Edited By Tanuja,Updated: 25 Jan, 2025 11:24 AM
अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के शपथ ग्रहण समारोह (swearing ceremaony) में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित मौजूदगी को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया...
International Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के शपथ ग्रहण समारोह (swearing ceremaony) में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित मौजूदगी को लेकर भारत ने कड़ा रुख अपनाया है। भारत (India) ने अपनी चिंताओं को अमेरिका के सामने उठाने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत लगातार अमेरिकी सरकार से भारत विरोधी गतिविधियों पर चर्चा करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाता रहेगा।रिपोर्ट्स के अनुसार, गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gupatwant Singh Pannu) को ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 'द लिबर्टी बॉल' में खालिस्तान (Khalistan) के समर्थन में नारे लगाते हुए देखा गया। हालांकि, उसे औपचारिक रूप से समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन उसने किसी संपर्क के जरिए टिकट हासिल करने में सफलता पाई।
साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ( Randhir Jaiswal) ने दो टूक शब्दों में कहा, जब भी कोई भारत विरोधी गतिविधि होती है, हम इसे अमेरिकी सरकार के सामने उठाते हैं। हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत विरोधी एजेंडे से जुड़े मुद्दों को उठाने में भारत पीछे नहीं हटेगा।" भारत ने खालिस्तान समर्थक गतिविधियों और इस तरह के तत्वों पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका से ठोस कदम उठाने की अपील की है। भारतीय दूतावास ने भी इस मामले को लेकर औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
बता दें कि गुरपतवंत सिंह पन्नू, जिसे खालिस्तान समर्थक संगठन 'सिख्स फॉर जस्टिस' का प्रमुख माना जाता है, भारत में कई मामलों में वांछित है। वह अक्सर भारत विरोधी बयान देता रहता है और खालिस्तान आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रहता है। पन्नू की मौजूदगी भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा मानी जाती है। भारत यह मानता है कि ऐसे तत्वों को शपथ ग्रहण जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में शामिल होना आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है। भारत अमेरिकी प्रशासन से इस मामले में स्पष्ट और सख्त कार्रवाई की मांग करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका इस मामले पर क्या रुख अपनाता है, खासकर जब दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखने की कोशिश जारी है।