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कर्नाटक के यादगीर में मनरेगा घोटाला: महिला मजदूरों की जगह साड़ी पहनकर पहुंचे पुरुष, सामने आया बड़ा फर्जीवाड़ा

Edited By Rahul Rana,Updated: 12 Apr, 2025 01:55 PM

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कर्नाटक के यादगीर जिले के मालदार गांव से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत गंभीर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यहां कुछ पुरुष मजदूरों ने महिलाओं की जगह साड़ी पहनकर काम किया और फर्जी तरीके से मजदूरी दर्ज करवाई।

नेशनल डेस्क: कर्नाटक के यादगीर जिले के मालदार गांव से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत गंभीर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। यहां कुछ पुरुष मजदूरों ने महिलाओं की जगह साड़ी पहनकर काम किया और फर्जी तरीके से मजदूरी दर्ज करवाई।  

सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों ने खोली पोल

इस घोटाले का भंडाफोड़ तब हुआ जब सोशल मीडिया पर कुछ वायरल तस्वीरों में पुरुषों को साड़ी पहनकर मजदूरी करते हुए देखा गया। यह दृश्य चौंकाने वाला था, क्योंकि वे महिलाएं जिनके नाम पर काम दर्ज किया गया था, वास्तव में काम पर मौजूद ही नहीं थीं।

3 लाख रुपये की परियोजना में हुई गड़बड़ी

यह फर्जीवाड़ा एक नाला गहरीकरण परियोजना के दौरान सामने आया, जिसकी अनुमानित लागत 3 लाख रुपये बताई जा रही है। ये कार्य मलदार गांव के एक किसान, निंगप्पा पुजारी के खेत पर किया जा रहा था।

अधिकारियों की पुष्टि: अटेंडेंस और उपस्थिति में अंतर

इस पूरे मामले की पुष्टि जिला पंचायत अधिकारी लावेश ओराडिया ने की। उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचने के बाद उन्हें मजदूरों की वास्तविक उपस्थिति और अधिकारी रिकॉर्ड में दर्ज संख्या में अंतर मिला। “रिकॉर्ड के अनुसार 6 पुरुष और 4 महिलाएं काम पर थीं, लेकिन महिलाओं की जगह साड़ी पहने पुरुष मजदूरी कर रहे थे,”

फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड निकला ‘बेयरफुट टेक्नीशियन’

इस योजना का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है पंचायत विभाग के साथ अनुबंध पर कार्यरत एक 'बेयरफुट टेक्नीशियन' वीरेश, जिसे अब सस्पेंड कर दिया गया है। फरवरी महीने में इस मामले की शिकायत मिली थी और उसी समय जांच प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी।

अब तक किसी को नहीं मिली मजदूरी

पंचायत अधिकारियों ने यह भी साफ किया है कि इस परियोजना के अंतर्गत अब तक किसी भी मजदूर को भुगतान नहीं किया गया है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि जांच पूरी होने के बाद ही भुगतान किया जाए।

मोबाइल सॉफ्टवेयर से भी की गई धोखाधड़ी

जांच में यह भी सामने आया है कि नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर में भी फर्जी तस्वीरें अपलोड कर मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की गई। इस डिजिटल हेराफेरी से महिला मजदूरों के नाम पर गलत व्यक्तियों को काम पर दिखाया गया।

पंचायत विकास अधिकारी ने झाड़ा पल्ला

पंचायत विकास अधिकारी चन्नबसवा ने खुद को इस घोटाले से अलग बताते हुए कहा कि उन्हें इस फर्जीवाड़े की कोई जानकारी नहीं थी। "जैसे ही जानकारी मिली, मैंने संबंधित अधिकारी को तत्काल सस्पेंड कर दिया।" 

महिला मजदूरों का गुस्सा फूटा: 'हमारे अधिकारों का अपमान'

इस घटना के सामने आने के बाद महिला मजदूरों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मनरेगा योजना का दुरुपयोग नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों और मेहनत का अपमान है। “हमने मेहनत की है, लेकिन हमारे नाम पर किसी और ने साड़ी पहनकर मजदूरी दिखाई। यह हमारे साथ धोखा है।” – महिला मजदूर

पारदर्शिता और निगरानी की जरूरत

यह मामला दिखाता है कि सरकार की योजनाओं में तकनीकी निगरानी और पारदर्शिता की कितनी सख्त ज़रूरत है। मनरेगा जैसी योजना गरीबों, विशेषकर महिलाओं के लिए बनी है, लेकिन इस तरह के फर्जीवाड़े उनकी आजीविका, गरिमा और अधिकारों पर सीधा हमला हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कड़े कदम उठाता है।


 

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