Edited By Mahima,Updated: 04 Feb, 2025 01:28 PM
महाकुंभ 2025 में मौनी बाबा, जो 6 वर्षों से मौन व्रत पर हैं, केदार धाम से पहुंचे हैं। उन्होंने अपनी साधना की यात्रा साझा की और बताया कि उनका मौन व्रत अनिश्चितकाल तक चलेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की और मौन व्रत के बारे में...
नेशनल डेस्क: महाकुंभ मेला 2025 एक बार फिर देश और दुनिया के कोने-कोने से आस्था और भक्ति का संगम बन चुका है। इस बार महाकुंभ में ऐसे कई संत और साधु आए हैं, जिनकी आस्था और जीवनशैली लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इन साधु-संतों में से एक विशेष संत हैं मौनी बाबा, जो पिछले 6 वर्षों से मौन व्रत पर हैं। मौनी बाबा का असली नाम श्री निरंजनी हरिओम भारती है, और वे महाकुंभ में पंचायती अखाड़े के केदार धाम से आए हैं।
मौनी बाबा ने 6 साल पहले मौन व्रत लेने का संकल्प लिया था और तब से लेकर अब तक वे किसी से भी बोलने की बजाय अपनी बात डायरी में लिखकर साझा करते हैं। महाकुंभ में उनके आशीर्वाद की प्रतीक्षा करने वाले भक्तों को भी उनसे संवाद करने के लिए अब डायरी का ही सहारा लेना पड़ता है। बाबा ने अपनी डायरी में इस बात का उल्लेख किया कि उनका मौन व्रत कब तक चलेगा, यह केवल केदार बाबा ही जानते हैं। इस समय उनका व्रत अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगा।
महाकुंभ में मौनी बाबा का आश्रम केदार धाम में स्थित है, और वहां पर तीनों वक्त भंडार का आयोजन होता है। 'आजतक' की टीम जब उनके आश्रम में पहुंची, तो वहां गरमा गरम गाजर का हलवा बन रहा था। वहीं, मौनी बाबा डमरू बजा रहे थे। उनका जीवन पूरी तरह से साधना में लीन है और वे दिन-रात अपनी साधना में तल्लीन रहते हैं। उनके आश्रम में हर कोई उनकी तपस्या और आस्था का सम्मान करता है।
मौनी बाबा ने डायरी में लिखा कि वे महाकुंभ की शुरुआत से ही यहां उपस्थित हैं, और अब वे रायपुर की ओर बढ़ेंगे, जहां पर उनकी महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। बाबा ने अपनी डायरी में ये भी लिखा कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी और पत्र के माध्यम से उन्हें अपने मौन व्रत के बारे में सूचित किया था। इस पत्र को उन्होंने खुद गोरखपुर में मुख्यमंत्री को सौंपा था। मौनी बाबा ने कहा कि वे हठयोगी नहीं हैं, बल्कि यह भगवान की कृपा है, जो उन्हें मौन व्रत का पालन करने की शक्ति दे रही है।
महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 को शुरू हुआ था और इसका समापन 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ होगा। इस दौरान दो प्रमुख पर्व स्नान भी होंगे— 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का पर्व स्नान और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का 'अमृत स्नान'। बाबा मौनी के अनुयायी इन महत्वपूर्ण दिनों पर उनके आशीर्वाद की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मौनी बाबा के जीवन और उनके व्रत ने महाकुंभ में आस्था और समर्पण के नए आयाम प्रस्तुत किए हैं। उनके जीवन की साधना और मौन व्रत से प्रेरित होकर कई भक्त अपने जीवन को साधना और तपस्या की ओर मोड़ने के बारे में सोच रहे हैं।