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मिशनरियों का मिशन मुस्लिम: इस्लाम छोड़ने पर 20 हजार तो शादी पर 15 हजार...रेट तय

Edited By Harman Kaur,Updated: 05 Mar, 2025 11:54 AM

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उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ईसाई और मुस्लिम समुदाय के बीच अब एक-दूसरे के धर्म को बदलवाने की होड़ लग गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईसाई मिशनरी अब मुस्लिमों को धर्मांतरण के लिए पैसे का लालच दे रही हैं। इसके...

नेशनल डेस्क: उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में धर्मांतरण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ईसाई और मुस्लिम समुदाय के बीच अब एक-दूसरे के धर्म को बदलवाने की होड़ लग गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईसाई मिशनरी अब मुस्लिमों को धर्मांतरण के लिए पैसे का लालच दे रही हैं। इसके चलते कई मुस्लिम परिवारों ने अपना धर्म बदलकर ईसाई धर्म को अपनाया है।
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धर्मांतरण के लिए कैसे दिया जा रहा है लालच?
अगर कोई मुस्लिम परिवार अपना धर्म बदलकर ईसाई धर्म अपनाता है, तो उसे मिशनरी एजेंट से 20,000 रुपए मिलते हैं। वहीं, अगर कोई मुस्लिम लड़की अपना धर्म बदलकर शादी करती है, तो उसे 15,000 रुपए का बोनस भी मिलता है। इस प्रकार के मामलों ने उत्तर प्रदेश के कई जिलों में जड़ें जमा ली हैं और लोग इन लालचों में आकर अपना धर्म बदल रहे हैं।

धर्मांतरण के बाद मुस्लिम परिवारों की स्थिति
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि कुछ मुस्लिम परिवार अब जुमे की नमाज नहीं पढ़ते और उनके बच्चे मदरसों की जगह अब कान्वेंट स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं, महिलाएं मिशनरी संस्थाओं से जुड़कर पैसे कमा रही हैं।

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संवेदनशील जिलों में पुलिस की कड़ी निगरानी
नेपाल सीमा से सटे जिलों जैसे श्रावस्ती, बहराइच, बलरामपुर और गोंडा में धर्मांतरण के मामले अधिक बढ़ रहे हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को इन मामलों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। आईजी अमित पाठक ने इन जिलों के एसपी को धर्मांतरण के मामलों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

इस जिले से सामने आया था पहला मामला 
आईबी के पूर्व अधिकारी सतीश सिंह के मुताबिक, मुस्लिम परिवारों का धर्मांतरण सबसे पहले पीलीभीत में 2020 में सामने आया था। इसके बाद गोरखपुर मंडल के महाराजगंज और बस्ती मंडल के सिद्धार्थनगर में भी कई मुस्लिम परिवारों ने ईसाई धर्म स्वीकार किया। हालांकि, इन परिवारों ने अपना नाम नहीं बदला।
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इन जिलों में बढ़े मामले
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हाल ही में ऐसे मामले सामने आए हैं। फरवरी 2025 में, सीतापुर के हरगांव और सिधौली इलाकों में 6 मुस्लिम परिवारों ने ईसाई धर्म अपनाया। इसके अलावा, अंबेडकरनगर और सुल्तानपुर में भी 10 मुस्लिम परिवारों ने धर्मांतरण किया। इन परिवारों के लोग अब दाढ़ी नहीं रखते और अपने घरों में ईसा मसीह की तस्वीरें लगा रहे हैं।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई
पुलिस और खुफिया विभाग इसे गंभीरता से ले रहे हैं। हाल ही में श्रावस्ती में एक प्रार्थना सभा के दौरान एजेंट भाग गया, जिसके बाद पुलिस ने जांच तेज कर दी है। सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन मिशनरियां गरीब और अशिक्षित लोगों का फायदा उठाकर अपना नेटवर्क फैलाती जा रही हैं। धर्मांतरण की इस स्थिति को लेकर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं और इस पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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धर्मांतरण में सक्रिय टीमों का नेटवर्क
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि मिशनरी संगठन हवाला के जरिए बड़ी रकम भेज रहे हैं। इन मिशनरी संगठनों को चर्चों और बड़े स्कूलों से भी फंड मिल रहे हैं, जो इन एजेंटों को ग्रामीण इलाकों में सक्रिय कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में धर्मांतरण के लिए टीमों का गठन किया गया है। प्रयागराज में 443 टीमों, महराजगंज में 398, बहराइच में 378, श्रावस्ती में 320 और बलरामपुर में 330 टीमों की सक्रियता सामने आई है। इसके अलावा, अयोध्या में भी 333 टीमों का नेटवर्क काम कर रहा है।

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