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ये कैसा तेल-मेल... सरसों और Olive Oil में हो रही भारी मिलावट, जानें क्या है पूरा मामला?

Edited By Rohini Oberoi,Updated: 19 Jan, 2025 09:28 AM

mustard and olive oil are being heavily adulterated

अगर आप बरसों से किसी मशहूर ब्रांड का सरसों या ऑलिव तेल खरीदते आ रहे हैं तो हो सकता है कि उसमें 80% तक राइस ब्रान ऑयल (धान की भूसी से निकाला जाने वाला तेल) मिलाया गया हो। इसका मतलब यह है कि इन तेलों में सरसों या ऑलिव ऑयल की मात्रा केवल 20% ही हो सकती...

नेशनल डेस्क। अगर आप बरसों से किसी मशहूर ब्रांड का सरसों या ऑलिव तेल खरीदते आ रहे हैं तो हो सकता है कि उसमें 80% तक राइस ब्रान ऑयल (धान की भूसी से निकाला जाने वाला तेल) मिलाया गया हो। इसका मतलब यह है कि इन तेलों में सरसों या ऑलिव ऑयल की मात्रा केवल 20% ही हो सकती है। यह मिलावट इसलिए की जा रही है क्योंकि राइस ब्रान ऑयल सरसों के तेल के मुकाबले सस्ता है और कुछ समय पहले 'ब्लेंडिंग' (मिलावट) कानून में बदलाव हुआ था।

मिलावट के कारण

2023 में 'ब्लेंडिंग' कानून में बदलाव किए गए थे जिसके तहत कंपनियों को अब तेल में 20% से अधिक दूसरा तेल मिलाने की अनुमति मिल गई। अगर किसी तेल में 20% से ज्यादा दूसरा तेल मिलाया गया है तो उसे अब मूल नाम से नहीं बेचा जा सकता। अब इसे 'मल्टी-सोर्स ऑयल' के नाम से बेचना जरूरी है। पहले कंपनियां सरसों या सोयाबीन तेल के नाम पर 10% से 20% तक दूसरे तेल मिला देती थीं। अब यह मिलावट 80% तक हो सकती है।

कंपनियां तेल मिलावट क्यों करती हैं?

कंपनियों का मुख्य उद्देश्य सस्ता तेल मिलाना है। पहले जब पॉम ऑयल सस्ता था तो वह उसमें मिलाया जाता था लेकिन अब पॉम ऑयल महंगा हो गया है इसलिए राइस ब्रान ऑयल का इस्तेमाल बढ़ रहा है क्योंकि यह सस्ता है।

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ब्लेंडेड ऑलिव ऑयल की पहचान कैसे करें?

ऑलिव ऑयल जोकि एक उच्च गुणवत्ता वाला तेल होता है अब कुछ कंपनियां सस्ता ऑलिव तेल मिलाकर 'ब्लेंडेड ऑलिव ऑयल' बेच रही हैं। इसकी कीमत लगभग 1500 रुपये प्रति लीटर होती है लेकिन कुछ कंपनियां इसकी स्पेलिंग में बदलाव करके सस्ता तेल बेच रही हैं।

 

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उपभोक्ता को क्या सतर्कता बरतनी चाहिए?

जब भी आप सरसों तेल या ऑलिव ऑयल खरीदने जाएं तो लेबल पर ध्यान दें। अगर लेबल पर 'मल्टी-सोर्स ऑयल' लिखा हो तो समझ जाइए कि उसमें अन्य तेल भी मिलाए गए हैं। इसके अलावा तेल के लेबल में जानकारी अंग्रेजी में दी जाती है लेकिन भारत में ज्यादातर लोग अंग्रेजी नहीं समझते। इसलिए सरकार को चाहिए कि खाद्य तेल कंपनियों से यह जानकारी भारतीय भाषाओं में भी बड़े अक्षरों में दी जाए ताकि उपभोक्ता सही जानकारी पा सकें।

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जबकि इनकी कीमतों में बड़ा अंतर 

➤ राइस ब्रान ऑयल - 120 

➤ सोयाबीन ऑयल - 127

➤ पाम ऑयल - 130

➤ सनफ्लावर ऑयल - 135

➤ मूंगफली का तेल - 160 

➤ सरसों का तेल - 165

एक्सपर्ट की राय

एक्सपर्ट के अनुसार तेल कंपनियां तेल का फ्लेवर और स्वाद बदलने के लिए कुछ रसायन और फ्लेवर का इस्तेमाल करती हैं ताकि मिलावट से स्वाद पर कोई फर्क न पड़े। इससे ग्राहकों को यह लगता है कि तेल में कोई बदलाव नहीं हुआ है जबकि वास्तव में इसमें मिलावट हो चुकी होती है।

वहीं उपभोक्ताओं को यह समझने की आवश्यकता है कि वे जो तेल खरीद रहे हैं उसमें मिलावट हो सकती है। इसलिए लेबल पर ध्यान दें और अगर आपको कोई संदेह हो तो किसी और ब्रांड का विकल्प चुनें।

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