Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 07 Apr, 2025 12:27 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के एक हालिया बयान ने देश की राजनीति और समाज में हलचल मचा दी है। वाराणसी में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने कहा कि संघ किसी की पूजा पद्धति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता।
नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत के एक हालिया बयान ने देश की राजनीति और समाज में हलचल मचा दी है। वाराणसी में दिए गए उनके भाषण में उन्होंने कहा कि संघ किसी की पूजा पद्धति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान भी RSS में शामिल हो सकते हैं—लेकिन इसके लिए उन्हें "भारत माता की जय" का नारा स्वीकार करना होगा और भगवा झंडे का सम्मान करना होगा।
संघ का दरवाजा सभी के लिए खुला
भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ केवल हिंदुओं के लिए नहीं है। उन्होंने कहा, “संघ का दरवाजा हर जाति, संप्रदाय और धर्म के लिए खुला है। चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख हो या ईसाई—हर कोई शामिल हो सकता है।” लेकिन उन्होंने एक चेतावनी भी दी—“जो खुद को औरंगजेब का वारिस समझते हैं, उनके लिए संघ में कोई जगह नहीं है।” यह बयान कहीं न कहीं यह संकेत देता है कि RSS भले ही हिंदुत्व की विचारधारा से जुड़ा हो, लेकिन वह ऐसे मुस्लिमों को स्वीकार करने को तैयार है जो भारत की संस्कृति को अपनाते हैं और राष्ट्रवाद में विश्वास रखते हैं।
‘भारत माता की जय’ और भगवा झंडे का सम्मान अनिवार्य
मोहन भागवत के इस बयान की सबसे बड़ी शर्त यही रही कि संघ में आने वाले लोगों को "भारत माता की जय" का नारा लगाना होगा और भगवा झंडे का सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति अलग-अलग पंथों में बंटी हो सकती है, लेकिन मूल संस्कृति एक है। जो इस मूल संस्कृति का आदर करेगा, वह संघ का हिस्सा बन सकता है।” इस शर्त को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। कुछ इसे संघ की समावेशी सोच मान रहे हैं, तो कुछ इसे सांस्कृतिक एकरूपता थोपने की कोशिश बता रहे हैं।
RSS का मुस्लिम विंग पहले से मौजूद
बहुत से लोग यह नहीं जानते कि RSS के अंतर्गत मुस्लिमों के लिए एक अलग मंच पहले से सक्रिय है—राष्ट्रीय मुस्लिम मंच। यह मंच उन मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करता है जो भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के समर्थक हैं। इसके राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल हैं जबकि वरिष्ठ RSS नेता इंद्रेश कुमार इसके मार्गदर्शक हैं। यह मंच मुस्लिम समुदाय के भीतर राष्ट्रवादी सोच को बढ़ावा देता है और मुस्लिम समाज के साथ संवाद कायम करने का प्रयास करता है। यह संघ की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए पुल का काम करता है।
‘हमारी संस्कृति एक है’ – भागवत का संदेश
मोहन भागवत ने अपने भाषण में यह भी कहा, “संस्कृति से ही देश की आत्मा जुड़ी होती है। चाहे पूजा पद्धति कुछ भी हो, लेकिन संस्कृति भारतीय होनी चाहिए। यह संस्कृति भगवा ध्वज और भारत माता की जय में समाहित है।”
इस बयान के जरिए उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि संघ की सोच धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक है। और अगर कोई मुस्लिम या अन्य समुदाय का व्यक्ति इस सांस्कृतिक मूल को स्वीकार करता है, तो संघ उसे अपनाने के लिए तैयार है।