Edited By Parminder Kaur,Updated: 14 Oct, 2024 11:43 AM
अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। नासा के अनुसार, आज धरती की ओर दो विशालकाय एस्ट्रॉयड बढ़ रहे हैं। अगर ये एस्ट्रॉयड धरती से टकराते हैं, तो इससे बड़ा जलजला आ सकता है और समुद्र में ऊंची लहरें उठने की संभावना है। इससे...
नेशनल डेस्क. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है। नासा के अनुसार, आज धरती की ओर दो विशालकाय एस्ट्रॉयड बढ़ रहे हैं। अगर ये एस्ट्रॉयड धरती से टकराते हैं, तो इससे बड़ा जलजला आ सकता है और समुद्र में ऊंची लहरें उठने की संभावना है। इससे भयंकर समुद्री तूफान भी उत्पन्न हो सकता है।
हालांकि, नासा ने बताया है कि इन एस्ट्रॉयड के धरती से टकराने की संभावना बहुत कम है। फिर भी नासा की जेट प्रोपल्शन लैब इन पर लगातार नजर रख रही है। एजेंसी का कहना है कि अंतरिक्ष में होने वाली किसी भी हलचल पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि अगर कोई अप्रत्याशित घटना होती है, तो ये एस्ट्रॉयड धरती से टकरा सकते हैं और तबाही मचा सकते हैं। पिछले कई महीनों से ये एस्ट्रॉयड अंतरिक्ष में घूम रहे हैं और नासा इनका बारीकी से अध्ययन कर रहा है। नासा ने लोगों को शांत रहने और किसी भी तरह की घबराहट से बचने की सलाह दी है।
रिपोर्टों के अनुसार, नासा ने दो एस्ट्रॉयड के बारे में चेतावनी दी है, जो आज 14 अक्टूबर 2024 को पृथ्वी के पास से गुजरने वाले हैं। इन एस्ट्रॉयड के नाम 2021 TK11 और 2024 TH3 हैं। 2021 TK11 एस्ट्रॉयड की चौड़ाई लगभग 22 फीट है, जो एक छोटे हवाई जहाज के आकार का है। यह पृथ्वी से करीब 1,900,000 मील की दूरी पर गुजरेगा और इसकी यात्रा चंद्रमा की कक्षा के पास से होगी। वहीं 2024 TH3
एस्ट्रॉयड 2021 TK11 से थोड़ा बड़ा है, जिसकी चौड़ाई करीब 52 फीट है, जो एक विमान के आकार के बराबर है। यह पृथ्वी से लगभग 2,860,000 मील की दूरी से गुजरेगा। नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला (JPL) इन दोनों एस्ट्रॉयड पर ध्यान दे रही है। एजेंसी का कहना है कि वे किसी भी संभावित खतरे की पहचान पहले ही कर लेना चाहते हैं।
बता दें एस्ट्रॉयड देखने में ठोस चट्टानों के समान होते हैं और ये धातु-खनिज पदार्थों के मिश्रण से बने हो सकते हैं। ये लगातार अंतरिक्ष में चक्कर लगाते रहते हैं और अक्सर इन्हें ग्रहों के चारों ओर घूमते हुए देखा जा सकता है। जब ये धरती की ग्रैविटी के प्रभाव में आते हैं, तो इन्हें उल्का पिंड कहा जाता है। इस समय इन चमकदार उल्का पिंडों को नंगी आंखों से भी आसमान में देखा जा सकता है। वास्तव में एस्ट्रॉयड सौर मंडल के अवशेष माने जाते हैं, जो लगभग 4.6 बिलियन वर्ष पहले अंतरिक्ष में हुई उथल-पुथल के कारण बने थे। जब ग्रहों ने आकार लेना शुरू किया, तब मिट्टी और गैस के कण आपस में टकराकर छोटे-छोटे पत्थरों जैसे टुकड़ों में बदल गए, जिन्हें हम एस्ट्रॉयड के नाम से जानते हैं। बृहस्पति ग्रह की ग्रैविटी के प्रभाव के कारण ये एस्ट्रॉयड कभी भी ग्रह नहीं बन पाए। अगर ऐसा नहीं होता, तो आज हमारे सौर मंडल में कई और ग्रह हो सकते थे। एस्ट्रॉयड का अध्ययन करके हम सौर मंडल के विकास और हमारे ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।