Edited By Anu Malhotra,Updated: 31 Mar, 2025 08:13 AM

म्यांमार में हाल ही में आए भूकंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को मांडले के पास आए 7.7 तीव्रता के इस भूकंप ने म्यांमार को पूरी तरह से उथल-पुथल में डाल दिया। यह भूकंप सदी में आने वाले सबसे शक्तिशाली भूकंपों में...
नेशनल डेस्क: म्यांमार में हाल ही में आए भूकंप ने एक बार फिर पूरी दुनिया को चौंका दिया है। शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को मांडले के पास आए 7.7 तीव्रता के इस भूकंप ने म्यांमार को पूरी तरह से उथल-पुथल में डाल दिया। यह भूकंप सदी में आने वाले सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक था, और इसके कारण अब तक 1700 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 3400 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इस आपदा ने म्यांमार की पहले से बिगड़ी हुई स्थिति को और गंभीर बना दिया है, खासकर जब देश एक सैन्य शासन के तहत संघर्षों से गुजर रहा था।
मौजूदा संकट में राहत कार्यों को भी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि भूकंप ने पुलों, हवाई अड्डों और अन्य बुनियादी ढांचों को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचाया है। इसके अलावा, भूकंप ने 3.5 मिलियन से अधिक लोगों को विस्थापित कर दिया है और देश की स्वास्थ्य सेवाओं को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
भूकंप क्यों था इतना शक्तिशाली?
म्यांमार में आए इस विनाशकारी भूकंप का कारण मुख्य रूप से 'स्ट्राइक-स्लिप फॉल्टिंग' था, जो भारत और यूरेशिया प्लेटों की सीमा पर हुआ। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर बिल मैकगायर के मुताबिक, यह भूकंप पिछले 75 वर्षों में म्यांमार की मुख्य भूमि पर आने वाला सबसे शक्तिशाली भूकंप था। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सेवा के अनुसार, यह भूकंप भारत और सुंडा प्लेटों के बीच स्थित सागाइंग फॉल्ट पर हुआ था, जो कैलिफोर्निया के प्रसिद्ध सैन एंड्रियास फॉल्ट के जैसा है।
इस भूकंप की खास बात यह थी कि इसका केंद्र बहुत उथली गहराई पर था, जिससे भूकंपीय ऊर्जा पूरी तरह से सतह तक पहुंचने में सक्षम हुई और तबाही मच गई। इस प्रकार के भूकंपों में नुकसान अधिक होता है क्योंकि इनकी ऊर्जा पूरी तरह से वितरित होती है और संरचनाओं पर अधिक दबाव डालती है।
भविष्य में म्यांमार के लिए खतरे की घंटी
म्यांमार में पहले भी इस प्रकार के शक्तिशाली भूकंप आ चुके हैं, जैसे 1990 में 7.0 तीव्रता का भूकंप, और 1988 में भी एक विनाशकारी भूकंप आया था। इस बार के भूकंप के कारण हुए बड़े नुकसान से यह साफ है कि म्यांमार को भविष्य में इस तरह के और संकटों का सामना करना पड़ सकता है, और इसे लेकर सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीर उपायों की जरूरत है।