Edited By Parminder Kaur,Updated: 14 Dec, 2024 10:20 AM
चेन्नई की स्पेस स्टार्टअप "स्पेस किड्ज इंडिया" एक बड़ी और अनूठी योजना पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य 108 देशों की कक्षा 8 और 9 की छात्राओं के साथ मिलकर चांद पर एक वैज्ञानिक अभियान भेजना है। इस अभियान को 2026 तक साकार करने की योजना है। अगर यह मिशन...
नेशनल डेस्क. चेन्नई की स्पेस स्टार्टअप "स्पेस किड्ज इंडिया" एक बड़ी और अनूठी योजना पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य 108 देशों की कक्षा 8 और 9 की छात्राओं के साथ मिलकर चांद पर एक वैज्ञानिक अभियान भेजना है। इस अभियान को 2026 तक साकार करने की योजना है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो यह भारत की पहली निजी कंपनी बनेगी, जो चांद की सतह पर अभियान भेजने की कोशिश करेगी।
अभियान का उद्देश्य और लक्ष्य
स्पेस किड्ज इंडिया का यह अभियान "शक्तिसैट" नाम से जाना जाएगा। इसमें एक 80 किलोग्राम वज़न वाला सैटेलाइट भेजा जाएगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, लैंडर और प्रॉपल्सन मॉड्यूल शामिल होंगे। इस अभियान का मुख्य लक्ष्य चांद की सतह पर लैंडर को क्रैश लैंड कराना है।
कंपनी की संस्थापक और सीईओ श्रीमती केशन के अनुसार, यह मिशन बच्चों को अंतरिक्ष विज्ञान से परिचित कराने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भारतीय योगदान को भी प्रमुखता से प्रस्तुत करेगा। हम चांद पर क्रैश लैंड की कोशिश कर रहे हैं और यह अभियान हम 108 देशों की बच्चों के साथ मिलकर करेंगे।
बच्चों को मिलेगा अंतरिक्ष विज्ञान का प्रशिक्षण
इस अभियान में हिस्सा लेने वाली 108 देशों की बच्चियों को अंतरिक्ष विज्ञान और सैटेलाइट तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण को जनवरी 2025 में शुरू किया जाएगा, जिसमें 12,000 बच्चों को 120 घंटे का कोर्स कराया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित होगा और बच्चों को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और शैक्षिक संस्थानों से भी सहयोग मिलेगा।
श्रीमती केशन ने आगे कहा- "हमारे मिशन के तहत बच्चों को सैटेलाइट बनाने की तकनीकी जानकारी दी जाएगी और वे हमारे साथ मिलकर चांद पर भेजे जाने वाले यान पर काम करेंगे।"
अंतरिक्ष में भारत का प्रमुख योगदान
स्पेस किड्ज इंडिया का यह अभियान भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ने की दिशा में है। 2020 में हुए अंतरिक्ष सुधारों के बाद से भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है। इस अभियान के तहत भारत दुनिया भर में अपना वसुधैव कुटुंबकम का संदेश फैलाना चाहता है।
साझेदार और सहयोगी
इस मिशन के लिए स्पेस किड्ज इंडिया ने कई साझेदारों के साथ हाथ मिलाया है, जिसमें शैक्षिक संस्थान और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO से भी समर्थन प्राप्त करने की योजना बनाई है और इसके लिए वह ISRO से संपर्क कर रहे हैं।
स्पेस किड्ज इंडिया पहले भी सुर्खियों में आ चुकी है, जब फरवरी 2023 में उसने "आज़ादीसैट" मिशन को सफलता से पूरा किया था। इस मिशन में देश भर के सरकारी स्कूलों की 750 छात्राओं ने मिलकर एक सैटेलाइट तैयार किया था, जिसे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया था।
मिशन के लिए वैश्विक सहयोग
स्पेस किड्ज इंडिया ने इस अभियान के लिए 108 देशों से सहयोग प्राप्त करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। वे संबंधित मंत्रालयों, अंतरिक्ष एजेंसियों और नेटवर्क समूहों के माध्यम से विभिन्न देशों से संपर्क कर रहे हैं। अब तक सभी देशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और चयनित छात्राओं को जल्द ही भारत बुलाया जाएगा, जहां वे इस अभियान पर काम करेंगे।
आगे की योजना
स्पेस किड्ज इंडिया की योजना है कि 2026 तक चांद पर यह अभियान भेजा जाए। इसके लिए 2025 में चयनित छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा और उन्हें मिशन के लिए तैयार किया जाएगा। इस मिशन की कुल लागत 1 से 2 मिलियन डॉलर तक आ सकती है और इसे पूरी तरह से सीएसआर फंडिंग के तहत पूरा किया जाएगा। स्पेस किड्ज इंडिया का यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। खासकर तब जब अंतरिक्ष के क्षेत्र में निजी कंपनियों का योगदान बढ़ रहा है।