नजरिया: तो क्या चीन की ताल पर नाच रहा नेपाल

Edited By Sanjeev Sharma,Updated: 06 Jan, 2020 01:47 PM

nepal china jammu kashmir ladakh kalapani

पड़ोसी राष्ट्र नेपाल ने भारत सीमा पर स्थित काला पानी पर अपना दावा जताया है। नेपाल के मुताबिक यह इलाका उसका है जबकि वर्तमान में इसपर भारत का अधिकार है।  यह दावा नेपाल ने हाल ही में भारत  द्वारा जारी नए परिसीमन नक्शे के जारी किए जाने के बाद किया है।

नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा ): पड़ोसी राष्ट्र नेपाल ने भारत सीमा पर स्थित काला पानी पर अपना दावा जताया है। नेपाल के मुताबिक यह इलाका उसका है जबकि वर्तमान में इसपर भारत का अधिकार है।  यह दावा नेपाल ने हाल ही में भारत  द्वारा जारी नए परिसीमन नक्शे के जारी किए जाने के बाद किया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद भारत ने नया नक्शा जारी किया था। इस नक्शे में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान और कुछ हिस्सों को शामिल किया गया था।  शेष नक्शे में कोई बदलाव नहीं है जैसा कि नेपाल कह रहा है।  कालापानी पर भारतीय नक्शा और दावा यथावत है। विशेष तौर पर 1962 के भारत चीन युद्ध के बाद से ही भारतीय सुरक्षाबल कालापानी की निगरानी कर रहे हैं। ऐसे में नेपाल के इस दावे पर  मंथन जरूरी है। दिलचस्प ढंग से यह नेपाल की स्थापना से लेकर अब तक पहलीबार है की नेपाल ने कालापानी को अपना इलाका बताया हो। इसलिए इसे चीन की भारत के खिलाफ ताज़ा चाल के रूप में जांचना परखना  अत्यावश्यक है। 

PunjabKesari

चीन लगातार भारतीय सीमा खासकर ऐसे पॉइंट्स पर कब्जे की फिराक में है जहां से उसे भारत के खिलाफ सामरिक सुदृढ़ता हासिल होती हो। इसके लिए उसने डोकलाम में चिकेन नेक के नाम से मशहूर भू-भाग को कब्जाने का पिछले साल ही प्रयास किया था जो विफल रहा। कालापानी की स्थिति भी वैसी ही है। इस क्षेत्र में स्थित लिपुलेख दर्रा चीन के लिए भारत में  घुसने का एक आसान मार्ग है जिसे वो हथियाना चाहता है, लेकिन भारत का कब्जा होने के चलते ऐसा संभव नहीं है इसलिए उसने नेपाल को इस काम के लिए उकसाया है। ड्रैगन कराकोरम में भारत द्वारा उसके महत्वकांक्षी ह्रक्चह्रक्र यानी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट पर आपत्ति से भी परेशान है। लद्दाख में उसकी घुसपैठ की कोशिशें भारतीय फौज पूरी ताकत से धकिया चुकी है।  ऐसे में उसने अब नेपाल के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाने का काम किया है। चीन इस मसले पर नेपाल में न सिर्फ राजनीतिक दलों को मैनेज रहा है बल्कि लोगों को भी प्रदर्शन करने के लिए लगातार उकसा रहा है। इस लिहाज से भारत को सजग होने की जरूरत है। 

PunjabKesari

कहां है काला पानी
कालापानी उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ ज़िले में है और यह कुल  35 वर्ग किलोमीटर के दायरे में है। वर्तमान में यह भू -भाग भारत तिब्बत सीमा पुलिस के अधीन है। उत्तराखंड की नेपाल से 80 किलोमीटर सीमा लगती है और चीन से करीब 344 किलोमीटर।  साल 1816 में ईस्ट इंडिया कम्पनी और नेपाल के बीच हुई संधि जिसे सुगौली संधि कहा जाता है के मुताबिक भारत नेपाल के बीच सीमा निर्धारण नेपाल की काली नदी  के आधार पर किया गया। नदी का उद्गम स्थल ही काला पानी है जो अब भारत के पास है। उस जगह 1962 के बाद  बाकयदा भारत ने सुरक्षाबल तैनात कर  दिए क्योंकि नोपल के बजाए चीन के लिहाज से यह क्षेत्र ज्यादा संवेदनशील हो गया था। नेपाल अब इसे विवादित कर  रहा है। उसके मुताबिक नदी का उद्गम उसके हिस्से में आता है।  हालांकि सुगौली संधि के मुताबिक ही 1960 में नेपाल का जब नया नक्शा जारी हुआ था तब कालापानी उसके नक़्शे में नहीं था और यह भारत का ही हिस्सा था।   

PunjabKesari

कैसे आया विवाद सामने 
दरअसल यह विवाद उस समय सुर्खियों में आया जब नेपाल की  शीर्ष अदालत ने इस बाबत एक याचिका की सुनवाई के दौरान नेपाल के पुराने नक्शों की मांग की। 1816 से पहले वाले नक्शे में कालापानी नेपाल में था। उसी साल हुई सुगौली संधि के बाद यह भारत में आया था। यही नहीं काला पानी को लेकर ईस्ट इंडिया कम्पनी और ब्रिटिश सरकार के नक्शों में भी भिन्नता थी। ईस्ट-इंडिया कंपनी ने 1 फरवरी, 1827 को एक नक्शा प्रकाशित किया था जिसमे कालापानी नेपाल में दर्शाया गया था। बाद में ब्रिटिश सरकार ने 1847 में एक अलग नक्शा प्रकाशित किया था और उसमे कालापानी भारतीय हिस्से में दिखाया गया था। उसके बाद से वही नक्शा यथावत रहा। बीच में 1962 में भारतीय सेना ने यहां स्थायी चौकी बना ली, उस समय भी नेपाल ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी।  हालाँकि अब नेपाल यह भी कह रहा है कि उसने 1961 में इस इलाके में जनगणना करवाई थी जिसपर भारत ने तब कुछ नहीं कहा था।  

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!