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12 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए नया इनकम टैक्स लागू, अब किस सैलरी पर मिलेगा फायदा

Edited By Rahul Rana,Updated: 02 Apr, 2025 12:46 PM

new income tax regime implemented now on which salary will you get

1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है, और इस दिन से ही बजट में हुए बदलाव लागू हो गए हैं। इन बदलावों के तहत, नया टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम दोनों में कुछ अहम परिवर्तन किए गए हैं। खास बात यह है कि इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने...

नेशनल डेस्क: 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर शुरू हो गया है, और इस दिन से ही बजट में हुए बदलाव लागू हो गए हैं। इन बदलावों के तहत, नया टैक्स रिजीम और ओल्ड टैक्स रिजीम दोनों में कुछ अहम परिवर्तन किए गए हैं। खास बात यह है कि इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए टैक्स को शून्य कर दिया है, जिसका फायदा टैक्सपेयर को होगा।

नया टैक्स रिजीम: क्या बदला?

नए टैक्स रिजीम में 0 से लेकर 24 लाख रुपये तक की कमाई पर अलग-अलग टैक्स स्लैब लगाए गए हैं। सबसे खास बात यह है कि अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 12 लाख रुपये तक है, तो उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा, सैलरी बेस्ड लोगों को 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा, जिससे उनकी टैक्सेबल आय पर राहत मिलेगी। यहां तक कि अगर किसी की सैलरी 20 लाख से 24 लाख रुपये के बीच है, तो उसे 25 प्रतिशत टैक्स देना पड़ेगा। अब यह नया टैक्स स्लैब ओल्ड टैक्स रिजीम से थोड़ा अलग है, क्योंकि ओल्ड रिजीम में ऐसी कोई छूट नहीं मिलती।

इनकम टैक्स स्लैब (रुपए में)    इनकम टैक्स रेट (%)
0-4,00,000    0
4,00,001-8,00,000    5
8,00,001-12,00,000    10
12,00,001-16,00,000    15
16,00,001-20,00,000    20
20,00,001-24,00,000    25
24,00,001 and above    30

ओल्ड टैक्स रिजीम: कौन सा बेहतर विकल्प?

हालांकि, ओल्ड टैक्स रिजीम को ज्यों का त्यों रखा गया है, इसमें टैक्सपेयर को कई फायदे मिल सकते हैं। अगर आप HRA (हाउस रेंट अलाउंस), होम लोन या मेडिकल खर्चों जैसी डिडक्शन का लाभ लेते हैं, तो ओल्ड टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ओल्ड टैक्स रिजीम में आपको 80C, 80D और होम लोन के ब्याज पर डिडक्शन मिलता है, जो नए टैक्स रिजीम में नहीं मिलेगा। अगर आपकी आय 15 लाख रुपये से ज्यादा है और आप डिडक्शन का फायदा उठाते हैं, तो ओल्ड रिजीम में आपका टैक्स कम हो सकता है। वहीं, न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब भले कम हों, लेकिन डिडक्शन न मिलने से टैक्स ज्यादा हो सकता है। 

TDS सीमा में बदलाव

इस बार बजट में TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा भी बढ़ाई गई है। रेंट से होने वाली इनकम पर TDS की सीमा 2.4 लाख से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है। इसके अलावा, वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक FD पर ब्याज आय पर TDS की सीमा 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। इसी तरह, प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है। इन बदलावों का असर यह होगा कि कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और उनकी नकदी प्रवाह में सुधार होगा।

आय सीमा (₹)    कर दर (%)
2,50,000 तक    शून्य (कोई कर नहीं)
2,50,001 – 5,00,000    5%
5,00,001 – 10,00,000    20%
10,00,000 से अधिक    30%

कौन सा विकल्प चुनें?

अगर आप ज्यादा डिडक्शन का लाभ लेते हैं, जैसे कि HRA, होम लोन या मेडिकल खर्च, तो ओल्ड टैक्स रिजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। वहीं, अगर आपकी आय कम है और आप ज्यादा डिडक्शन नहीं ले पाते, तो न्यू टैक्स रिजीम आपके लिए बेहतर हो सकता है। टैक्सपेयर को अपनी आय, खर्च और निवेश के आधार पर दोनों रिजीम्स का सही मूल्यांकन करना चाहिए ताकि वह अपनी टैक्स योजना को सही ढंग से बना सके।

 

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