Edited By Rahul Rana,Updated: 26 Mar, 2025 05:55 PM

हम सभी को सड़क पर बाइक या स्कूटी चलाते समय हेलमेट पहनने की जरूरत होती है, क्योंकि यह न केवल हमारी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें चालान से भी बचाता है। लेकिन कभी-कभी कानून हमें सुधारने के बजाय खुद गलती कर बैठता है। गुजरात के अहमदाबाद से...
नेशनल डेस्क: हम सभी को सड़क पर बाइक या स्कूटी चलाते समय हेलमेट पहनने की जरूरत होती है, क्योंकि यह न केवल हमारी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें चालान से भी बचाता है। लेकिन कभी-कभी कानून हमें सुधारने के बजाय खुद गलती कर बैठता है। गुजरात के अहमदाबाद से एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां हेलमेट न पहनने पर एक व्यक्ति को 500 रुपये का चालान 10 लाख रुपये का बन गया। इस गलती के कारण उस व्यक्ति को ना केवल वित्तीय कठिनाई का सामना करना पड़ा, बल्कि उसे कानूनी झंझटों का भी सामना करना पड़ा।
यह घटना अहमदाबाद के वस्त्राल इलाके में रहने वाले एक कानून के छात्र अनिल हाडिया के साथ घटी। अनिल हाडिया को पिछले साल अप्रैल में शांतीपुरा सर्कल पर ट्रैफिक पुलिस ने रोका था। हेलमेट न पहनने पर पुलिस ने उनका चालान काटा, जो 500 रुपये का था। पुलिस ने उनकी फोटो और लाइसेंस नंबर लेकर यह बताया कि उन्हें ऑनलाइन चालान भरना होगा। हालांकि, अनिल ने यह मामला कुछ दिनों तक याद रखा, लेकिन बाद में भूल गए और चालान का भुगतान नहीं किया।
कुछ महीनों बाद, जब अनिल अपने दोपहिया वाहन से संबंधित काम के लिए आरटीओ गए, तो उन्हें पता चला कि उनके नाम पर चार चालान हैं। तीन चालान सामान्य थे, जिनका भुगतान किया जा सकता था, लेकिन चौथा चालान 10 लाख रुपये से अधिक का था, जिसे देखकर उनके होश उड़ गए। यह गलती इतनी बड़ी थी कि उन्होंने पुलिस से संपर्क किया, और उन्हें ओढव पुलिस से कोर्ट का समन मिला। यह समन अनिल के लिए एक बड़ी चिंता का कारण बन गया, क्योंकि वह एक कानून के छात्र थे और उनके पिता एक छोटे व्यापारी थे। उन्हें यह सवाल था कि अगर कोर्ट ने 10 लाख रुपये भरने के लिए कहा तो वह कैसे इसे चुका सकेंगे?
इसके बाद, जब इस मामले की जांच की गई, तो पाया गया कि अनिल के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 194D के तहत चालान दर्ज किया गया था। इस धारा के तहत, चालान वाली गाड़ी का वजन तय सीमा से अधिक दिखाया गया था, जबकि असल में यह केवल हेलमेट न पहनने का मामला था। ट्रैफिक पुलिस के संयुक्त आयुक्त एन. एन. चौधरी ने इस गलती को स्वीकार किया और कहा कि वे कोर्ट को सूचित करेंगे और इस गलती को सही करेंगे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह गलती किस स्तर पर हुई।
यह मामला सिस्टम की लापरवाही को उजागर करता है, जहां एक मामूली गलती के कारण एक नागरिक को बड़े आर्थिक और कानूनी संकट का सामना करना पड़ा। इस घटना से यह संदेश मिलता है कि प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और गलती से पैदा हुई समस्याओं को तुरंत ठीक करना चाहिए, ताकि नागरिकों को ऐसी परेशानियों का सामना न करना पड़े।