BRICS Summit में मोदी और जिनपिंग की आज होगी महत्वपूर्ण मुलाकात, इस बैठक पर टिकी पूरी दुनिया की नजरें

Edited By Mahima,Updated: 23 Oct, 2024 10:00 AM

modi and jinping will have an important meeting today at the brics summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वपूर्ण मुलाकात ब्रिक्स सम्मेलन में हो रही है, जो पांच साल बाद हो रही है। यह बैठक भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध समाप्त करने की सहमति के बाद हो रही है। वैश्विक स्तर पर इस...

नेशनल डेस्क: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में आज एक ऐतिहासिक बैठक होने जा रही है, जिसमें पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहली बार पांच साल बाद आमने-सामने मिलेंगे। इस मुलाकात पर न केवल भारत-चीन के रिश्ते, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों की नजरें टिकी हुई हैं।

2019 के बाद पहली औपचारिक मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की पिछली मुलाकात 2019 में ब्राज़ील में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। उस समय से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच कई मुद्दों ने तूल पकड़ा है, जिनमें सीमा विवाद, व्यापार और सामरिक सहयोग शामिल हैं। अब, इस सम्मेलन में उनकी मुलाकात दोनों देशों के बीच संवाद के नए दौर की शुरुआत कर सकती है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस द्विपक्षीय वार्ता की पुष्टि की है, जो भारत और चीन के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।

भारत-चीन के बीच बनी सहमति
दिलचस्प बात यह है कि यह बैठक पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच बनी सहमति के बाद हो रही है। पिछले कुछ समय में, भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध में कमी आई है, और दोनों पक्षों ने बातचीत के जरिए कुछ समझौतों पर पहुंचने की कोशिश की है। चीन ने हाल ही में यह पुष्टि की है कि वह भारत के साथ सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए सहमत है। यह सहमति दोनों देशों के लिए एक सकारात्मक संकेत है और भविष्य में बेहतर रिश्तों की उम्मीद जगाती है।

गलवान झड़प के बाद का तनाव
15-16 जून, 2020 को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने भारत-चीन संबंधों में खटास पैदा कर दी थी। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे, जबकि चीन के भी 40 से अधिक सैनिकों की मौत हुई थी। हालाँकि, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपनी तरफ से अपनी हताहत संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। इस घटना के बाद, दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था, और कई बार सैन्य स्तर पर बातचीत भी हुई, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। अब, चार साल बाद, दोनों देशों ने मिलकर आगे बढ़ने का निर्णय लिया है, जो एक सकारात्मक दिशा में कदम है।

वैश्विक ध्यान और फाइव आइज़ को जवाब
इस बैठक का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हाल ही में कनाडा ने भारत पर कई बेबुनियाद आरोप लगाए हैं, जिसमें अमेरिका और अन्य फाइव आइज़ देशों ने उनका समर्थन किया है। फाइव आइज़ एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन शामिल हैं। यह समूह जासूसी के लिए आपस में जानकारी साझा करता है और विश्व स्तर पर सुरक्षा मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ सहयोग करता है। जिनपिंग और मोदी की इस बैठक को फाइव आइज़ ग्रुप के खिलाफ एक ठोस जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है।

र्थिक और सामरिक सहयोग की संभावनाएं
भारत और चीन के बीच आर्थिक और सामरिक सहयोग की संभावनाएं भी इस मुलाकात का एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। दोनों देशों की आर्थिक शक्तियां वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हैं, और अगर वे सहयोग के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं, तो इसका प्रभाव न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र और विश्व अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा होने की संभावना है।

इस तरह की महत्वपूर्ण मुलाकातें किसी भी देश के लिए नए अवसरों का द्वार खोल सकती हैं। मोदी और जिनपिंग की यह बैठक न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में भी योगदान कर सकती है। दुनिया की नजरें अब इस बैठक के परिणामों पर हैं, जो भारत और चीन के बीच संबंधों के भविष्य को आकार दे सकते हैं। इस अवसर का लाभ उठाते हुए, दोनों नेता एक नई शुरुआत की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, जिससे न केवल उनके देश, बल्कि समस्त विश्व को भी लाभ होगा।

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