रक्षाबंधन के दिन भाई की मौत, हिम्मत नहीं हारी मां...बेटे को जिंदा रखने के लिए बचाई 3 जिंदगी

Edited By Anu Malhotra,Updated: 30 Aug, 2024 07:13 AM

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मुंबई के परेल गांव की रहने वाली एक मां ने अपने बेटे के दुखद निधन के बाद एक महत्वपूर्ण फैसला लेकर तीन लोगों को नई जिंदगी दी। 24 वर्षीय ओमकार धिमक, जो छह महीने पहले ही एक बैंक में नौकरी पर लगा था, रक्षाबंधन के दिन एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया।...

नेशनल डेस्क: मुंबई के परेल गांव की रहने वाली एक मां ने अपने बेटे के दुखद निधन के बाद एक महत्वपूर्ण फैसला लेकर तीन लोगों को नई जिंदगी दी। 24 वर्षीय ओमकार धिमक, जो छह महीने पहले ही एक बैंक में नौकरी पर लगा था, रक्षाबंधन के दिन एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया। ओमकार के पिता की मृत्यु 10 वर्ष पहले हो चुकी थी, जिसके बाद उसकी मां ने दूसरों के घरों में खाना बनाकर उसे पढ़ाया और बड़ा किया।

रक्षाबंधन के दिन हुई दुर्घटना
19 अगस्त को, ओमकार अपने छोटे भाई के साथ काम पर जा रहा था। उसे अपने भाई को अंधेरी छोड़ना था, जब वाकोला हाईवे पर उसकी एक्टिवा स्कूटी स्लिप हो गई। इस दुर्घटना में उसका सर एक ट्रक से टकरा गया। हेलमेट पहनने के बावजूद उसे गंभीर आंतरिक चोटें आईं, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। ग्लोबल अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

37वां सफल कैडेवर डोनेशन
डॉक्टरों की सलाह पर ओमकार की मां ने अपने बेटे के अंगदान का फैसला किया। ओमकार के लिवर, किडनियां, और कॉर्निया दूसरे अस्पतालों में भर्ती ज़रूरतमंद मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए भेजे गए। इस साल का यह 37वां सफल कैडेवर डोनेशन दर्ज किया गया है। ओमकार के अंगदान ने तीन लोगों की जिंदगी बचाई, जिससे उसकी मां के इस कठिन फैसले को समाज में सराहा जा रहा है।
 

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