अजमेर दरगाह विवाद में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा बयान, SC से मांगी सुरक्षा

Edited By Parveen Kumar,Updated: 28 Nov, 2024 09:23 PM

muslim personal law board got angry over ajmer dargah dispute

हाल ही में मस्जिदों और दरगाहों से संबंधित जो दावे किए जा रहे हैं, उनके बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है।

नेशनल डेस्क : हाल ही में मस्जिदों और दरगाहों से संबंधित जो दावे किए जा रहे हैं, उनके बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की है। इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की अपील कर चुकी है। AIMPLB ने एक बयान जारी किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया गया है कि निचली अदालतों में चल रही इन मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर रोक लगाई जाए।

बोर्ड ने कहा कि संसद ने 1991 में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट को पास किया था, जिसके तहत 15 अगस्त 1947 से पहले किसी पूजा स्थल की स्थिति को बदला नहीं जा सकता। इसे लागू करना केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो देश में स्थिति और बिगड़ सकती है।

संभल मामले का जिक्र

बोर्ड ने संभल में जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद का भी जिक्र किया, जिसे अभी तक हल नहीं किया गया है। इसके अलावा, अजमेर दरगाह को लेकर भी दावा किया गया है कि वहां शिव मंदिर था। अदालत ने इस मामले में संबंधित पक्षों को नोटिस भेजा है।

कानूनी दृष्टिकोण

AIMPLB ने कहा कि इन दावों से कानून का मजाक उड़ाया जा रहा है। 1991 का पूजा स्थल अधिनियम स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 के बाद किसी पूजा स्थल की स्थिति को चुनौती नहीं दी जा सकती। बाबरी मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों को बचाने के लिए यह कानून बनाया गया था।

हालांकि, अब मथुरा में शाही ईदगाह, वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद, लखनऊ में टीले वाली मस्जिद, मध्य प्रदेश में भोजशाला मस्जिद और संभल की जामा मस्जिद पर भी दावे किए जा रहे हैं। AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इन मामलों में दखल दे और निचली अदालतों को ऐसे दावों को स्वीकार न करने का निर्देश दे, ताकि स्थिति और न बिगड़े।

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