Edited By Mahima,Updated: 24 Oct, 2024 10:16 AM
प्रधानमंत्री मोदी का रूस दौरा 16वें ब्रिक्स समिट में महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें एलएसी पर शांति की बात हुई। मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध का शांतिपूर्ण समाधान, ईरान के राष्ट्रपति से सहयोग, और ग्लोबल...
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में रूस के कजान शहर में आयोजित 16वें ब्रिक्स समिट में भाग लेने के बाद भारत लौट आए हैं। यह दौरा रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा, विशेषकर मौजूदा वैश्विक तनाव और युद्ध के संदर्भ में। इस समिट में मोदी ने न केवल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बल्कि अन्य देशों के नेताओं से भी बातचीत की। आइए, इस दौरे के 10 मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा करें।
1. मोदी और जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक
इस दौरे का सबसे बड़ा आकर्षण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय बैठक थी। यह बैठक 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच पहली सीधी बातचीत थी। कजान में हुई यह बैठक लगभग 50 मिनट तक चली। दोनों नेताओं ने एलएसी पर सैन्य गतिरोध को खत्म करने और 2020 के विवाद को सुलझाने के लिए की गई सहमति पर सकारात्मक रुख अपनाया। इस प्रकार की बातचीत से भारत-चीन संबंधों में सुधार की संभावनाएं जताई गई हैं।
2. शांति की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समिट में युद्ध के वर्तमान माहौल में शांति की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी देशों को अपने विवादों को सुलझाने के लिए संवाद और कूटनीति का सहारा लेना चाहिए। मोदी ने यह भी कहा कि ब्रिक्स समूह युद्ध का समर्थन नहीं करता, बल्कि डायलॉग और डिप्लोमेसी को प्राथमिकता देता है। उन्होंने आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।
3. भारत-रूस की मित्रता
ब्रिक्स समिट के दौरान, राष्ट्रपति पुतिन ने मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और रूस के संबंध इतने गहरे हैं कि उन्हें अनुवादक की आवश्यकता नहीं है। यह टिप्पणी दोनों देशों के बीच की मजबूत मित्रता को दर्शाती है। दोनों नेताओं ने हिंदी और रूसी में बातचीत की, जिसमें पुतिन की यह टिप्पणी एक हल्की-फुल्की हंसी में बदल गई। यह घटनाक्रम दर्शाता है कि समय के साथ भारत-रूस संबंध और भी मजबूत हुए हैं।
4. रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का स्टैंड
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को दोहराया। उन्होंने पुतिन से कहा कि इस संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है और भारत हरसंभव मदद के लिए तैयार है। मोदी ने यह भी कहा कि भारत इस मुद्दे पर लगातार संपर्क में है और शांति एवं स्थिरता की बहाली के लिए प्रयासरत है।
5. ईरान के राष्ट्रपति से मुलाकात
ब्रिक्स समिट के दौरान, मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान से भी मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने पश्चिमी एशिया में शांति की आवश्यकता और भारत की भूमिका पर चर्चा की। इसके अलावा, मोदी ने राष्ट्रपति पेजेश्कियान को भारत दौरे का न्योता भी दिया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। दोनों नेताओं ने चाबहार पोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर भी चर्चा की।
6. ग्लोबल साउथ की चिंताओं का ध्यान
प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स समिट में ग्लोबल साउथ की चिंताओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स को विकासशील देशों की आशाओं, आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को समझने की आवश्यकता है। मोदी ने G-20 की अध्यक्षता के दौरान आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का भी उल्लेख किया, जिसमें भारत ने विकासशील देशों की आवाज को मजबूती से प्रस्तुत किया था।
7. भारत-यूएई संबंधों की समीक्षा
मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मुलाकात की, जिसमें दोनों नेताओं ने भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की। उन्होंने पश्चिमी एशिया की स्थिति पर भी चर्चा की और शांति, सुरक्षा और स्थिरता की शीघ्र बहाली के लिए सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
8. मिस्र के साथ भागीदारी
कजान में, मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने भारत और मिस्र के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने और भावी योजनाओं पर चर्चा की। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है।
9. ब्रिक्स का भविष्य
ब्रिक्स समिट के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने संगठन के भविष्य पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत ब्रिक्स को वैश्विक संतुलन, विविधता और बहुलता का एक महत्वपूर्ण मंच मानता है। उन्होंने ब्रिक्स बैंक को मजबूती देने और सदस्य देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में काम करने की बात की। भविष्य में ब्रिक्स करेंसी पर विचार-विमर्श भी हो सकता है, जो आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
10. कजान घोषणापत्र
समिट के दूसरे दिन, पीएम मोदी और अन्य सदस्य देशों ने कजान घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणापत्र में ब्रिक्स ने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली को लचीला और उत्तरदायी बनाने का समर्थन किया। इसमें विकासशील देशों को अधिक स्थान देने की बात कही गई है, विशेषकर सबसे कम विकसित देशों को। साथ ही, पश्चिमी देशों द्वारा रूस और चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ भी स्पष्ट कटाक्ष किया गया। इस समिट के परिणामस्वरूप, यह स्पष्ट होता है कि भारत अपनी वैश्विक भूमिका को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी का यह दौरा वैश्विक कूटनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, जो न केवल भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मुद्दों पर एकजुटता और सहयोग को भी बढ़ावा देगा।