दिल्ली में पहली बार बातचीत करेंगे मेइती और कुकी समुदाय, मणिपुर हिंसा के बाद शांति की कोशिश

Edited By Mahima,Updated: 15 Oct, 2024 03:05 PM

meitei and kuki communities to hold talks for the first time in delhi

दिल्ली में मेइती और कुकी समुदायों के बीच पहली बार बातचीत हो रही है, जो मणिपुर में पिछले 17 महीनों से चल रहे जातीय संघर्ष के बाद हो रही है। गृह मंत्रालय की इस बैठक का उद्देश्य मतभेदों को दूर करना और शांति बहाली के प्रयास करना है। गृह मंत्री अमित शाह...

नेशनल डेस्क: मणिपुर में पिछले 17 महीनों से चल रहे जातीय संघर्ष के बीच, मेइती और कुकी समुदायों के बीच पहली बार बातचीत करने की तैयारी हो रही है। दिल्ली में होने वाली इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन गृह मंत्रालय ने किया है, जिसका उद्देश्य दोनों समुदायों के बीच मतभेदों को दूर करना और शांति बहाली के प्रयास करना है।

क्या है बैठक का उद्देश्य
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक मेइती, कुकी और नगा समुदायों के विधायकों और मंत्रियों के बीच होगी। मेइती समुदाय का प्रतिनिधित्व विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह और विधायक थोंगम बिस्वजीत सिंह करेंगे, जबकि कुकी समुदाय की ओर से राज्य मंत्रियों लेतपाओ हाओकिप और नेमचा किपगेन शामिल होंगे। नगा समुदाय का प्रतिनिधित्व विधायक राम मुइवा, अवांगबो न्यूमई और एल. दिखो करेंगे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मेइती और कुकी समुदायों के बीच संवाद स्थापित करना और संघर्ष का समाधान खोजना है।

गृह मंत्री की टिप्पणियाँ
गृह मंत्री अमित शाह और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। हालांकि, अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि मणिपुर में स्थिति को सामान्य करने के लिए कुकी और मेइती समुदायों के बीच बातचीत आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय जल्द ही दोनों समूहों के नेताओं के साथ चर्चा करेगा, जिससे संघर्ष को सुलझाने का प्रयास किया जा सके। 17 जून को मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए शाह ने कहा था कि जातीय संघर्ष को हल करने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने गृह मंत्रालय की योजना का भी उल्लेख किया कि दोनों समूहों के बीच बातचीत हो, ताकि जातीय विभाजन को समाप्त किया जा सके।

मणिपुर में जातीय हिंसा की पृष्ठभूमि
मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत पिछले साल तीन मई को हुई, जब मेइती समुदाय ने अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग की। इस मांग के विरोध में कुकी समुदाय ने जनजातीय एकता मार्च निकाला। इसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़क गई, जिसमें अब तक 220 से अधिक लोग और सुरक्षाकर्मी अपनी जान गंवा चुके हैं। हिंसा के दौरान, कुकी और मेइती समुदायों के बीच टकराव हुआ, और यह स्थिति लगातार बढ़ती गई। मणिपुर में हो रही हिंसा से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं, और इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार को कई बार कदम उठाने पड़े हैं।

अलग प्रशासन की मांग
कुकी समुदाय के विधायकों ने मणिपुर में जनजातीय लोगों के लिए अलग प्रशासन या केंद्र शासित प्रदेश की मांग की है। इन 10 विधायकों में लेतपाओ हाओकिप और नेमचा किपगेन भी शामिल हैं, जो मणिपुर में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री हैं। हालांकि, भाजपा के सात विधायकों सहित दस कुकी विधायकों ने पिछले कुछ विधानसभा सत्रों में भाग नहीं लिया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। कुकी समुदाय का कहना है कि उन्हें अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक अलग प्रशासन की आवश्यकता है।

बैठक की प्रक्रिया
इस बैठक में भाग लेने वाले सभी नगा, कुकी और मेइती विधायकों एवं मंत्रियों को गृह मंत्रालय द्वारा पत्रों और टेलीफोन कॉल के माध्यम से आमंत्रित किया गया है। इस प्रयास से उम्मीद की जा रही है कि सभी समुदाय एक साथ मिलकर समस्याओं का समाधान निकाल सकेंगे और मणिपुर में शांति स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगे। दिल्ली में होने वाली यह बैठक मणिपुर में शांति बहाली के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सभी समुदायों के प्रतिनिधियों के बीच संवाद से यह उम्मीद है कि वे अपने मतभेदों को दूर कर सकेंगे और मणिपुर में फिर से शांति स्थापित करने में मदद कर सकेंगे। यह बैठक न केवल वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में ऐसे संघर्षों को रोकने के लिए भी आवश्यक है। 

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