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मोदी और ट्रंप की मुलाकात के दौरान चीन के संदर्भ में हुई चर्चा, बीजिंग का विरोध तेज!

Edited By Mahima,Updated: 15 Feb, 2025 10:05 AM

meeting between modi and trump discussion took place in the context of china

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात में चीन का नाम लिया गया, जिससे बीजिंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी। दोनों देशों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि बढ़ाने की दिशा में अपने रिश्तों को मजबूत करने पर जोर दिया। ट्रंप...

नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12-13 फरवरी को अमेरिका के दौरे पर थे, जहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कई अहम मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता की। इस बैठक में चीन का नाम भी आया, जिससे बीजिंग की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। मोदी और ट्रंप के बीच ये मुलाकात वाशिंगटन में हुई थी, और इस दौरान दोनों देशों ने अपने रिश्तों को और मजबूती देने के लिए कई अहम पहलुओं पर चर्चा की।

भारत और अमेरिका के रिश्तों में एक नया मोड़
भारत और अमेरिका के रिश्तों में अब एक नया मोड़ आया है। मोदी और ट्रंप की मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की। दोनों देशों ने अपने रिश्तों को और मजबूत करने के लिए कई फैसले लिए और इस दौरान भारत-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया। दोनों नेताओं ने कहा कि अमेरिकी-भारतीय साझेदारी एक स्वतंत्र, खुले, और शांतिपूर्ण भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। इस बैठक के बाद, दोनों नेताओं ने क्वाड साझेदारी को और मजबूत करने का निर्णय लिया।

क्वाड (क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग) में अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देना है। हालांकि, इस मुलाकात में चीन का भी जिक्र हुआ, जिसके बाद बीजिंग ने तीखी प्रतिक्रिया दी। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि किसी को भी अपने द्विपक्षीय रिश्तों में तीसरे देशों को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और न ही गुटबाजी को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि देशों के सहयोग से किसी अन्य देश के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए और यह सहयोग क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए होना चाहिए।

ट्रंप ने मुलाकात के दौरान चीन को लेकर दिए अहम बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुलाकात के दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए चीन को लेकर कुछ अहम बयान दिए। इंडिया टुडे द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि "हम किसी को भी मात दे सकते हैं, लेकिन हमारा इरादा किसी को मात देने का नहीं है। हम सही दिशा में काम कर रहे हैं और हम अच्छा काम कर रहे हैं।" ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले भी चार सालों तक बेहतरीन काम किया था, लेकिन अब एक बार फिर वह एक मजबूत सरकार के तहत काम कर रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि चीन एक महत्वपूर्ण देश है और उनके साथ अमेरिका के रिश्ते बहुत अच्छे थे। कोविड-19 से पहले राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनके अच्छे संबंध थे, लेकिन अब वह उम्मीद करते हैं कि चीन भी क्षेत्रीय मामलों में अमेरिका के साथ मिलकर काम करेगा। 

चीन एक बड़ा खिलाड़ी है
ट्रंप ने कहा कि "चीन एक बड़ा खिलाड़ी है और वे यूक्रेन और रूस के बीच युद्धविराम में मदद कर सकते हैं।" ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि चीन को लेकर उनका दृष्टिकोण सकारात्मक था और वह मानते थे कि दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, उन्होंने भारत-चीन सीमा पर हो रही झड़पों का भी जिक्र किया और कहा कि यदि वह मदद कर सकते हैं तो यह उनके लिए खुशी की बात होगी।

भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव
भारत और चीन के बीच सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है। हाल ही में, दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़पें भी हुई थीं। इस मामले में, ट्रंप ने कहा कि "मैं भारत को देखता हूं, मैं सीमा पर झड़पों को देखता हूं जो बहुत क्रूर हैं। अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मुझे मदद करना अच्छा लगेगा।" उनका यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका भारत की सुरक्षा चिंताओं को समझता है और इस विवाद के समाधान के लिए अमेरिका हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि चीन, भारत, रूस और अमेरिका मिलकर इस मुद्दे पर काम कर सकते हैं और यह जरूरी है कि सभी देश एक साथ मिलकर शांति और सहयोग की दिशा में कदम बढ़ाएं।

चीन चाहता है कि देशों के बीच संबंधों में कोई भी तीसरा पक्ष न आए
चीन की ओर से इस बैठक पर तीखी प्रतिक्रिया आई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि "किसी को भी देशों के रिश्तों और सहयोग में चीन को मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और न ही गुटबाजी को बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चीन चाहता है कि देशों के बीच संबंधों में कोई भी तीसरा पक्ष न आए और किसी का भी हित नुकसान में न पड़े। चीन ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग पर विचार करना समझ में आता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि किसी अन्य देश को निशाना बनाया जाए। गुओ जियाकुन ने जोर दिया कि क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को बनाए रखने के लिए देशों के बीच सहयोग सकारात्मक दिशा में होना चाहिए।
 

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