Edited By Mahima,Updated: 07 Jan, 2025 03:27 PM
बच्चों के जन्म में पिता की उम्र भी मायने रखती है। वृद्ध पुरुषों में शुक्राणुओं के डी.एन.ए. विखंडन की समस्या बढ़ सकती है, जो ऑटिज़्म, बचपन के कैंसर या सिजोफ्रेनिया जैसे विकारों का कारण बन सकती है। इसके साथ ही, शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या भी प्रजनन...
नेशनल डेस्क: बच्चों के जन्म में केवल मां की उम्र नहीं, बल्कि पिता की उम्र भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस सप्ताह के अंत में मुंबई में आयोजित होने वाले 'फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया' (एफ.ओ.जी.एस.आई.) के सम्मेलन में डॉक्टर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे कि कैसे पिता की उम्र नवजात शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
हालांकि पहले यह माना जाता था कि सिर्फ महिला की उम्र ही बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है, लेकिन अब चिकित्सक यह मानते हैं कि पिता की उम्र भी कई मामलों में महत्वपूर्ण हो सकती है। बांझपन विशेषज्ञ डॉ. अमीत पटकी के अनुसार, हालांकि अभी तक किसी अध्ययन में यह सिद्ध नहीं हुआ है कि पिता की उम्र से आनुवंशिक असामान्यता उत्पन्न होती है, लेकिन कुछ अध्ययन इसे आनुवंशिक उत्परिवर्तन से जोड़ते हैं, जिससे बच्चों में ऑटिज़्म, बचपन में कैंसर या वयस्क होने पर सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
पुरुषों में 30 प्रतिशत बांझपन
डॉ. पटकी के मुताबिक, पुरुषों में 30 प्रतिशत बांझपन मामलों के लिए शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता जिम्मेदार होती है, लेकिन पिता की उम्र को इस मामले में कभी चर्चा का विषय नहीं बनाया जाता। आमतौर पर महिला को जब बांझपन की समस्या होती है, तो उसे अंडे फ्रीज करने या वजन कम करने की सलाह दी जाती है, लेकिन पुरुषों को कभी भी अपनी शुक्राणु गुणवत्ता सुधारने या शुक्राणु फ्रीज करने की सलाह नहीं दी जाती है।
वृद्ध पिता के लिए शुक्राणु परीक्षण की आवश्यकता
एफ.ओ.जी.एस.आई. के निवर्तमान अध्यक्ष और बांझपन विशेषज्ञ डॉ. ऋषिकेश पई का कहना है कि हालांकि पिता की उम्र और संतानों में विकारों का संबंध स्पष्ट नहीं है, लेकिन 35 से 39 वर्ष के पुरुषों में बच्चों के जन्म से जुड़ी जटिलताओं की संभावना 200 में से 1 होती है, जो 45 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में 50 में से 1 तक बढ़ जाती है।
Sperm DNA Fragmentation Test
प्रजनन स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए डॉ. पई ने बताया कि वृद्ध पुरुषों में शुक्राणुओं के डी.एन.ए. विखंडन परीक्षण की जरूरत बढ़ गई है। यह परीक्षण शुक्राणुओं के डी.एन.ए. की स्थिति का मूल्यांकन करता है, जो उम्र बढ़ने और जीवनशैली की आदतों, जैसे धूम्रपान, के कारण प्रभावित हो सकता है। डॉ. पटकी के अध्ययन में यह पाया गया कि 45 वर्ष से ऊपर के पुरुषों में डी.एन.ए. विखंडन का खतरा ज्यादा था, यहां तक कि सामान्य शुक्राणु संख्या वाले पुरुषों में भी।
बच्चे के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर
शुक्राणु डी.एन.ए. विखंडन की स्थिति में वृद्धि से गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है और बच्चे के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। डॉ. पटकी ने बताया कि आई.वी.एफ. उपचार से गुजरने वाले 100 पुरुषों में 60 प्रतिशत में सामान्य शुक्राणु संख्या होने के बावजूद डी.एन.ए. विखंडन पाया गया। यही कारण है कि वृद्ध पुरुषों को इस परीक्षण से गुजरने की आवश्यकता है। इस प्रकार, जहां पहले केवल महिला की उम्र को प्रजनन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था, वहीं अब यह स्पष्ट हो रहा है कि पुरुषों की उम्र भी प्रजनन और नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। ऐसे में वृद्ध पुरुषों को भी अपने प्रजनन स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिए ताकि वे स्वस्थ संतान की उम्मीद कर सकें।