Edited By Mahima,Updated: 15 Nov, 2024 03:40 PM
मोदी सरकार ने टोल टैक्स में बड़ा बदलाव किया है। अब निजी वाहन चालकों को 20 किमी तक की यात्रा पर टोल टैक्स नहीं देना होगा, बशर्ते उनके वाहन में GNSS सिस्टम हो। यह प्रणाली पहले कर्नाटका और हरियाणा के कुछ हाईवे पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई...
नेशनल डेस्क: मोदी सरकार ने टोल टैक्स को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया है। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसमें बताया गया है कि अब उन निजी वाहन चालकों को टोल टैक्स नहीं देना होगा जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, यदि ये वाहन चालक किसी टोल रोड पर 20 किलोमीटर या इससे कम की दूरी तय करते हैं, तो उन्हें टोल टैक्स से राहत मिलेगी।
केंद्रीय मंत्रालय की नई अधिसूचना
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार, अब जिन निजी वाहनों में GNSS सिस्टम कार्यरत होगा, वे वाहन चालक टोल रोड पर यात्रा करते समय पहले 20 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए टोल टैक्स से मुक्त होंगे। इस व्यवस्था का लाभ उन्हीं वाहनों को मिलेगा जिनमें ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लगा होगा और चालक 20 किलोमीटर तक ही यात्रा करेंगे। हालांकि, यदि चालक 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करता है, तो उसे वास्तविक यात्रा दूरी के हिसाब से टोल टैक्स देना होगा। मंत्रालय ने यह व्यवस्था पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई है, जिससे निजी वाहन मालिकों को राहत मिल सके।
क्या है GNSS और इसका उपयोग?
ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) एक आधुनिक तकनीक है, जिसे वाहन ट्रैकिंग और नेविगेशन के लिए उपयोग किया जाता है। यह तकनीक GPS (Global Positioning System) के समान है, जो वाहन की सटीक स्थिति और यात्रा मार्ग का पता लगाती है। इस प्रणाली को सड़क और परिवहन मंत्रालय ने हाल ही में फास्टैग के साथ मिलाकर टोल कलेक्शन सिस्टम के तौर पर लागू किया है। GNSS सिस्टम के माध्यम से वाहन की यात्रा को ट्रैक किया जाता है, और इसके आधार पर ही टोल शुल्क की गणना की जाती है। इस सिस्टम का इस्तेमाल पहले से ही कुछ प्रमुख राजमार्गों और एक्सप्रेस वे पर किया जा रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया GNSS
हालांकि, पूरे देश में इस सिस्टम को लागू नहीं किया गया है। फिलहाल, इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कर्नाटक और हरियाणा में लागू किया गया है। कर्नाटका के नेशनल हाईवे 275 पर बेंगलुरु और मैसूर के बीच, और हरियाणा में नेशनल हाईवे 709 पर पानीपत और हिसार के बीच इस नई व्यवस्था का परीक्षण किया जा रहा है। इन क्षेत्रों में GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के परीक्षण के परिणामों के आधार पर, सरकार पूरे देश में इसे लागू करने का निर्णय लेगी। इस पायलट प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह सिस्टम तकनीकी रूप से सटीक और प्रभावी तरीके से काम कर रहा है। यदि कर्नाटका और हरियाणा में इसका प्रयोग सफल रहता है, तो अन्य राज्यों में भी इस तकनीक को लागू किया जाएगा।
सरकार की टोल नीति में सुधार
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से यह कदम टोल टैक्स संग्रहण को अधिक पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने के लिए उठाया गया है। इसके तहत, अब वाहन चालकों को यात्रा की वास्तविक दूरी के आधार पर टोल भुगतान करना होगा, जिससे टोल वसूली में पारदर्शिता आएगी। साथ ही, GNSS आधारित प्रणाली से टोल कलेक्शन प्रक्रिया भी तेज और सटीक होगी, जिससे लंबी कतारों और धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा।
कैसे मिलेगा लाभ?
नई व्यवस्था से उन लोगों को फायदा होगा जो छोटी दूरी की यात्रा करते हैं और जिनके वाहनों में GNSS सिस्टम मौजूद है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति एक छोटे से शहर या गांव से पास के टोल रोड पर यात्रा करता है और वह 20 किलोमीटर से कम की दूरी तय करता है, तो उसे टोल टैक्स नहीं देना होगा। इससे यात्रियों की कुल यात्रा लागत में भी कमी आएगी और उन्हें राहत मिलेगी। इसके अलावा, इस व्यवस्था से सरकार को भी टोल वसूली में पारदर्शिता मिल सकेगी, और सड़क नेटवर्क का बेहतर प्रबंधन संभव हो पाएगा।
आने वाले समय में देश भर में लागू होगा ये सिस्टम
जैसा कि पहले बताया गया, फिलहाल GNSS आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम कर्नाटका और हरियाणा में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया गया है। यदि इस सिस्टम की सफलता की रिपोर्ट सकारात्मक आती है, तो इसे देश के अन्य प्रमुख हाईवेज और एक्सप्रेसवे पर भी लागू किया जाएगा। इससे न केवल निजी वाहन मालिकों को राहत मिलेगी, बल्कि यह सिस्टम देश भर के टोल रोड नेटवर्क को अधिक स्मार्ट और कुशल बनाएगा।
मोदी सरकार का यह नया कदम टोल टैक्स प्रणाली को डिजिटल और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस नई व्यवस्था से न सिर्फ निजी वाहन चालकों को राहत मिलेगी, बल्कि यह सड़क परिवहन के क्षेत्र में सुधार और विकास की ओर भी एक कदम है। GNSS आधारित टोल प्रणाली के सफल प्रयोग के बाद, इस तकनीक का विस्तार देशभर में होने की संभावना है, जिससे टोल संग्रहण प्रक्रिया अधिक सुविधाजनक और पारदर्शी बनेगी।