Edited By Rohini Oberoi,Updated: 21 Mar, 2025 04:38 PM

भारत सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स के नियमों में एक अहम बदलाव किया है। इसके तहत 1 अप्रैल 2025 से इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम लागू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू का सही वितरण सुनिश्चित करना है। इस सिस्टम के...
नेशनल डेस्क। भारत सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स के नियमों में एक अहम बदलाव किया है। इसके तहत 1 अप्रैल 2025 से इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम लागू किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू का सही वितरण सुनिश्चित करना है। इस सिस्टम के जरिए राज्य सरकारें उन शेयर्ड सर्विसेज पर उचित मात्रा में टैक्स वसूल करेंगी जो एक ही स्थान पर दी जा रही हैं।
ISD मैकेनिज्म का उद्देश्य
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य टैक्स रेवेन्यू का सही वितरण सुनिश्चित करना है। जब व्यवसाय कई राज्यों में काम कर रहे होते हैं तो यह सिस्टम उनके लिए फायदा पहुंचाता है। इस प्रणाली के तहत व्यवसाय अपनी एक हेडक्वार्टर में कॉमन इनपुट सर्विस के इनवॉइस को केंद्रीकृत कर सकते हैं। इससे उन शाखाओं के बीच इनपुट टैक्स क्रेडिट का सही तरीके से वितरण किया जा सकेगा जो शेयर्ड सर्विसेज का उपयोग करती हैं।
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इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ
इनपुट टैक्स क्रेडिट वह टैक्स होता है जो व्यवसाय अपनी खरीद पर चुकाते हैं। इस टैक्स को वे अपने आउटपुट टैक्स से घटा सकते हैं जिससे उनकी कुल जीएसटी देनदारी कम हो जाती है। नए नियमों के तहत ISD सिस्टम का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है ताकि ITC का सही वितरण हो सके।

नए नियमों की विशेषताएँ
व्यवसायों के पास कॉमन ITC को अपने अन्य GST रजिस्ट्रेशन में आवंटित करने के लिए दो विकल्प थे - ISD मैकेनिज्म या क्रॉस-चार्ज मेथड लेकिन अब 1 अप्रैल 2025 से यदि कोई व्यवसाय ISD सिस्टम का इस्तेमाल नहीं करता है तो उसे रेसिपिएंट लोकेशन के लिए ITC नहीं दी जाएगी। इसके अलावा यदि ITC का गलत वितरण होता है तो टैक्स अथॉरिटी ब्याज सहित राशि वसूल करेगी और इसके लिए जुर्माना भी लगाया जाएगा। जुर्माना ITC की राशि के बराबर हो सकता है या 10,000 रुपए से अधिक हो सकता है।

नया जीएसटी सिस्टम
माना जा रहा है कि यह बदलाव जीएसटी सिस्टम को और अधिक व्यवस्थित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। ISD सिस्टम न केवल राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू का सही वितरण करेगा बल्कि व्यवसायों को भी अपनी टैक्स देनदारियों को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने में मदद करेगा। इस कदम से टैक्स चोरी को रोकने और सिस्टम में पारदर्शिता लाने में मदद मिलेगी।
वहीं इस बदलाव के साथ व्यवसायों को अपनी टैक्स व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित करने और सही तरीके से टैक्स चुकाने में सहायता मिलेगी जिससे जीएसटी सिस्टम और भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी होगा।