महंगा होगा चावल, Export में राहत देने की तैयारी में Modi सरकार

Edited By Rahul Singh,Updated: 22 Jul, 2024 10:30 AM

modi government is preparing to give relief in rice export

उपभोक्ताओं के लिए चावल महंगी कीमत पर मिल सकता है क्योंकि मोदी सरकार एक्पोर्ट में राहत देने की तैयारी कर रही है। दरअसल, वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति चावल की कुछ किस्मों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा की जरूरत पर विचार कर रही है। अगर बैन हटा तो फिर चावल...

नई दिल्ली। उपभोक्ताओं के लिए चावल महंगी कीमत पर मिल सकता है क्योंकि मोदी सरकार एक्पोर्ट में राहत देने की तैयारी कर रही है। दरअसल, वरिष्ठ मंत्रियों की एक समिति चावल की कुछ किस्मों पर लगे प्रतिबंध की समीक्षा की जरूरत पर विचार कर रही है। अगर बैन हटा तो फिर चावल की कीमत में बढ़ौतरी होना तय है। वहीं, आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों से बासमती की तुलना में गैर-बासमती चावल पर ज्यादा असर पड़ा है। 

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खुले बाजार में चावल बेचना शुरू करने जा रही सरकार

सूत्रों ने कहा कि समिति जल्द ही चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने को लेकर दिए गए सुझावों पर विचार करेगी, क्योंकि इसका केंद्रीय पूल में भंडार जरूरत से ज्यादा हो गया है। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि समिति प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला खरीफ में धान की बोआई की स्थितिसाफ होने तक के लिए टाल सकती है। अगले महीने से केंद्र सरकार खुले बाजार में चावल बेचना शुरू करने जा रही है। केंद्र ने राज्यों को बगैर किसी निविदा के उससे चावल खरीदने की अनुमति भी दे दी है इस चावल की बिक्री 28 रुपये किलो नियत भाव पर होगी। इस फैसले से कई राज्य, खासकर दक्षिण भारत के राज्य अपनी खाद्यान्न योजना फिर से शुरू कर सकेंगे। 

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पिछले 6 महीने में टूटे चावल की कीमत 29 किलो तक हुई

इस बात की भी संभावना है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का अतिरिक्त चावल एथनॉल बनाने के लिए भी दिया जाए, जो पिछले कुछ महीने से रुका हुआ है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि अनाज से एथनॉल बनाने वाले सरकार पर (ओएमसी) द्वारा एथनॉल की एफसीआई के गोदामों से सस्ते खरीद दर में वृद्धि करने की मांग की चावल की आपूर्ति बहाल करने की थी मांग कर रहे हैं। उनका तर्क है कि ऐसा न होने से उनके संयंत्र बंद हो जाने खतरा है। उनका कहना है कि पिछले 6 महीने में खुले बाजार में टूटे चावल की कीमत औसतन 22 से 24 रुपये किलो से बढ़कर 27 से 29 रुपये किलो हो गई है। मक्के की कीमत भी औसत 22 से 23 रुपये किलो से बढ़कर 26 से 27 रुपये किलो पहुंच गई है। इस कीमत पर भी आपूर्ति सीमित है।

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ग्रेन एथनॉल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जीईएमए) ने हाल ही में केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर एफसीआई के अतिरिक्त चावल की आपूर्ति बहाल करने या तेल विपणन कंपनियों (ओपीएस) द्वारा एथनॉल की खरीद दर में वृद्धि करने की मांग थी। सेंट्रल पूल में 1 जुलाई को चावल का स्टॉक करीब 563.1 लाख टन (धान सहित) था, जो पिछले साल की समान अवधि के स्टॉक की तुलना में करीब 16 प्रतिशत ज्यादा है। साथ ही मौजूदा स्टॉक, बफर स्टॉक के मानकों से उल्लेखनीय रूप से अधिक है। सूत्रों ने कहा कि मंत्रियों की समिति बासमती के न्यूनतम निर्यात मूल्य को मौजूदा 950 डॉलर से घटाकर 850 डॉलर करने पर भी विचार कर सकती है। इसके अलावा कुछ रॉ राइस को 500 डॉलर प्रति टन के हिसाब से निर्यात की अनुमति मिल सकती है, साथ ही प्रीमियम चावल की किस्मों जैसे सोना मसूरी और गोविंद भोग के निर्यात की भी अनुमति मिल सकती है।

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