वो 10 मिनट का पल... मां के हादसे ने 19 वर्षीय बेटे को बनाया 10 करोड़ की कंपनी का फाउंडर, जानिए पूरी जानकारी

Edited By Mahima,Updated: 04 Oct, 2024 12:29 PM

mother accident made the 19 year old son the founder of a company

हुंडई मोटर्स इंडिया 14 अक्टूबर को 25,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लॉन्च करने की तैयारी में है, जो देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। यह IPO पूरी तरह से 'ऑफर फॉर सेल' (OFS) के तहत होगा, जिसमें प्रमोटर्स अपनी 17.5% हिस्सेदारी बेचेंगे। 2003 के बाद भारत में किसी...

नेशनल डेस्क: बिहार के बक्सर जिले से ताल्लुक रखने वाले 19 वर्षीय तनिष्क उपमन्यु ने अपनी मेहनत और लगन से एक अद्वितीय कंपनी की स्थापना की है। यह कहानी उस वक्त शुरू हुई जब वह केवल 13 साल के थे। उस समय उनकी मां को एक गंभीर हादसे का सामना करना पड़ा, जब उन्हें अस्पताल पहुंचाने में थोड़ी सी देरी हुई। डॉक्टरों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर उनकी मां को 10 मिनट और लगते, तो शायद वह बच नहीं पातीं। इस घटना ने तनिष्क के मन में एक गहरी छाप छोड़ी और उन्हें सोचने पर मजबूर किया कि कितने लोगों को ऐसी 10 मिनट की मोहलत नहीं मिल पाती।

हादसे का असर 
इस दर्दनाक घटना ने तनिष्क के जीवन को एक नई दिशा दी। उन्होंने महसूस किया कि आपातकालीन स्थितियों में त्वरित चिकित्सा सहायता कितनी महत्वपूर्ण होती है। उस दिन के बाद, उन्होंने ठान लिया कि वह एक ऐसा समाधान ढूंढेंगे जिससे लोगों की जानें बचाई जा सकें। यह विचार उनके लिए प्रेरणा बन गया, और उन्होंने मेडिकल तकनीक के क्षेत्र में कुछ नया करने का संकल्प लिया।

मेडिकल ड्रोन का आविष्कार
तनिष्क ने छह साल बाद, 19 वर्ष की उम्र में, एक लाइफ इंटीग्रेटेड मेडिकल ड्रोन विकसित किया। यह ड्रोन 100 किलोमीटर की दूरी तक उड़ान भर सकता है और विभिन्न प्राथमिक चिकित्सा सेवाएं जैसे ब्लड प्रेशर मापना, ईसीजी करना, वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान करना, और मरीजों का चेकअप करना संभव बनाता है। ड्रोन में ऐसे सेंसर लगे हैं जो डॉक्टरों से जुड़े रहते हैं, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत मदद मिल सके। यह खासतौर पर प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, या अन्य आपात स्थितियों में बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।

एलपीयू से कर रहे बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
तनिष्क फिलहाल पंजाब के जालंधर में स्थित लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) से बीटेक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका परिवार भी उनके इस सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके पिता धर्मेंद्र कुमार भारतीय सेना में एक सम्मानित आर्मी अफसर हैं। जब तनिष्क के पिता सिक्किम के गंगटोक में तैनात थे, तब उनकी मां सुनीता पाठक एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गईं, जिसने तनिष्क के जीवन को एक नया मोड़ दिया। इस अनुभव ने उन्हें न केवल मानसिक मजबूती दी, बल्कि यह भी दिखाया कि चिकित्सा सहायता कितनी जरूरी है।

"Kaizel Tech" को 2023 में रजिस्टर कराया
तनिष्क ने इस प्रोजेक्ट पर लगभग दो साल तक गहन शोध किया। उन्होंने एक टीम बनाई, जिसमें 13 लोग शामिल थे, जिनमें अनुभवी इंजीनियर्स, डॉक्टर और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल थे। टीम ने मिलकर इस ड्रोन की तकनीक पर काम किया, और विभिन्न प्रकार के सेंसर और उपकरणों को एकीकृत किया। यह ड्रोन न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत है, बल्कि यह मानवीय जरूरतों के प्रति भी संवेदनशील है। तनिष्क ने अपनी कंपनी "Kaizel Tech" को 2023 में रजिस्टर कराया। इसके लिए उन्होंने लगभग 1.5 करोड़ रुपये की फंडिंग भी हासिल की है। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के परिणामस्वरूप, तनिष्क ने अब तक 150 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं, जिनमें लगभग 25 लाख रुपये की पुरस्कार राशि शामिल है। यह पुरस्कार राशि उन्होंने अपने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में उपयोग की है।

नासा में भारत का प्रतिनिधित्व
तनिष्क की उपलब्धियों में एक महत्वपूर्ण क्षण तब आया जब उन्होंने नासा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह एक अद्वितीय अवसर था, जहाँ उन्होंने अपनी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया और अपने देश को गर्वित किया। उन्होंने बताया, "मैंने इस ड्रोन पर काम करने की प्रक्रिया लगभग दो साल पहले शुरू की थी। अब हमारी कंपनी में 13 लोग काम कर रहे हैं, जिसमें उच्च स्तरीय आर्मी ऑफिसर्स और विशेषज्ञ प्रोफेसर शामिल हैं।"

भविष्य की योजनाएं
तनिष्क का कहना है कि ड्रोन की कीमत लगभग 8 लाख रुपये होगी, और वे इसे जल्द ही मार्केट में पेश करने की योजना बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि यह तकनीक अधिक से अधिक लोगों की मदद करे और आपातकालीन चिकित्सा सहायता को आसान बनाए। वे आने वाले समय में और भी नई तकनीकों पर काम करने का इरादा रखते हैं, ताकि वे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान कर सकें।

तनिष्क की कहानी एक प्रेरणा है कि कैसे एक दर्दनाक अनुभव को सकारात्मक दिशा में मोड़कर सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनकी मेहनत, लगन और दृष्टि ने उन्हें केवल एक कंपनी के फाउंडर नहीं बनाया, बल्कि एक नवोन्मेषक बना दिया है जो दूसरों की ज़िंदगी को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। तनिष्क जैसे युवा भारतीयों के लिए एक आदर्श उदाहरण हैं, जो अपने विचारों और प्रयासों से समाज में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।

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