Edited By Anu Malhotra,Updated: 05 Mar, 2025 04:38 PM

भारत में mutual fund निवेशकों की संख्या आने वाले दशकों में जबरदस्त उछाल ले सकती है। PwC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक यह आंकड़ा 4.5 करोड़ से बढ़कर 26 करोड़ तक पहुंच सकता है। यह तेजी भारत के "विकसित भारत" लक्ष्य के तहत आर्थिक और वित्तीय समावेशन...
नेशनल डेस्क: भारत में mutual fund निवेशकों की संख्या आने वाले दशकों में जबरदस्त उछाल ले सकती है। PwC की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक यह आंकड़ा 4.5 करोड़ से बढ़कर 26 करोड़ तक पहुंच सकता है। यह तेजी भारत के "विकसित भारत" लक्ष्य के तहत आर्थिक और वित्तीय समावेशन को दर्शाती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि mutual fund का विस्तार वेल्थ क्रिएशन और निवेश भागीदारी को मजबूत करेगा। हालांकि, मौजूदा स्थिति में इसकी पहुंच काफी सीमित है। जनवरी 2025 तक देश में सिर्फ 5.33 करोड़ लोग म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे थे, जबकि 25 करोड़ लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं और 2.8 करोड़ लोग विदेश यात्रा कर चुके हैं। यह दर्शाता है कि अभी भी बड़े पैमाने पर संभावनाएं मौजूद हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, क्या बदलाव होंगे?
- रिटेल और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टमेंट में संतुलन – वर्तमान में म्यूचुअल फंड AUM का 64% हिस्सा रिटेल निवेशकों और 36% हिस्सा संस्थागत निवेशकों के पास है। रिपोर्ट के अनुसार, 2047 तक यह अनुपात 70:30 हो सकता है, जो विकसित बाजारों की तर्ज पर होगा।
- मार्केट रिटर्न में स्थिरता - रिपोर्ट का अनुमान है कि हर साल 11% की स्थिर बाजार वृद्धि और म्यूचुअल फंड की पैठ 3% से बढ़कर 15% तक होने से यह बदलाव संभव होगा।
-निवेशक-केंद्रित रणनीति की जरूरत- उद्योग को उत्पाद-केंद्रित अप्रोच से हटकर निवेशक-केंद्रित रणनीति अपनानी होगी। इसका मतलब होगा कि विभिन्न सामाजिक और आर्थिक वर्गों की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखकर समाधान तैयार किए जाएं।
उद्योग को किन तीन क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा?
- स्ट्रैटेजिक प्लानिंग – एक बेहतर रणनीति अपनाकर अधिक निवेशकों को जोड़ने पर जोर।
-इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट – मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाना।
- नियामक सुधार – निवेशकों, वितरकों, एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) और नियामकों के हितों को संतुलित करने के लिए एक केंद्रीय संस्था की जरूरत होगी।
2047 तक कैसा होगा म्यूचुअल फंड उद्योग?
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में म्यूचुअल फंड उद्योग आने वाले दशकों में और अधिक निवेशक-हितैषी और व्यापक रूप से स्वीकृत वित्तीय साधन बन जाएगा। इससे न केवल लोगों को धन सृजन में मदद मिलेगी बल्कि यह देश की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।