Edited By Mahima,Updated: 02 Dec, 2024 01:52 PM
लोकसभा के शीतकालीन सत्र में सांसदों की सीटों पर अब नेमप्लेट लगाई जाएगी, जिससे उनकी पहचान आसान होगी। पीएम मोदी की सीट पर पहली नेमप्लेट होगी। इसके तहत सांसदों के नाम और डिवीजन नंबर होंगे। विपक्षी दलों ने सीट आवंटन पर आपत्ति जताई है, खासकर कांग्रेस और...
नेशनल डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत 25 नवंबर को हुई थी, और इस सत्र के साथ एक नया बदलाव भी देखने को मिल रहा है। अब लोकसभा में हर सांसद की सीट पर उनका नाम और डिवीजन नंबर लिखा हुआ एक नेमप्लेट लगा होगा। इस पहल का उद्देश्य सदन की कार्यवाही को और अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। हालांकि, इस बदलाव को लेकर कुछ विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति भी जताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली पहली सीट
लोकसभा की सीटों का आवंटन पहले ही किया जा चुका था। विशेष ध्यान इस बात पर दिया गया कि संसद के पहले सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की नेमप्लेट लगे। यह परंपरा रही है कि सदन का नेता, यानी प्रधानमंत्री, हमेशा पहली सीट पर बैठते हैं। बाकी सीटों का आवंटन सांसदों के डिवीजन नंबर के आधार पर किया जाएगा। सभी सांसदों को एक विशिष्ट डिवीजन नंबर दिया जाता है, जिसके अनुसार उनकी सीट निर्धारित होती है। इसके अलावा, सीट पर नाम के साथ डिवीजन नंबर भी लिखा होगा, जिससे उन्हें पहचानने में आसानी होगी। यह बदलाव लोकसभा की कार्यवाही को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से किया गया है, ताकि सांसदों को नाम से बुलाना सरल हो सके और किसी भी प्रकार की कंफ्यूजन से बचा जा सके।
नेमप्लेट के फायदे
नेमप्लेट लगाने का यह कदम कई फायदे लेकर आया है। सबसे पहले, सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी। पहले, सांसदों को अपने नाम से पुकारने में कई बार समस्या आती थी, अब यह नाम उनकी सीट पर स्पष्ट रूप से लिखा होगा। इस व्यवस्था से सांसदों के विचार रखने में भी सुविधा होगी, क्योंकि उन्हें अपनी सीट से बिना उठे ही अपनी बात रख सकेंगे, जिससे सदन की कार्यवाही में अड़चन नहीं आएगी। साथ ही, यह नेमप्लेट सांसदों के स्थान और डिवीजन नंबर को भी स्पष्ट करेगी, जो वोटिंग के समय मददगार साबित होगी। इसके अलावा, जब वोटिंग होती है, तो हर सांसद अपने डिवीजन नंबर के आधार पर वोट डालेगा, जो इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
विपक्षी पार्टियों की आपत्ति
जहां एक ओर सरकार ने यह कदम संसद में कार्यवाही को बेहतर बनाने के लिए उठाया है, वहीं कई विपक्षी पार्टियों ने इस व्यवस्था पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा सीटों के आवंटन पर आपत्ति व्यक्त की है। कांग्रेस का कहना है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को अधिक आगे की सीट पर बैठाना चाहिए था, ताकि विपक्ष एकजुट दिखाई देता। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और राहुल गांधी की सीटें एक-दूसरे से दूर हैं, जिसे लेकर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस का मानना है कि दोनों नेताओं की सीटों के पास होना चाहिए, ताकि विपक्ष एकजुटता का संदेश दे सके। टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने भी सीटों के आवंटन पर सवाल उठाया है। टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय को सदन में आगे की सीट दी गई है, लेकिन बाकी टीएमसी सांसदों को केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के पीछे बैठाया गया है। इस पर सुदीप ने कहा कि वह अपनी पार्टी के नेताओं से अलग क्यों बैठेंगे, यह निर्णय पार्टी की एकजुटता को प्रभावित कर सकता है।
कैसे होता है सीटों का आवंटन?
लोकसभा में सीटों का आवंटन एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत होता है। हर सांसद को एक विशिष्ट डिवीजन नंबर आवंटित किया जाता है, जिसके आधार पर उनकी सीट तय होती है। यह डिवीजन नंबर वोटिंग के समय महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि सभी सांसद अपने डिवीजन नंबर के अनुसार वोट डालते हैं। हालांकि, यह डिवीजन नंबर गोपनीय होते हैं और इनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। लोकसभा में सांसदों के नाम की नेमप्लेट लगाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सदन की कार्यवाही को अधिक प्रभावी और व्यवस्थित बनाएगा। हालांकि, विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, यह पहल संसद में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक अहम कदम साबित हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह व्यवस्था सदन की कार्यवाही को कैसे प्रभावित करती है और क्या इससे सांसदों के बीच बेहतर तालमेल बनेगा।