मनरेगा के तहत 84.8 लाख श्रमिकों के नाम हटाए गए, रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Edited By rajesh kumar,Updated: 27 Oct, 2024 01:01 PM

names of 84 8 lakh workers were removed under mnrega

एसोसिएशन ऑफ अकेडेमिक एंड एक्टिविस्ट लिब टेक द्वारा जारी एक रिसर्च के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2023 के बीच मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत रजिस्टर्ड 84.8 लाख श्रमिकों के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इस दौरान 45.4 लाख नए श्रमिकों को जोड़ा गया, जबकि लगभग...

नेशनल डेस्क: एसोसिएशन ऑफ अकेडेमिक एंड एक्टिविस्ट लिब टेक द्वारा जारी एक रिसर्च के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2023 के बीच मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत रजिस्टर्ड 84.8 लाख श्रमिकों के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं। इस दौरान 45.4 लाख नए श्रमिकों को जोड़ा गया, जबकि लगभग 39.3 लाख श्रमिकों के नाम हटाए गए।

रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा नाम हटाए जाने की संख्या तमिलनाडु में 14.7% है, इसके बाद छत्तीसगढ़ 14.6% के साथ दूसरे स्थान पर है। लिब टेक की पिछले साल की एक रिपोर्ट में भी उल्लेख किया गया था कि वित्तीय वर्ष 2022-23 और 2023-24 के दौरान 8 करोड़ लोगों को MGNREGS रजिस्ट्री से हटा दिया गया था।

आंध्र प्रदेश में 15% नाम गलत तरीके से हटाए गए
रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में लगभग 15% श्रमिकों के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं। यह स्थिति चिंता का विषय है। लिब टेक के शोधकर्ताओं ने पाया कि यह बड़ी संख्या में नाम हटाने की समस्या सरकार द्वारा लागू की गई आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) से जुड़ी हुई है।

जनवरी 2023 में, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने MGNREGS के लिए ABPS का राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन अनिवार्य कर दिया। इसके तहत श्रमिकों को कई शर्तें पूरी करनी होती हैं, जैसे कि उनका आधार उनके जॉब कार्ड से जुड़ा होना और बैंक खाता भी आधार से लिंक होना चाहिए। लिब टेक की रिपोर्ट के अनुसार, सभी रजिस्टर्ड श्रमिकों में से 27.4% (6.7 करोड़ श्रमिक) और 4.2% सक्रिय श्रमिक (54 लाख श्रमिक) ABPS के लिए अयोग्य हैं।

हटाए गए नामों की संख्या ने एक नई चिंता को उजागर किया
अक्टूबर 2023 में सक्रिय श्रमिकों की संख्या 14.3 करोड़ थी, जो अक्टूबर 2024 में घटकर 13.2 करोड़ रह गई। इसके साथ ही, वित्तीय वर्ष 2022-23 की तुलना में इस वर्ष व्यक्ति दिवसों में 16.6% की कमी आई है, जो ग्रामीण रोजगार योजना की स्थिरता पर सवाल उठाती है। इस प्रकार, मनरेगा के तहत श्रमिकों के नाम हटाने और रोजगार के अवसरों में कमी ने एक नई चिंता को जन्म दिया है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

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