Edited By Harman Kaur,Updated: 25 Feb, 2025 02:24 PM
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राजस्थान के एक छोटे से गांव से उठकर IAS बने एक लड़के की प्रेरणादायक कहानी इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसे यह भी पता नहीं था कि IAS क्या होता है, आज अपनी मेहनत और संघर्ष से IAS अधिकारी बन गया है। यह कहानी लोगों को अपनी मंजिल पाने के लिए...
नेशनल डेस्क: राजस्थान के एक छोटे से गांव से उठकर IAS बने एक लड़के की प्रेरणादायक कहानी इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसे यह भी पता नहीं था कि IAS क्या होता है, आज अपनी मेहनत और संघर्ष से IAS अधिकारी बन गया है। यह कहानी लोगों को अपनी मंजिल पाने के लिए प्रेरित कर रही है।
तुम कहीं के कलेक्टर हो क्या?
यह कहानी एक ऐसे लड़के की है, जिसका नाम हेमंत है। बचपन में उनकी मां मनरेगा में काम करती थीं और रोजाना केवल 60-70 रुपए ही कमाती थीं, जबकि सरकार द्वारा तय मजदूरी 200 रुपए थी। एक दिन हेमंत की मां घर आईं और बेटे के सामने रोते हुए अपनी दुखभरी कहानी सुनाई। मां ने बताया कि उन्होंने पानी लगाने का काम जानबूझकर कर लिया था, जिससे 20 रुपए ज्यादा मिलते, लेकिन फिर भी उन्हें कम ही पैसे मिले। इस पर हेमंत ने ऑफिस जाकर उस कर्मचारी से सवाल किया कि क्यों उनकी मां को कम पैसे दिए जा रहे हैं। कर्मचारी ने ताना मारते हुए कहा, "तू कहीं का कलेक्टर है क्या? यह ताना हेमंत के दिल को चुभ गया। हेमंत को यह बात बहुत बुरी लगी और उन्होंने ठान लिया कि वे IAS अधिकारी बनेंगे। हालांकि, उस समय उन्हें यह भी नहीं पता था कि IAS होता क्या है।
एक दिन कॉलेज में रैगिंग के दौरान जब सीनियर ने पूछा कि वे क्या बनना चाहते हैं, तो हेमंत ने बिना सोचे-समझे कह दिया कि IAS बनना है। तब उन्हें यह भी नहीं पता था कि IAS के लिए क्या करना पड़ता है। इसके बाद हेमंत ने अपने भाई से पूछा और IAS के बारे में जानकारी ली। उनके भाई ने उन्हें यूट्यूब पर वीडियो भेजे और समझाया।
हेमंत के पास पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे। उनकी मां मजदूर थीं और परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। दोस्तों और सीनियर की मदद से उन्होंने कॉलेज में दाखिला लिया, लेकिन खर्चों के कारण स्थिति बहुत कठिन हो गई। फिर भी, हेमंत ने हार नहीं मानी और दिल्ली में अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनके दोस्त जोगेंद्र सियाग ने उन्हें आश्रय दिया और निशांत सिंह ने बिना पैसे लिए उन्हें सोशियोलॉजी का एडमिशन दिया।
हेमंत ने अपनी कठिनाईयों के बावजूद कड़ी मेहनत की और यूपीएससी के दूसरे प्रयास में 884 रैंक प्राप्त की। इस तरह उनका और उनके परिवार का सपना पूरा हुआ। हेमंत की यह कहानी यह साबित करती है कि अगर कोई ठान ले, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। उन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत से यह साबित किया कि सच्ची लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।