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हिजाब पहनकर हर्षा रिछारिया की धर्म यात्रा में शामिल हुई मुस्लिम लड़की, जानिए क्या था मकसद

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 14 Apr, 2025 07:10 PM

muslim girl joined harsha richaria pilgrimage wearing hijab

सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा के दौरान एक मुस्लिम युवती अलीशा ने हिजाब पहनकर हिस्सा लिया, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया। आठ महीने पहले हिंदू युवक से शादी करने वाली अलीशा ने इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया और अब वह अपनी जीवन यात्रा में प्रेमानंद...

नेशनल डेस्क: सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा के दौरान एक मुस्लिम युवती अलीशा ने हिजाब पहनकर हिस्सा लिया, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया। आठ महीने पहले हिंदू युवक से शादी करने वाली अलीशा ने इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया और अब वह अपनी जीवन यात्रा में प्रेमानंद महाराज को अपना आदर्श मानती हैं। जानिए क्या था इस पदयात्रा में शामिल होने का उनका मकसद और किस तरह से धर्म, संस्कृति और प्रेम का अद्भुत संगम देखने को मिला।

"सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा" का उद्देश्य

हर्षा रिछारिया की यह पदयात्रा 'सनातन युवा जोड़ों पदयात्रा' के नाम से 21 अप्रैल तक चलने वाली है। यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे की लत से मुक्ति दिलाना और उन्हें धर्म के प्रति जागरूक करना है। इस यात्रा का आगाज वृंदावन से हुआ और यह मथुरा, आगरा, हाथरस, फिरोजाबाद होते हुए संभल तक पहुंचेगी। यात्रा का नेतृत्व हर्षा रिछारिया कर रही हैं, जिनकी पहचान पिछले प्रयागराज महाकुंभ के दौरान वायरल हुई थी।

अलीशा का हिंदू धर्म में आना और प्रेमानंद महाराज का प्रभाव

मथुरा की अलीशा की कहानी दिलचस्प है, क्योंकि उसने केवल धर्म ही नहीं, बल्कि अपने जीवन के मार्गदर्शक भी बदले हैं। अलीशा ने आठ महीने पहले एक हिंदू युवक सचिन से कोर्ट मैरिज की थी। उनका प्यार छह साल पुराना था, लेकिन अलीशा के परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया था। इसके बावजूद अलीशा ने अपने परिवार की इच्छाओं को नकारते हुए सचिन के साथ अपना जीवन बिताने का निर्णय लिया। अब वह अपने पति के साथ हर्षा रिछारिया की पदयात्रा में शामिल होने के लिए आई है। अलीशा ने बताया कि उसने इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपनाया और अब वह प्रेमानंद महाराज के प्रवचन सुनती है। वह उन्हें अपना आदर्श मानती है और उनके जीवन के दर्शन से प्रेरित होकर हिंदू धर्म को अपनाया है।

हिजाब पहनकर पदयात्रा में शामिल हुई अलीशा

जब अलीशा से पूछा गया कि वह हिजाब पहनकर पदयात्रा में क्यों शामिल हुई, तो उसने कहा कि यह उसकी आदत है और धीरे-धीरे वह इसे छोड़ने की कोशिश कर रही है। हालांकि, उसकी यह आदत अब भी उसके जीवन का हिस्सा है, लेकिन धर्म परिवर्तन के बावजूद उसने अपनी पहचान को पूरी तरह से बदला नहीं है। अलीशा ने यह भी कहा कि वह अपने जीवन के इस नए अध्याय को खुले दिल से स्वीकार कर रही है और इसे अपनी यात्रा का हिस्सा मानती है।

हर्षा रिछारिया का संदेश

हर्षा रिछारिया ने इस यात्रा के दौरान युवाओं से नशा मुक्त जीवन जीने और धर्म के प्रति जागरूक होने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म परिवर्तन व्यक्तिगत निर्णय है, और जो व्यक्ति सच्चे दिल से अपना धर्म बदलता है, उसे पूरा सम्मान मिलना चाहिए। हर्षा रिछारिया ने यह भी बताया कि उनके लिए यह यात्रा युवाओं को एक बेहतर दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए है, ताकि वे नशे और अपराध से दूर रहें।

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