गांधी परिवार के करीबी नटवर सिंह ने जीते जी रखी रिश्तों की लाज, नहीं खोला सोनिया-कांग्रेस का वो राज़ !

Edited By Utsav Singh,Updated: 11 Aug, 2024 01:07 PM

natwar singh close to gandhi family kept the honor of his relations

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी उम्र 93 वर्ष थी। परिवार के सूत्रों के अनुसार, नटवर सिंह ने दिल्ली के पास गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली।

नेशनल डेस्क : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह का शनिवार रात लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी उम्र 93 वर्ष थी। परिवार के सूत्रों के अनुसार, नटवर सिंह ने दिल्ली के पास गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ हफ्तों से इस अस्पताल में भर्ती थे।नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था। परिवार के एक सदस्य ने पीटीआई को बताया कि वे इस समय अस्पताल में मौजूद है और रविवार को दिल्ली में उनके अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई है। उनके परिवार के कई अन्य सदस्य भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। नटवर सिंह कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे।

UPA-1 सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया
आपको बता दें कि नटवर सिंह ने 2004-05 के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए-1 सरकार में भारत के विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में भी सेवाएं दीं। वे 1966 से 1971 तक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यालय से जुड़े रहे और भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।नटवर सिंह, जिन्हें 1984 में राष्ट्र सेवा के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था, ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ दर्ज कीं। वे न केवल एक कुशल राजनेता और पूर्व विदेश मंत्री थे, बल्कि लेखक के रूप में भी उनकी पहचान रही। उन्होंने विदेश नीति और अन्य विषयों पर कई चर्चित किताबें लिखीं, जिनमें 'द लिगेसी ऑफ नेहरू: अ मेमोरियल ट्रिब्यूट' और 'माई चाइना डायरी 1956-88' शामिल हैं।

10 जनपथ के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे
नटवर सिंह का राजनीतिक करियर और उनके कांग्रेस के साथ गहरे रिश्ते को लेकर कई महत्वपूर्ण बातें सामने आती हैं। वे 10 जनपथ के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक थे और सोनिया गांधी के सियासी गुरु माने जाते थे। राजीव गांधी की हत्या के बाद, सोनिया गांधी को राजनीतिक दीक्षा देने और उनकी छवि निर्माण में नटवर सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1984 में इंदिरा गांधी ने उन्हें विदेश सेवा से सीधे राजनीति में लाया, जो उनकी सियासी यात्रा की शुरुआत थी।

पंडित नेहरू के साथ नाश्ता किया करते थे
कांग्रेस में नटवर सिंह की गहरी जड़ों को देखते हुए, यह बात स्पष्ट होती है कि वे नेहरू परिवार के बहुत करीबी थे। वे नियमित रूप से पंडित नेहरू के साथ नाश्ता किया करते थे और इंदिरा गांधी ने 1967 में सोनिया और राजीव की शादी की जानकारी सबसे पहले उन्हें ही दी थी। नब्बे के दशक में कांग्रेस में नटवर सिंह की असली पारी शुरू हुई। वे कांग्रेस पार्टी में इतने महत्वपूर्ण हो गए कि सोनिया गांधी ने अपने व्यक्तिगत और पार्टी से जुड़े कई मुद्दों पर उनसे सलाह ली। नटवर सिंह ने कांग्रेस के भीतर एक ऐसा स्थान प्राप्त किया था कि उनके शब्दों में, "जो बातें राहुल और प्रियंका को भी नहीं बताई जाती थीं, वह सोनिया गांधी उनके साथ शेयर करती थीं।"

सोनिया गांधी को राजनीति में स्थापित किया
राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस की राजनीति में स्थापित करने और उन्हें 'सोनिया गांधी' बनाने का महत्वपूर्ण कार्य नटवर सिंह ने ही किया था। उनकी कूटनीतिक महारत ने सोनिया गांधी को हिंदी में सुधार करने से लेकर कांग्रेस में उठ रहे बगावत के संकट से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई। नटवर सिंह की इस भूमिका के लिए उन्हें यूपीए-1 सरकार में विदेश मंत्री बनने का सम्मान मिला। हालांकि, 2005 में उन्हें कैबिनेट से बाहर कर दिया गया। इसका कारण था ईरान से तेल के बदले अनाज कांड पर पोल वोल्कर कमिटी की रिपोर्ट में उनका नाम आना।

गांधी परिवार के कई गहरे राज़ उजागर किया
कैबिनेट से हटने के बाद, नटवर सिंह गांधी परिवार से दूर हो गए। 10 जनपथ पर उनका आना-जाना पूरी तरह से बंद हो गया। इस अनुभव का गहरा असर नटवर सिंह पर पड़ा और उनकी आत्मकथा 'वन लाइफ इज़ नॉट एनफ' में उन्होंने इसका खुलासा भी किया। इस किताब ने कई महत्वपूर्ण खुलासे किए, जो राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा गए। नटवर सिंह ने गांधी परिवार के कई गहरे राज़ को उजागर किया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उनकी और गांधी परिवार की बातचीत बंद हो चुकी थी।

सोनिया और प्रियंका नटवर के घर जाकर माफी मांगी 
किताब के प्रकाशन से ठीक दो महीने पहले, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को नटवर सिंह के घर जाकर माफी मांगनी पड़ी थी, जो बताता है कि गांधी परिवार के लिए नटवर सिंह के प्रति कुछ गंभीर भावनाएँ थीं। यह घटना दर्शाती है कि नटवर सिंह का गांधी परिवार के साथ का संबंध कितना जटिल और संवेदनशील था। नटवर सिंह की आत्मकथा के बारे में एक अखबार में छपे इंटरव्यू ने सोनिया गांधी को गहरे चिंतित कर दिया। इस इंटरव्यू के बाद, उसी दिन 10 जनपथ से नटवर सिंह को फोन किया गया, लेकिन नटवर ने मिलने से मना कर दिया। इसके बाद प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन किया और एक हफ्ते बाद मिलने का समय तय किया।

प्रियंका एक हफ्ते बाद नटवर से मिलने पहुंचीं
प्रियंका गांधी एक हफ्ते बाद नटवर सिंह से मिलने पहुंचीं और बताया कि वह सोनिया गांधी की तरफ से भेजी गई हैं। प्रियंका ने नटवर से सवाल किया कि क्या वह अपनी किताब में मई 2004 की घटनाओं के बारे में कुछ लिखेंगे। इसी बीच सोनिया गांधी कमरे में प्रवेश करती हैं, जिससे नटवर सिंह चकित रह जाते हैं। सोनिया और प्रियंका ने नटवर को भरोसा दिलाने की कोशिश की कि कोई भी असंवेदनशील बात किताब में नहीं आएगी, लेकिन नटवर ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि उनके साथ अन्याय हुआ है। सोनिया गांधी ने नटवर से कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। नटवर ने जवाब में कहा कि कांग्रेस में किसी भी महत्वपूर्ण काम के बिना उनकी अनुमति के पत्ता भी नहीं हिलता। अंत में, सोनिया गांधी ने नटवर सिंह से माफी मांगी, जो इस बात का प्रमाण था कि गांधी परिवार की ओर से उनकी स्थिति को लेकर एक स्वीकार्यता और संवेदनशीलता थी।

'वन लाइफ इज़ नॉट इनफ' में महत्वपूर्ण राज उजागर किए
अपनी आत्मकथा 'वन लाइफ इज़ नॉट इनफ' ('एक जिंदगी काफी नहीं') को लेकर नटवर सिंह ने कई इंटरव्यू दिए, जिनमें उन्होंने खुलासा किया कि उन्होंने किताब में सभी महत्वपूर्ण राज उजागर किए हैं। इनमें शामिल हैं: सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद को क्यों ठुकराया, सोनिया ने राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनने से क्यों रोका, और राहुल गांधी ने सोनिया को पीएम पद स्वीकार न करने के लिए क्या सलाह दी थी।इन खुलासों के बावजूद, यह सवाल बना रहता है कि क्या यही सभी राज थे, जिनसे सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी इतनी घबराई कि वे 5 साल की बंद बातचीत के बाद नटवर सिंह के पास पहुंचीं। नटवर से बार-बार इस पर सवाल किया गया, लेकिन उन्होंने हमेशा सवाल को घुमाते हुए जवाब दिया।

स्पष्ट है कि नटवर सिंह ने अपनी किताब में कांग्रेस और सोनिया गांधी से जुड़े कई संवेदनशील मुद्दे छुपा रखे थे। उनकी यह नीति इस बात को दर्शाती है कि उन्होंने व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंधों की लाज रखते हुए कई महत्वपूर्ण राज अपने पास ही रखे। ऐसे में, नटवर सिंह ने अपनी आत्मकथा के जरिए जितने भी रहस्यों को उजागर किया, वे कांग्रेस और सोनिया गांधी के अंदरूनी मामलों की गहराई को पूरी तरह से नहीं खोलते

 

 

 

 

 

 

 

  

 

 

 

 

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