Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 25 Feb, 2025 02:58 PM
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महंगाई के बढ़ते दबाव और खपत में कमी के बीच, नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने आने वाले दिनों में अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाने पर विचार किया है।
बिजनेस डेस्क: महंगाई के बढ़ते दबाव और खपत में कमी के बीच, नेस्ले इंडिया (Nestle India) ने आने वाले दिनों में अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाने पर विचार किया है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायणन ने हाल ही में एक इंडस्ट्री कॉंफ्रेंस में यह संकेत दिया कि कॉफी, कोकोआ और खाद्य तेल (एडिबल ऑयल) के दामों में हो रही उछाल के कारण कंपनी अपने उत्पादों के दामों में वृद्धि करने पर विचार कर रही है। रॉयटर्स से बातचीत करते हुए सुरेश नारायणन ने कहा, "जब भी कीमतें बढ़ाना जरूरी हो जाता है तो हमें सख्त निर्णय लेना पड़ता है।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी का उद्देश्य होगा कि कीमतों में वृद्धि न्यूनतम हो, क्योंकि इससे वॉल्यूम ग्रोथ पर असर पड़ता है।
महंगाई के कारण घटा कॉरपोरेट इंडिया का मुनाफा
वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के दौरान, भारत के कॉरपोरेट सेक्टर का मुनाफा घटा है। इसका मुख्य कारण महंगाई और उपभोक्ताओं की ओर से खर्चों में की गई कटौती है। महंगाई ने उपभोक्ताओं के खर्च करने की क्षमता को प्रभावित किया है, जिससे उनकी खरीदारी में कमी आई है। इसी वजह से कई कंपनियों को अपने मुनाफे में गिरावट का सामना करना पड़ा है।
मिडिल क्लास के खर्च में कमी
नेस्ले इंडिया ने पहले ही स्वीकार किया था कि शहरी इलाकों में, विशेष रूप से मिडिल क्लास (Middle-Class) परिवारों में खर्चों में कमी आई है। इसके कारण नेस्ले इंडिया के कुछ प्रमुख उत्पादों जैसे कि दूध और चॉकलेट के सेगमेंट में डिमांड में गिरावट आई है। सुरेश नारायणन ने पहले कहा था कि "प्रीमियम उत्पादों की खपत में मजबूती बनी हुई है, लेकिन मिडिल सेगमेंट में डिमांड घट रहा है।" मिडिल क्लास की खर्च की आदतें बदल रही हैं, और वे अब अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से खर्च कर रहे हैं।
नेशनल बजट और खपत डिमांड में वृद्धि के प्रयास
भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में खपत डिमांड को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार ने पर्सनल इनकम टैक्स में बड़ी कटौती की है, ताकि टैक्स का बोझ कम हो और लोग अधिक खर्च कर सकें। इस कदम से उपभोक्ताओं के पास अतिरिक्त आय होगी, जिससे खपत में वृद्धि हो सकती है। यह कदम खासकर मिडिल क्लास परिवारों को राहत दे सकता है, जो पहले अपनी खर्च की आदतों में कटौती कर रहे थे।
नेस्ले इंडिया का दाम बढ़ाने का फैसला
कॉफी, कोकोआ और खाने के तेल जैसे प्रमुख उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी से नेस्ले इंडिया की लागत बढ़ी है। इससे कंपनी को अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ाने पर विचार करना पड़ रहा है। सुरेश नारायणन ने कहा कि कंपनी की कोशिश होगी कि जितना हो सके कीमतों में वृद्धि को कम किया जाए, क्योंकि इससे वॉल्यूम ग्रोथ पर असर पड़ता है और ग्राहकों की मांग में कमी आ सकती है।
एफएमसीजी कंपनियों की चुनौती
एफएमसीजी कंपनियों, जैसे कि नेस्ले इंडिया, को इस समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई, उपभोक्ताओं के खर्चों में कमी और डिमांड की घटती वृद्धि के कारण इन कंपनियों के लिए व्यवसाय चलाना कठिन हो गया है। इसके बावजूद, नेस्ले इंडिया ने शहरी इलाकों में और मिडिल क्लास के बीच डिमांड में कमी को स्वीकार किया है, जो इसके लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है।