New Chief Justice: CJI चंद्रचूड़ की जगह लेंगे नए चीफ जस्टिस, जानिए कौन है जस्टिव संजीव खन्ना?

Edited By Mahima,Updated: 17 Oct, 2024 12:31 PM

new chief justice will replace cji chandrachud justice sanjeev khanna

जस्टिस संजीव खन्ना, जो दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, 11 नवंबर 2024 से भारत के नए चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। उनका कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा। वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। उम्मीद है...

नेशनल डेस्क: भारत के सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान चीफ जस्टिस, जस्टिस चंद्रचूड़, 10 नवंबर 2024 को रिटायर होने जा रहे हैं। उनके रिटायरमेंट के बाद, सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जस्टिस, संजीव खन्ना, नए चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे। सरकार ने जस्टिस खन्ना को इस पद के लिए चयनित करने की सिफारिश की है, और वे 11 नवंबर 2024 से आधिकारिक रूप से अपने कर्तव्यों का आरंभ करेंगे। उनके पास लगभग छह महीने का कार्यकाल होगा, और वे 13 मई 2025 को रिटायर होंगे।

जस्टिस संजीव खन्ना: एक परिचय
जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका के एक प्रतिष्ठित न्यायाधीश हैं। वे दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, और यह पद उनके पिता, देव राज खन्ना, के पास भी रहा है। इस प्रकार, यह एक महत्वपूर्ण पारिवारिक परंपरा है जिसमें उनके परिवार का न्यायिक क्षेत्र में गहरा योगदान है। 

शिक्षा और प्रारंभिक करियर
जस्टिस खन्ना की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से हुई है, जहां से उन्होंने कानून की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने वकालत में प्रवेश किया और अपने करियर की शुरुआत दिल्ली में की। अपने करियर में उन्होंने कई उच्च-profile मामलों की सुनवाई की है, जिससे उनकी न्यायिक समझ और अनुभव में इजाफा हुआ।

प्रमुख पद और कार्यक्षेत्र
जस्टिस खन्ना का करियर कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करते हुए बीता है। वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। NALSA का कार्य कानूनी सहायता प्रदान करना है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो समाज के कमजोर वर्गों से संबंधित हैं। यह संस्था सुनिश्चित करती है कि सभी नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी हो और उन्हें आवश्यक सहायता मिल सके।

सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी
2023 तक, जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इस समिति का उद्देश्य कानूनी सहायता के कार्यक्रमों का संचालन करना और यह सुनिश्चित करना है कि न्याय का लाभ सभी को मिले। उनकी इस भूमिका में उन्होंने विशेष रूप से उन मामलों पर ध्यान दिया है जहां जरूरतमंद लोगों को न्याय मिलना मुश्किल होता है।

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी
इसके अलावा, वे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं। यहां, न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे न्यायाधीशों को अपने कार्य में और दक्ष बनाया जा सके।

न्यायिक दृष्टिकोण और उपलब्धियाँ
जस्टिस खन्ना का न्यायिक करियर कई महत्वपूर्ण और जटिल मामलों से भरा हुआ है। वे अपने निर्णयों में निष्पक्षता, तर्क और साक्ष्य के प्रति सख्ती से समर्पित रहे हैं। उनके द्वारा लिए गए कई निर्णयों ने न केवल कानून को स्पष्ट किया है, बल्कि समाज में भी न्याय के प्रति एक नई जागरूकता लाई है। उनकी न्यायिक सोच में यह महत्वपूर्ण बात शामिल है कि न्याय केवल कानून के माध्यम से नहीं, बल्कि मानवता और नैतिकता के सिद्धांतों के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने कई मौकों पर यह भी कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने की आवश्यकता है, ताकि आम लोग आसानी से न्याय प्राप्त कर सकें।

उम्मीदें और चुनौतियाँ
जस्टिस खन्ना की नियुक्ति से न्यायपालिका में नई दिशा देखने की संभावना है। उनकी न्यायिक दृष्टि और निर्णय लेने की क्षमता उन्हें एक प्रभावी चीफ जस्टिस बना सकती है। इस नए कार्यकाल में, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे:
1. न्यायिक विलंब: भारतीय न्याय प्रणाली में मामलों के लंबित रहने की समस्या बहुत गंभीर है। जस्टिस खन्ना को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
2. सामाजिक न्याय: समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित करना एक और महत्वपूर्ण चुनौती होगी। जस्टिस खन्ना ने अपने पिछले कार्यों में इस दिशा में काम किया है, और उम्मीद की जा रही है कि वे इसे और आगे बढ़ाएंगे।
3. न्यायिक सुधार: न्याय प्रणाली में सुधार लाने के लिए नई नीतियों और प्रक्रियाओं की आवश्यकता होगी। जस्टिस खन्ना की नेतृत्व में यह संभव हो सकता है।

जस्टिस संजीव खन्ना का नया कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण चरण साबित होगा। उनकी पिछली उपलब्धियों और अनुभवों के आधार पर, उम्मीद की जा रही है कि वे न्याय व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए प्रयासरत रहेंगे। 

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