Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 17 Feb, 2025 04:15 PM
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बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के सिकटा विधानसभा क्षेत्र में एक सम्मान समारोह के दौरान जेडीयू नेता और पूर्व मंत्री खुर्शीद आलम ने ऐसा अनोखा तरीका अपनाया, जो सभी को हैरान कर गया। इस समारोह में उनके द्वारा हाथ में चप्पलों की माला दिखाने के बाद वहां मौजूद...
नेशनल डेस्क: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के सिकटा विधानसभा क्षेत्र में एक सम्मान समारोह के दौरान जेडीयू नेता और पूर्व मंत्री खुर्शीद आलम ने ऐसा अनोखा तरीका अपनाया, जो सभी को हैरान कर गया। इस समारोह में उनके द्वारा हाथ में चप्पलों की माला दिखाने के बाद वहां मौजूद लोग दंग रह गए। यह न केवल एक दिलचस्प राजनीतिक नज़ारा था, बल्कि जनता के बीच उनके काम की पारदर्शिता और जवाबदेही की एक मिसाल भी बन गई। यह वाकया बैशाखवा के एक स्कूल में आयोजित सम्मान समारोह का है, जहां खुर्शीद आलम बाइक रैली के साथ पहुंचे थे। जब वह मंच पर पहुंचे तो उनके हाथ में चप्पलों की माला थी। उन्होंने खुद को जनता के सामने परखने के लिए एक बेहद नाटकीय तरीका अपनाया। उन्होंने कहा कि यदि उनके पिछले 10 वर्षों के काम से लोग संतुष्ट नहीं हैं, तो उन्हें चप्पलों से तौला जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उनके काम में कोई कमी हो, तो वे चप्पल पहनने के लिए तैयार हैं।
यह बयान पूरी तरह से एक सियासी बयान था, जिसमें उन्होंने खुद को जनता के सामने पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया। खुर्शीद आलम ने अपने विधानसभा क्षेत्र सिकटा के लिए 10 साल तक काम किया है, जिसमें पांच साल विधायक और पांच साल मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाई। उनके इस बयान का उद्देश्य यह था कि यदि उनका काम जनता को अच्छा नहीं लगा, तो वे खुद पर कोई कड़ी कार्रवाई करने के लिए तैयार हैं।
सिक्कों से तौलकर सम्मानित किया गया
खुर्शीद आलम की अपील के बाद, उनके समर्थकों ने एक अनोखा कदम उठाया। उन्होंने खुर्शीद आलम को एक क्विंटल सात किलो सिक्कों से तौला और इस तरह उनका सम्मान किया। यह एक प्रतीकात्मक कदम था, जिसमें यह दिखाया गया कि जनता उनके काम से संतुष्ट है और वे उनके काम को तौलने के लिए सिक्कों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सियासी और सामाजिक कदमों के लिए चर्चा में रहते हैं खुर्शीद आलम
खुर्शीद आलम का यह कदम कोई पहला मौका नहीं था जब वह सुर्खियों में आए। इससे पहले भी वह कई ऐसे कदम उठा चुके हैं, जो सियासी और सामाजिक स्तर पर बहस का विषय बने हैं। उदाहरण के तौर पर, वह ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने और अपने विधानसभा क्षेत्र में निजी खर्च पर 64 छोटे-बड़े मंदिरों का निर्माण करवाने के लिए जाने जाते हैं। खास बात यह है कि खुर्शीद आलम एक मुस्लिम नेता हैं और वह जेडीयू जैसे धर्मनिरपेक्ष पार्टी से जुड़े हुए हैं, ऐसे में उनके द्वारा उठाए गए ये कदम एक नया संदेश देते हैं।