Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 27 Jan, 2025 05:39 PM
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में देश में बड़े आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। आने वाले समय में, विशेष रूप से 2025-29 के बीच, कई क्षेत्रों में सुधारों का सिलसिला और तेज़ होगा। इनमें प्रमुख तौर पर कर ढांचे में बदलाव, पुराने कानूनों को हटाना...
नेशनल डेस्क: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में देश में बड़े आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। आने वाले समय में, विशेष रूप से 2025-29 के बीच, कई क्षेत्रों में सुधारों का सिलसिला और तेज़ होगा। इनमें प्रमुख तौर पर कर ढांचे में बदलाव, पुराने कानूनों को हटाना और व्यापार विनियमन को नए सिरे से व्यवस्थित करने जैसे सुधार शामिल हैं। इन सुधारों का उद्देश्य न केवल कर का बोझ हल्का करना है, बल्कि भारत में निवेश का माहौल भी बेहतर बनाना है। मोदी सरकार अगले केंद्रीय बजट में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बना रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट 2025-26 में कर सुधारों पर जोर दिया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, छूट सीमा और कर स्लैब में ऐसे बदलाव किए जा सकते हैं, जो नागरिकों के वास्तविक आय स्तर के अनुरूप हों। इससे भारतीयों को ज्यादा कर छूट मिलेगी और उनकी वास्तविक आय पर कर का दबाव कम होगा। 1950 के दशक से ही भारतीय कर नीति में कई बदलाव किए गए, लेकिन इन सुधारों से आम नागरिकों को ज्यादा फायदा नहीं हुआ। अब सरकार का उद्देश्य कर के बोझ को हल्का करने और औपनिवेशिक दौर के कानूनों को हटाने की दिशा में बड़ा कदम उठाना है।
पुराने कानूनों में सुधार
भारत के ऐतिहासिक कानूनों में कई विसंगतियाँ हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। जैसे वक्फ अधिनियम, जो भारतीय संविधान के खिलाफ माना जा सकता है, और समान नागरिक संहिता (UCC) का अभाव, जो समाज में समानता की ओर एक कदम है। इन दोनों में बदलाव की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है। इसके अलावा, व्यापार विनियमन में भी सुधार की आवश्यकता है, ताकि औपनिवेशिक काल के अत्यधिक कठोर और जटिल कानूनों को हटाया जा सके।
जीएसटी और टैक्स सुधार
जीएसटी सुधारों की दिशा में भी सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। जीएसटी में कई राज्य सरकारों के विरोध के बावजूद, अब सरकार इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए काम कर रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में जीएसटी को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए कई सुधार पेश किए जाएंगे। इसके अलावा, टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया जा सकता है ताकि टैक्स भुगतान करना आसान और नागरिकों के लिए लाभकारी हो।
प्रधानमंत्री मोदी का दृढ़ नेतृत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपनिवेशिक दौर के कई पुराने कानूनों को खत्म किया है, जो भारतीय आर्थिक प्रणाली में जड़ें जमा चुके थे। इन कानूनों की वजह से कई संभावित निवेशक भारत में निवेश करने से कतराते थे। अब, मोदी सरकार ने एक नए और निवेश-friendly वातावरण को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। इसके परिणामस्वरूप, भारत में व्यापार और निवेश के अवसरों में वृद्धि हुई है, और निवेशकों का विश्वास भी बढ़ा है।
महिला कार्यबल और डिजिटल अर्थव्यवस्था
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल अर्थव्यवस्था की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत में डिजिटल भुगतान के मामले में एक बड़ा बदलाव देखा गया है, जहां अब छोटे व्यापारियों से लेकर बड़े उद्योगपतियों तक, सभी डिजिटल भुगतान को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा, महिला कार्यबल की बढ़ती भागीदारी भी एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जो अर्थव्यवस्था में और अधिक योगदान दे रही है।
2029 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का लक्ष्य
2024 के लोकसभा चुनावों में मोदी विरोधी आंदोलन (AMM) ने बीजेपी की सीटों की संख्या को 220 तक सीमित करने का प्रयास किया, हालांकि वह केवल 20 सीटों से चूक गए। 2029 के चुनावों में बीजेपी का लक्ष्य अब 340 सीटों तक पहुंचने का है, और सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है। इससे देश में विकास की गति तेज़ होगी और सामाजिक व आर्थिक विभाजन की कोशिशों को भी विफल किया जाएगा।