Edited By rajesh kumar,Updated: 28 Jul, 2024 08:16 PM
मनु भाकर ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य पदक के साथ पेरिस ओलंपिक में भारत का पदक के साथ खाता खोला। मेडल जीतने के बाद मनु भाकर ने कहा कि मैं गीता बहुत पढ़ती हूं और इससे मुझे बहुत मदद मिली।
नेशनल डेस्क: मनु भाकर ने महिला 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में कांस्य पदक (bronze medal) के साथ पेरिस ओलंपिक (Paris Olympics 2024) में भारत का पदक के साथ खाता खोला। इसके साथ ही भाकर (22 वर्ष) यहां 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गईं है। पेरिस ओलंपिक में देश को पहला मेडल दिलाने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला खिला़ड़ी को बधाई दी। मेडल जीतने के बाद मनु भाकर (Manu Bhaker) ने कहा कि मैं गीता बहुत पढ़ती हूं और इससे मुझे बहुत मदद मिली।
'मैं गीता बहुत पढ़ती हूं और इससे मुझे बहुत मदद मिली'
आत्मविश्वास से भरी मनु भाकर ने कांस्य पदक जीतने के बाद ‘जियो सिनेमा' से कहा, ‘‘मैंने भगवत गीता काफी पढ़ी है और वही करने की कोशिश की जो मुझे करना चाहिए था। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि तुम्हें जो करना है वो करो परिणाम की चिंता मत करो। जैसा भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं। यह मेरे दिमाग में चल रहा था, क्योंकि हम भाग्य से नहीं लड़ सकते।'' नौ बार की विश्व कप पदक विजेता ने कहा, ‘‘मैं कितना अच्छा महसूस कर रही हूं, आपको नहीं बता सकती। ''
तोक्यो के बाद मैं बहुत निराश थी- मनु भाकर
मनु भाकर ने कहा, ‘‘तोक्यो के बाद मैं बहुत निराश थी। मुझे इससे उबरने में बहुत समय लगा। '' उन्होंने कहा, ‘‘बहुत खुश हूं कि मैं कांस्य पदक (bronze medal) जीत सकी और हो सकता है कि अगली बार इसका रंग बेहतर हो।'' भाकर ने कहा, ‘‘मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। भारत को इस पदक का लंबे समय से इंतजार था। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा। '' इस पदक से पेरिस ओलंपिक में भारत का खाता खुल गया और साथ ही निशानेबाजी में 12 साल का इंतजार खत्म हुआ। पर हरियाणा के झज्जर की इस निशानेबाज के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा। तोक्यो ओलंपिक 2021 के क्वालीफिकेशन में पिस्टल की खराबी से भाकर निराश हो गई थीं। लेकिन पिछले दो दिनों में उनका प्रयास इतना शानदार रहा जिसकी एक एथलीट से उम्मीद की जाती है।
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भारत कई और पदकों का हकदार है- भाकर
अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई पदक जीतने वाली भाकर (Manu Bhaker) ने कहा, ‘‘भारत कई और पदकों का हकदार है, जितने संभव हो सके। यह अहसास बहुत शानदार है। इसके लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है।'' भाकर का फाइनल करीबी रहा क्योंकि एक समय वह रजत पदक जीतने के करीब लग रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरी शॉट में मैं अपनी पूरी ऊर्जा के साथ निशाना लगा रही थी। शायद मैं अगली स्पर्धाओं में बेहतर कर सकूं।'' भाकर ने पिछले कुछ वर्षों में मानसिक दृढ़ता पर काफी काम किया है जिसमें उनके कोच जसपाल राणा से भी काफी मदद मिली है।
शुभचिंतकों का मेरे साथ डटे रहने के लिए धन्यवाद
उन्होंने 580 अंक हासिल करने के बाद फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। भाकर (Manu Bhaker) ने कहा, ‘‘जैसे ही क्वालीफिकेशन खत्म हुआ। मुझे नहीं पता था कि आगे कैसा रहेगा। हमने बहुत मेहनत की थी। '' उन्होंने कहा, ‘‘सभी दोस्तो, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का मेरे साथ डटे रहने के लिए धन्यवाद। उन्हीं की बदौलत मैं यहां खडी हूं। आप सभी ने मेरी जिंदगी को इतना आसान बना दिया। मैं अपने कोच जसपाल सर, मेरे प्रायोजकों ओजीक्यू और मेरे कोचों का धन्यवाद देना चाहूंगी। ''