New Criminal Laws in India: 420 हो जाएगी 316, 302 कहलाएगी 101, आज से लागू हुए 3 नए अपराधिक कानून

Edited By Utsav Singh,Updated: 01 Jul, 2024 09:20 PM

new criminal laws in india 420 will become 316 302 will become 101

देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून आज से गुजरे वक्त की बात हो जाएगी। आज 1 जुलाई से 3 नए अपराधिक  कानून देश में लागू होने जा रहे है। तो आइये जानते हैं तीनों नए आपराधिक कानून लागू होने से क्‍या-क्‍या बदल जाएगा। पुरानी कौन सी धाराएं खत्‍म हो...

नई दिल्ली : देश में अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून आज से गुजरे वक्त की बात हो जाएगी। आज 1 जुलाई से 3 नए अपराधिक  कानून देश में लागू होने जा रहे है। तो आइये जानते हैं तीनों नए आपराधिक कानून लागू होने से क्‍या-क्‍या बदल जाएगा। पुरानी कौन सी धाराएं खत्‍म हो जाएंगी? भारतीय दंड संहिता  (1860) की जगह भारतीय न्‍याय संहिता (BNS), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम (1872) की जगह भारतीय साक्ष्‍य अधिनियम (BSA) लाए जा रहे हैं। 

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511 की जगह BNS में 358 ही धाराएं रह गई
आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, वहीं, भारतीय न्याय संहिता में 358 ही धाराएं रह गई हैं। भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं।  33 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ाई गई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है।  83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है। अधिनियम में 19 धाराएं हटा दी गई हैं। 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 22 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है। 

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CRPC की जगह अब BNSS ने ले ली
दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि 9 नई धाराएं और 39 नई उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है। साथ ही 35 सेक्शन पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है। कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं। नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं।  इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं। 

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आतंकवाद में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा
देश की एकता, अखंडता और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पैदा करने को आतंकवाद की कैटेगिरी में रखा गया है। BNS की धारा 113 में इसका जिक्र किया गया है। इसमें भारतीय मुद्रा की तस्करी भी शामिल होगी। आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। आतंकी साजिश रचने के लिए 5 साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। आतंकवादी संगठन से जुड़ने पर उम्रकैद या जुर्माने का प्रावधान है। आतंकियों को छिपाने पर तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा हो सकती है। जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

आइए जानते हैं धाराओं में हुए कुछ अहम बदलाव को ...

धारा 124: 
आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत 'राजद्रोह' को एक नया शब्द 'देशद्रोह' मिला है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में 'देशद्रोह' को रखा गया है। अब इसकी धारा 152 है। 

धारा 144 : आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने से जुड़ा था।  इसे भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है। 

धारा 302 : किसी की हत्या करने पर पहले धारा 302 लगता था।  अब नए कानून में धारा 101 के तहत सजा देने का प्रावधान है।  नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा। 

धारा 307: नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है। 

धारा 376 : दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा के लिए आईपीसी की धारा 376 के तहत सजा सुनाई जाती थी। नए कानून में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है।  वहीं, सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी की जगह धारा 70 का इस्‍तेमाल किया जाएगा। 

धारा 399: पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि, आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है। 

धारा 420 : पहले ठगी, धोखाधड़ी में धारा 420 के तहत सजा का प्रावधान था। नए कानून में धारा 316 के तहत सजा का प्रावधान है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।

 

 

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