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साइकिल पर रॉकेट ढोने से लेकर चंद्रयान मिशन तक, भारत ने एक लंबा सफर तय किया है : इसरो अध्यक्ष

Edited By Parveen Kumar,Updated: 05 Apr, 2025 11:09 PM

ndia has come a long way isro chairman

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने शनिवार को कहा कि 1970 के दशक में साइकिल पर रॉकेट के पुर्जे और बैलगाड़ी पर उपग्रह ले जाने से लेकर, सफल मंगल ऑर्बिटर और चंद्रयान मिशन का सफर तय भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व के अग्रणी...

नेशनल डेस्क : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी नारायणन ने शनिवार को कहा कि 1970 के दशक में साइकिल पर रॉकेट के पुर्जे और बैलगाड़ी पर उपग्रह ले जाने से लेकर, सफल मंगल ऑर्बिटर और चंद्रयान मिशन का सफर तय भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है और इसने कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए हैं। नारायणन ने भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) कोझिकोड के 27वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश ने सोवियत रॉकेट से अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट प्रक्षेपित करने के बाद से एक लंबा सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि अब भारत के 131 उपग्रह कक्षा में हैं, उसने 34 देशों के लिए 433 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं तथा इस वर्ष 29 जनवरी को उसने अपना 100वां प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा किया है।

इसरो प्रमुख ने कहा कि इसके अलावा, भारत चंद्रयान-1 मिशन के माध्यम से चंद्रमा पर जल के अणुओं की खोज करने वाला पहला देश था और चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से उसके दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश था, जिससे वह अंतरिक्ष क्षेत्र में अग्रणी देशों की कतार में शामिल हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत पहला और एकमात्र देश है जिसने पहले प्रयास में ही मंगल आर्बिटर मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।'' नारायणन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की यात्रा पर संक्षिप्त जानकारी देते हुए कहा कि जब देश ने अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू किया था तब वह 60 से 70 वर्ष पीछे था।

उन्होंने कहा, ‘‘फिर 90 के दशक में हमें क्रायोजेनिक इंजन तकनीक से वंचित कर दिया गया और हमें अपमानित किया गया। आज भारत ने तीन क्रायोजेनिक इंजन बना लिए हैं और ऐसा करने वाले दुनिया के छह देशों में से एक बन गया है।'' उन्होंने कहा कि भारत ने क्रायोजेनिक इंजन के संबंध में तीन विश्व कीर्तिमान भी स्थापित किये। नारायणन ने कहा कि आमतौर पर देश 9-10 क्रायोजेनिक इंजन विकसित करते हैं, फिर इंजन के परीक्षण से लेकर उड़ान तक कम से कम 42 महीने लगते हैं और रॉकेट प्रणोदन प्रणाली के परीक्षण में भी कम से कम पांच महीने लगते हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने तीन क्रायोजेनिक इंजनों के साथ उड़ान स्तर तक इंजन का परीक्षण 28 महीनों में पूरा कर लिया तथा रॉकेट प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण 34 दिनों में कर लिया - ये तीनों ही विश्व कीर्तिमान हैं। नारायणन ने कहा कि भारत दुनिया के उन चार देशों में से एक है जिसके पास सूर्य का अध्ययन करने वाला उपग्रह है और वह जापान के सहयोग से चंद्रयान-5 मिशन को अंजाम देगा। उन्होंने कहा,‘‘इसलिए, हम साइकिलों और बैलगाड़ियों पर रॉकेट और उपग्रह ले जाने के युग से बहुत आगे आ गए हैं।''

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