिणाम 
1999 के लोकसभा चुनाव में डॉ. मनमोहन सिंह का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता विजय कुमार मल्होत्रा से हुआ। इस चुनाव में डॉ. सिंह को कुल 2,31,231 वोट मिले, जबकि विजय कुमार मल्होत्रा ने करीब 30,000 वोटों के अंतर से उन्हें पराजित किया।
डॉ. मनमोहन सिंह (कांग्रेस): 2,31,231 वोट
विजय कुमार मल्होत्रा (बीजेपी): जीत 

इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें से अधिकांश निर्दलीय थे। हालांकि, प्रमुख मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा। इस हार के बाद डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने से दूरी बना ली और राज्यसभा के माध्यम से सक्रिय राजनीति में योगदान दिया। 

राजनीतिक सफर का निर्णायक मोड़ 
डॉ. सिंह की चुनावी हार ने उनके राजनीतिक जीवन की दिशा बदली। हालांकि वे चुनावी राजनीति से दूर रहे, लेकिन उनकी भूमिका कांग्रेस पार्टी और सरकार के भीतर लगातार अहम रही। 2004 में वे भारत के प्रधानमंत्री बने और अगले 10 वर्षों तक इस पद पर रहकर देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 

डॉ. मनमोहन सिंह की चुनावी यात्रा और योगदान
1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले डॉ. सिंह ने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। 
वे 1991-1996 के बीच वित्त मंत्री रहे, जहां उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए उदारीकरण की नीतियां लागू कीं। 
2004-2014 के बीच उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास जैसे क्षेत्रों में बड़े बदलाव किए। 

डॉ. मनमोहन सिंह का संदेश 
1999 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी डॉ. सिंह ने यह सिद्ध कर दिया कि चुनाव परिणाम से ज्यादा महत्वपूर्ण सेवा और समर्पण है। उन्होंने अपनी विशेषज्ञता और ईमानदारी से भारत को एक नई दिशा दी। उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि राजनीतिक हार किसी व्यक्ति के मूल्यांकन का अंतिम पैमाना नहीं होती।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका सादगी भरा जीवन और देश के प्रति योगदान हमेशा याद किया जाएगा।

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