Edited By Mahima,Updated: 14 Nov, 2024 03:17 PM
मध्य प्रदेश ने 2022 में हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम की शुरुआत की, जिससे 30% छात्रों ने इसे चुना। अन्य राज्यों जैसे राजस्थान, बिहार और छत्तीसगढ़ ने भी इसे अपनाया। हालांकि, इस पहल के दौरान बाई-लिंगुअल टेक्स्टबुक्स और मेडिकल शब्दावली की समस्याएं आईं।...
नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश ने हाल ही में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में एक अहम कदम उठाया है, जहां इस बार 30% छात्रों ने हिंदी मीडियम में MBBS करने का विकल्प चुना है। इस पहल की शुरुआत 2022 में हुई थी, और अब यह प्रोग्राम तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। MP राज्य में सबसे अधिक छात्रों ने इस हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम को अपनाया है, वहीं राजस्थान, बिहार, और छत्तीसगढ़ जैसे अन्य राज्यों ने भी इसे फॉलो करना शुरू कर दिया है।
हिंदी मीडियम MBBS की शुरुआत
मध्य प्रदेश में हिंदी मीडियम MBBS की शुरुआत का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों और हिंदी बोलने वाले छात्रों को मेडिकल शिक्षा में आसान पहुंच प्रदान करना था। पहले इस क्षेत्र में शिक्षा का मुख्य माध्यम अंग्रेजी था, जिससे हिंदी बोलने वाले छात्रों को काफी कठिनाई होती थी। इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने 2022 में हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम की शुरुआत की, जिससे अब छात्रों को मेडिकल करिकुलम को अपनी मातृभाषा में समझने का मौका मिल रहा है।
MP में हिंदी मीडियम में MBBS
MP के ग्वालियर स्थित गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (GRMC) में इस प्रोग्राम की शुरुआत 2022 में हुई थी। डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ के अनुसार, इस पहल के बाद से हिंदी मीडियम से आने वाले छात्रों में एक नई उम्मीद जगी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी मीडियम स्कूलों से आने वाले छात्रों में से केवल 30-40% ने इस विकल्प को चुना है। ग्वालियर में इस पहल को लेकर छात्रों का उत्साह देखा गया है, लेकिन एक ही बार में इस प्रोग्राम को पूरी तरह से लागू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। अब मध्य प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम को अपनाया जा रहा है।
शुरू में आईं कठिनाइयां
इस प्रोग्राम को लागू करने में मध्य प्रदेश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। सबसे बड़ी समस्या बाइलिंगुअल (दो भाषाओं में) मेडिकल टेक्स्टबुक्स तैयार करने की थी, क्योंकि मेडिकल शिक्षा में इस्तेमाल होने वाली तकनीकी शब्दावली को हिंदी में लाना एक बड़ा कार्य था। अक्टूबर 2022 में, MP ने पहले साल के मेडिकल छात्रों के लिए तीन महत्वपूर्ण विषयों—एनाटॉमी, बायोकेमिस्ट्री और फिजियोलॉजी—की टेक्स्टबुक्स का हिंदी में अनुवाद किया था। यह कदम बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि छात्रों को इन किताबों का हिंदी में मिलना उनके लिए मेडिकल शिक्षा को समझने में सहायक साबित हुआ। फिलहाल, केवल पहले और दूसरे साल के छात्रों के पास हिंदी में मेडिकल टेक्स्टबुक्स उपलब्ध हैं, जबकि अन्य किताबों के हिंदी अनुवाद का काम चल रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल को इन टेक्स्टबुक्स के अनुवाद का कार्य सौंपा है, और अधिकारियों का मानना है कि जल्द ही अन्य विषयों की हिंदी किताबें भी तैयार हो जाएंगी।
हिंदी मीडियम MBBS के पक्ष और विपक्ष में बहस
MP के इस पहल ने देशभर में कई विशेषज्ञों और शैक्षिक संस्थाओं के बीच बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां कुछ विशेषज्ञ इस कदम को सकारात्मक मानते हुए इसे हिंदी भाषी छात्रों के लिए एक बड़ी राहत मानते हैं, वहीं कुछ का कहना है कि मेडिकल जैसे तकनीकी क्षेत्र में अंग्रेजी का महत्व और अधिक है, क्योंकि अधिकांश वैज्ञानिक और चिकित्सा संबंधित शोध, लेखन, और संवाद अंग्रेजी में होते हैं। मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (DME) के एक अधिकारी के अनुसार, "हिंदी मीडियम में पूरी मेडिकल करिकुलम को पढ़ाना पूरी तरह से प्रैक्टिकल नहीं है। छात्रों को कई बार पारंपरिक हिंदी शब्दों जैसे 'अस्थि' (Bone) और 'अमाशय' (Stomach) की जगह अंग्रेजी शब्दों से अधिक परिचित होते हैं, और वे 'हिंग्लिश' (हिंदी और अंग्रेजी का मिश्रण) को अधिक पसंद करते हैं।" हालांकि, अधिकारियों का यह भी कहना है कि हिंदी मीडियम वाले छात्रों को इस नई प्रणाली से काफी मदद मिल रही है, और उनका कहना है कि अब वे पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं।
हिंदी मीडियम MBBS की बढ़ती लोकप्रियता
हाल के वर्षों में हिंदी मीडियम में MBBS की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। राजस्थान, बिहार, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य भी अब हिंदी मीडियम मेडिकल शिक्षा को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 16 अक्टूबर 2022 को भोपाल में इस पहल का शुभारंभ किया था। उन्होंने इस कदम को भारतीय भाषाओं में शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि यह कदम ग्रामीण और हिंदी बोलने वाले छात्रों के लिए मेडिकल शिक्षा को अधिक सुलभ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
भविष्य में क्या?
हालांकि, यह प्रोग्राम अभी शुरुआती दौर में है और इसके आगे के विस्तार के लिए कई चुनौतियां सामने हैं, लेकिन इस पहल के माध्यम से हिंदी मीडियम छात्रों को एक नया अवसर मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस प्रोग्राम का सही तरीके से विकास हुआ, तो यह भविष्य में और भी अधिक राज्यों में लागू हो सकता है। हिंदी मीडियम MBBS प्रोग्राम की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से अन्य मेडिकल कॉलेजों में लागू होता है, और क्या इससे छात्र चिकित्सा शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को अच्छी तरह समझ पाते हैं।