Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 10 Jan, 2025 01:20 PM
अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इस दौरान राजनीतिक दलों के बीच एक खास कारण से नामांकन की संख्या कम रहने की संभावना है।
नेशनल डेस्क: अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इस दौरान राजनीतिक दलों के बीच एक खास कारण से नामांकन की संख्या कम रहने की संभावना है। यह कारण है खरमास, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक धार्मिक अवध है, जिसमें शुभ कार्यों की शुरुआत नहीं की जाती। इसी वजह से प्रत्याशी 14 जनवरी के बाद ही पर्चा भरेंगे, इसको लेकर राजनीतिक दलों में असमंजस की स्थिति बन रही है।
जानें खरमास का असर क्यों?
मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर नामांकन की प्रक्रिया 10 जनवरी से शुरू हो गई, लेकिन अधिकांश प्रत्याशी 14 जनवरी के बाद ही पर्चा भरने के लिए तैयार हैं। हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व होता है और इस दौरान कोई भी नया कार्य या चुनावी गतिविधि शुभ नहीं मानी जाती। ऐसे में राजनीतिक दलों का मानना है कि 14 जनवरी तक नामांकन में ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई देगी।
मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच
मिल्कीपुर उपचुनाव में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच होने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि, बीजेपी की तरफ से अभी तक इस सीट के लिए उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया गया है, जबकि समाजवादी पार्टी ने अयोध्या सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। इस चुनावी घमासान में कांग्रेस ने सपा को समर्थन देने का फैसला किया है, और पार्टी की तरफ से कोई उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारा जाएगा।
बसपा और अन्य दलों का रुख
बसपा की ओर से पहले मिल्कीपुर सीट पर रामसागर कोरी को प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया गया था, लेकिन अब तक बसपा की ओर से इस सीट पर चुनाव लड़ने को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। इसके अलावा, आजाद समाज पार्टी द्वारा भी प्रत्याशी उतारे जाने की संभावना है, हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
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चुनावी माहौल और प्रत्याशियों की तैयारी
चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर उपचुनाव के लिए तारीखों का ऐलान पहले ही कर दिया था, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि खरमास के चलते उम्मीदवारों को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा। 14 जनवरी के बाद ही प्रमुख दलों की तरफ से नामांकन में तेजी देखने को मिल सकती है।