Edited By Utsav Singh,Updated: 13 Oct, 2024 07:17 PM
स्पेसएक्स ने हाल ही में स्टारशिप की नवीनतम परीक्षण उड़ान का शुभारंभ किया है। यह रॉकेट प्रणाली अब तक की सबसे शक्तिशाली है, और इसका उद्देश्य भविष्य में मानवों को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर ले जाने में मदद करना है। स्टारशिप का यह परीक्षण कई महत्वपूर्ण...
नेशनल डेस्क : स्पेसएक्स ने हाल ही में स्टारशिप की नवीनतम परीक्षण उड़ान का शुभारंभ किया है। यह रॉकेट प्रणाली अब तक की सबसे शक्तिशाली है, और इसका उद्देश्य भविष्य में मानवों को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर ले जाने में मदद करना है। स्टारशिप का यह परीक्षण कई महत्वपूर्ण तकनीकी पहलुओं का परीक्षण करने के लिए आयोजित किया गया है। इसमें रॉकेट के अलग-अलग हिस्सों के प्रदर्शन, उनकी पुनर्प्राप्ति क्षमता और विभिन्न लैंडिंग तकनीकों का प्रयोग शामिल है। अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो इससे अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक नया अध्याय खुल सकता है। स्पेसएक्स की योजना है कि स्टारशिप का इस्तेमाल न केवल चंद्रमा पर, बल्कि भविष्य में मंगल ग्रह पर भी मानव मिशनों के लिए किया जाए।
लॉन्च की जानकारी
- तारीख और समय: यह उड़ान सुबह 8:25 बजे ईटी (सुबह 7:25 बजे सीटी) पर शुरू हुई।
- स्थान: टेक्सास के बोका चिका में स्पेसएक्स की स्टारबेस सुविधा से लॉन्च किया गया।
- लॉन्च विंडो: यह लॉन्च 30 मिनट की विंडो में किया गया, जो सुबह 8 बजे ईटी पर खुली थी।
सुपर हैवी बूस्टर का प्रदर्शन
इस परीक्षण में 232-फुट ऊँचा सुपर हैवी रॉकेट बूस्टर शामिल था, जिसका लक्ष्य एक विशाल लैंडिंग संरचना में सुरक्षित रूप से लौटना था। बूस्टर ने अपने अधिकांश ईंधन को जलाने के बाद ऊपरी स्टारशिप अंतरिक्ष यान से अलग होकर अपनी यात्रा जारी रखी। इस प्रक्रिया के दौरान, बूस्टर को "चॉपस्टिक्स" नामक तकनीक से हवा में पकड़ने का प्रयास किया गया, जिससे इसकी सुरक्षित लैंडिंग की योजना को और भी सटीक बनाया जा सके।
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"चॉपस्टिक्स" तकनीक
स्पेसएक्स ने बूस्टर को हवा में पकड़ने के लिए धातु के दो पिंसर्स का उपयोग किया, जिन्हें "चॉपस्टिक्स" कहा जाता है। ये पिंसर्स बूस्टर को लैंडिंग के समय पकड़ने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, स्टारशिप अपने छह ऑनबोर्ड इंजनों का उपयोग करते हुए अपनी उड़ान जारी रखती रही। यह एक महत्वाकांक्षी मिशन है, जिसमें दोनों वाहनों के पुनः उपयोग की संभावना का परीक्षण किया जा रहा है।
पुनर्प्राप्ति की योजना
स्पेसएक्स का मुख्य लक्ष्य सुपर हैवी बूस्टर और स्टारशिप के पुर्जों को तेजी से पुनः प्राप्त करना है। यह रणनीति अंतरिक्ष यान की विकास प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे मिशनों के बीच समय में कमी आएगी और लागत भी घटेगी। तेजी से पुनः उपयोग करने की क्षमता स्पेसएक्स को भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए अधिक प्रभावी और किफायती बनाने में मदद करेगी। इससे पृथ्वी की कक्षा और गहरे अंतरिक्ष में कार्गो या मानव यातायात की लागत को काफी कम करने की संभावना है।
नासा के साथ सहयोग
स्पेसएक्स ने नासा के आर्टेमिस III मिशन के तहत 2026 तक चंद्र सतह पर मानव भेजने के लिए स्टारशिप कैप्सूल को विकसित किया है। इसके लिए कंपनी के पास लगभग 4 बिलियन डॉलर के सरकारी अनुबंध हैं, जो इस महत्वाकांक्षी परियोजना को समर्थन देते हैं। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर मानवों को फिर से भेजना है, जो कि अपोलो कार्यक्रम के बाद से पहली बार होगा।
विकास का इतिहास
स्टारशिप का विकास 2019 में "स्टारहॉपर" नामक वाहन के संक्षिप्त परीक्षणों से शुरू हुआ। इस प्रारंभिक चरण में, "स्टारहॉपर" ने केवल कुछ इंच ऊँचा उड़ान भरी। इसके बाद, स्पेसएक्स ने पूर्ण रूप से स्टैक किए गए स्टारशिप कैप्सूल और सुपर हैवी बूस्टर के अधिक साहसी और जटिल लॉन्च की दिशा में कदम बढ़ाना शुरू किया। यह कदम अंतरिक्ष उड़ान की क्षमताओं को और विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण था।
पिछली उड़ानें
- पहला परीक्षण लॉन्च: अप्रैल 2023 में हुआ, जिसका उद्देश्य वाहन को लॉन्चपैड से उतारना था।
- चुनौतियाँ: पहले परीक्षणों में विफलताओं ने डिज़ाइन में तेज़ी से बदलाव करने में मदद की है।
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तकनीकी नवाचार
स्पेसएक्स ने सुपर हैवी बूस्टर की वापसी को सुगम बनाने के लिए "मेकाज़िला" नामक एक विशेष टावर विकसित किया है। यह टावर बूस्टर की लैंडिंग में सहायता करेगा और पुनर्प्राप्ति प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने में मदद करेगा। "मेकाज़िला" की बड़ी धातु की भुजाएँ, जिन्हें "चॉपस्टिक्स" कहा जाता है, बूस्टर को सुरक्षित रूप से पकड़ने और उसे वापस लैंडिंग साइट पर रखने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इस प्रणाली का उद्देश्य लॉन्च के बाद बूस्टर को जल्दी से पुनः उपयोग में लाना है।
एलन मस्क का दृष्टिकोण
एलन मस्क का मानना है कि चॉपस्टिक्स तकनीक रॉकेट को वापस लौटने के कुछ ही मिनटों में लॉन्चपैड पर सुरक्षित रूप से स्थापित करने में सक्षम होगी। यह एक साहसिक दृष्टिकोण है, जो भौतिकी के नियमों के अनुरूप है। मस्क का कहना है कि यह प्रणाली रॉकेट की पुनः उपयोगिता को बढ़ाएगी, जिससे स्पेसएक्स भविष्य में तेजी से और अधिक लागत-कुशल उड़ानें कर सकेगा।
सुरक्षा और तकनीकी चुनौतियाँ
जून में हुई पिछली परीक्षण उड़ान के दौरान, स्टारशिप को हीट शील्ड टाइल्स के नुकसान का सामना करना पड़ा, जिससे सॉफ्ट लैंडिंग में कठिनाई आई। इस समस्या को सुधारने के लिए स्पेसएक्स ने अपने हीटशील्ड को नई तकनीक से अपडेट करने में 12,000 घंटे से अधिक समय बिताया। यह सुधार स्टारशिप को पुनः प्रवेश के दौरान उच्च तापमान से बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा।
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भविष्य की संभावनाएँ
अगर यह परीक्षण सफल होता है, तो स्पेसएक्स को अधिक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिलेगा। इनमें एक महत्वपूर्ण पहलू कक्षा में तैनात स्टारशिप में ईंधन भरने की प्रक्रिया होगी। यह तकनीक स्टारशिप को चंद्रमा और मंगल जैसे दूरस्थ स्थानों पर यात्रा करने के लिए आवश्यक प्रणोदक प्रदान करेगी, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण में नई संभावनाएं खुलेंगी।
नासा की चंद्रमा योजना
नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम चंद्रमा पर पहली मानवयुक्त लैंडिंग कराने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखता है। यह कार्यक्रम मानवता को चंद्रमा पर वापस लाने के साथ-साथ मंगल ग्रह पर भविष्य के मिशनों के लिए रास्ता तैयार करने की योजना बना रहा है। हालांकि, स्पेसएक्स के विकास की समय-सीमा इस लक्ष्य को प्रभावित कर सकती है। यदि स्पेसएक्स की स्टारशिप उड़ानें सफल होती हैं, तो इससे न केवल कंपनी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का मौका मिलेगा, बल्कि यह नासा के चंद्रमा मिशनों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण में मील का पत्थर
स्टारशिप की उड़ानें अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं। सफल परीक्षणों के बाद, स्पेसएक्स भविष्य में और अधिक महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकता है, जो मानवता के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।