Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 02 Feb, 2025 03:21 PM
भारत में धर्म के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जिनके तहत प्रॉपर्टी के बंटवारे के नियम निर्धारित होते हैं। इन नियमों के तहत, हिंदू, मुस्लिम, सिख, और अन्य धर्मों के लोगों को अपनी संपत्ति में हिस्सा मिलता है। खासकर मुस्लिम समुदाय में प्रॉपर्टी के...
नेशनल डेस्क: भारत में धर्म के अनुसार अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जिनके तहत प्रॉपर्टी के बंटवारे के नियम निर्धारित होते हैं। इन नियमों के तहत, हिंदू, मुस्लिम, सिख, और अन्य धर्मों के लोगों को अपनी संपत्ति में हिस्सा मिलता है। खासकर मुस्लिम समुदाय में प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर शरीयत एक्ट 1937 लागू होता है, जो यह तय करता है कि एक मुस्लिम परिवार में जन्मी बेटी को पिता की संपत्ति में कितना हिस्सा मिलेगा।
मुस्लिम लड़कियों का हक
मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत, एक मुस्लिम लड़की को पिता की संपत्ति में अपने भाई के मुकाबले आधा हिस्सा मिलता है। इसका मतलब है कि अगर एक मुस्लिम व्यक्ति का निधन हो जाता है, तो उसकी संपत्ति में बेटे को दोगुना हिस्सा और बेटी को आधा हिस्सा मिलता है। इस बंटवारे को शरीयत एक्ट के तहत किया जाता है, जो विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के लिए लागू है।
धर्म बदलने पर क्या होता है हक?
अब सवाल यह उठता है कि अगर कोई मुस्लिम लड़की इस्लाम धर्म छोड़ देती है, तो क्या उसे उसकी पुश्तैनी प्रॉपर्टी का हिस्सा मिलेगा? इस बारे में कानून ने कुछ स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया) एप्लीकेशन एक्ट 1937 के अनुसार, किसी मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ व्यक्ति अपनी पैतृक संपत्ति में अधिकार प्राप्त करता है, लेकिन यह अधिकार शरिया कानून के तहत ही होता है।
धर्म बदलने के बाद क्या मिलेगा हक?
अगर एक मुस्लिम लड़की ने इस्लाम धर्म छोड़ दिया है, तो उसे उसकी पुश्तैनी प्रॉपर्टी का हिस्सा लेने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। हालांकि, चूंकि वह अब मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नहीं आती, इसलिए उसे भारतीय उत्तराधिकार कानून के तहत प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलेगा। इसका मतलब यह है कि अगर उसका भाई उसे उसकी हिस्सेदारी देने से इंकार करता है, तो वह लड़की कोर्ट का सहारा लेकर अपनी प्रॉपर्टी का हिस्सा मांग सकती है।
क़ानूनी रास्ते का विकल्प
अगर मुस्लिम परिवार में पैदा हुई बेटी ने इस्लाम धर्म छोड़ दिया और उसके परिवार के सदस्य उसे उसकी संपत्ति का हिस्सा देने से मना करते हैं, तो वह भारतीय उत्तराधिकार कानून का उपयोग कर सकती है। भारतीय कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को अपनी हिस्सेदारी का अधिकार होता है, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित हो। इसके लिए उस लड़की को कोर्ट में दावा करना होगा और अदालत उसे उसके हिस्से का अधिकार दे सकती है।