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महाकुंभ में महाचमत्कार, 15 साल बाद लौटी याददाश्त, परिवार में खुशी की लहर

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 11 Feb, 2025 07:13 PM

memory returned after 15 years wave of happiness in the family

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ ने एक परिवार को 15 साल बाद मिलवा दिया, जिनका मुखिया अचानक लापता हो गया था। यह कहानी है प्रकाश महतो की, जो झारखंड के कोडरमा जिले के रहने वाले हैं। 15 वर्षों बाद महाकुंभ का नाम सुनते ही उनकी याददाश्त वापस...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ ने एक परिवार को 15 साल बाद मिलवा दिया, जिनका मुखिया अचानक लापता हो गया था। यह कहानी है प्रकाश महतो की, जो झारखंड के कोडरमा जिले के रहने वाले हैं। 15 वर्षों बाद महाकुंभ का नाम सुनते ही उनकी याददाश्त वापस लौटी और वह अपने परिवार से जुड़ पाए। इस चमत्कारी मिलन ने परिवार के सभी सदस्य को भावुक कर दिया और खुशी के आंसू छलक पड़े। सभी लोग मान रहे है कि महाकुंभ में यह किसी महाचमत्कार से कम नहीं है।

प्रकाश महतो का अचानक लापता होना

प्रकाश महतो, जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता नगर निगम में काम करते थे, 9 मई 2010 को अचानक लापता हो गए थे। उस दिन वह अपने ड्यूटी पर जा रहे थे, लेकिन किसी कारणवश घर लौटने का रास्ता भूल गए थे। परिवार और पुलिस ने उन्हें ढूंढ़ने के लिए बहुत प्रयास किए, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। प्रकाश की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं थी, जिससे उनका अपने घर का रास्ता भूल जाना और घर वापस लौटने में असमर्थ हो जाना स्वाभाविक हो गया था।

पश्चिम बंगाल में काम करने का अनुभव

प्रकाश महतो को पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक होटल मालिक, सुमित साव, ने अपने होटल में काम पर रखा था। होटल में काम करते समय सुमित साव उन्हें ‘पहलवान’ नाम से पुकारते थे। एक दिन होटल में महाकुंभ के बारे में चर्चा हो रही थी, और अचानक प्रकाश महतो ने यह कह दिया कि वह कुंभ में जाना चाहते हैं, क्योंकि उनका घर भी उसी रास्ते पर है। यह सुनकर होटल मालिक सुमित साव को शक हुआ और उन्होंने प्रकाश से उनके घर और परिवार के बारे में और जानकारी ली। सुमित ने इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए कोडरमा पुलिस से संपर्क किया।

प्रकाश की पहचान और परिवार से मिलन

कोडरमा पुलिस ने प्रकाश की पहचान की पुष्टि की, और इसके बाद उन्होंने मरकच्चो थाना को सूचित किया। जैसे ही यह सूचना प्रकाश के परिवार को मिली, वह खुशी के साथ रानीगंज पहुंचे। अपने पति और पिता को सामने देखकर उनकी पत्नी गीता देवी और बच्चों के आंखों में खुशी के आंसू थे। गीता देवी ने सालों तक अपने बच्चों की परवरिश मजदूरी करके की थी, क्योंकि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि प्रकाश कभी वापस लौटेंगे। परिवार ने तो यह तक सोच लिया था कि प्रकाश अब मृत हो चुके हैं और उन्होंने उनकी मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी कर दिया था।

शानदार मिलन और उत्सव का माहौल

प्रकाश महतो के परिवार के लिए यह एक चमत्कारी पल था। जिन बच्चों ने अपने पिता को केवल तस्वीरों में देखा था, आज उन्हें अपने पिता को गले लगाकर रोने का मौका मिला। प्रकाश के चचेरे भाई कार्तिक वर्मा, जो पेशे से शिक्षक हैं, ने कहा कि यह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है। प्रकाश होटल के परिवार का भी हिस्सा बन चुके थे, और होटल मालिक और उनके परिवार के सदस्य भी इस मिलन से बहुत भावुक हो गए थे। अब यह परिवार महाकुंभ में गंगा स्नान करने जाने का मन बना रहा है, और यह एक अद्भुत पल होगा जब एक बिछड़ा व्यक्ति अपने परिवार से फिर से जुड़ा। महाकुंभ अब केवल आस्था का पर्व नहीं, बल्कि मिलन और चमत्कारों का प्रतीक बन चुका है।

 

 

 

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