Edited By Tanuja,Updated: 14 Jan, 2025 03:18 PM
भारत के पड़ोसी तिब्बत क्षेत्र, जो चीन और नेपाल की सीमा के पास स्थित है, में पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए...
International Desk: भारत के पड़ोसी तिब्बत क्षेत्र, जो चीन और नेपाल की सीमा के पास स्थित है, में पिछले कुछ दिनों से लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 7 जनवरी को आए 7.1 तीव्रता के भूकंप ने शिजांग इलाके में तबाही मचाई, जिसमें 126 लोगों की जान चली गई और 188 लोग घायल हो गए। इसके बाद से यह इलाका लगातार भूकंप की गतिविधियों से कांप रहा है, जिससे लोगों में भय का माहौल बन गया है।
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7 जनवरी के बाद से तिब्बत के शिजांग क्षेत्र में हर कुछ घंटे में भूकंप के झटके महसूस हो रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार, 14 जनवरी तक इस इलाके में 3,614 से ज्यादा बार धरती डोल चुकी है, हालांकि इनमें से अधिकांश झटके 3 तीव्रता या उससे कम के थे। लेकिन कुछ झटकों की तीव्रता 5 तक रही है, जो चिंताजनक है। 8 जनवरी को एक दिन में 50 से अधिक बार धरती कांपी थी। इस निरंतर भूकंपीय गतिविधि ने क्षेत्रीय लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर दिया है, क्योंकि उन्हें कभी भी किसी बड़े भूकंप का खतरा महसूस हो रहा है। तिब्बत का शिजांग क्षेत्र, जो चीन की सीमा के पास स्थित है, में 7 जनवरी के बाद से लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं। 14 जनवरी को भी 3.6 तीव्रता का भूकंप आया।
हालांकि, अब तक इन झटकों से कोई बड़ी तबाही नहीं हुई है, लेकिन निरंतर हो रही गतिविधियां यह संकेत देती हैं कि भविष्य में कुछ बड़ा हो सकता है। यह इलाका भारत के सिक्किम राज्य से महज 150 किमी की दूरी पर स्थित है, जिससे भारत में भी चिंता बढ़ रही है। तिब्बत का यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों के मिलन स्थल पर स्थित है, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेटों का टकराव होता है। यही कारण है कि तिब्बत और इसके आसपास के क्षेत्रों में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति इसे एक संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र बनाती है। शिजांग इलाके में 27 गांवों और लगभग 60,000 की आबादी रहती है, जो अब इन लगातार भूकंप के झटकों से प्रभावित हो रही है।
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यह भूकंप क्षेत्रीय चिंता का विषय बन चुका है, खासकर भारत के उत्तरी हिस्सों में। सिक्किम राज्य, जो शिजांग से महज 150 किमी दूर है, के लिए यह एक चेतावनी हो सकती है। भूकंपीय गतिविधियों का लगातार बढ़ना यह संकेत देता है कि भविष्य में इस क्षेत्र में एक बड़ा भूकंप आ सकता है, जो केवल तिब्बत ही नहीं, बल्कि भारत और नेपाल के लिए भी खतरे का कारण बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तिब्बत में हो रही भूकंपीय गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल के कारण अत्यधिक संवेदनशील है, और इस बात की संभावना है कि यहां किसी बड़े भूकंप के आने से पहले हालात और बिगड़ सकते हैं। क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की आपदा से निपटा जा सके।