Edited By Parminder Kaur,Updated: 26 Dec, 2024 10:20 AM
राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेसहारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए NHAI (राष्ट्रीय उच्चमार्ग प्राधिकरण) ने एक महत्वपूर्ण पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत राजमार्गों पर पशुओं के...
नेशनल डेस्क. राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेसहारा पशुओं के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए NHAI (राष्ट्रीय उच्चमार्ग प्राधिकरण) ने एक महत्वपूर्ण पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत राजमार्गों पर पशुओं के लिए आश्रयस्थल बनाए जाएंगे, ताकि सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके और पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
क्यों जरूरी है यह पहल?
राष्ट्रीय राजमार्गों पर बेसहारा पशुओं के घुसने से दुर्घटनाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन दुर्घटनाओं से न केवल वाहनों में सवार लोग प्रभावित होते हैं, बल्कि पशु भी दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। पहले फेंसिंग और बैरियर जैसे उपाय किए गए थे, लेकिन वे पूरी तरह से प्रभावी साबित नहीं हुए हैं। या तो उनकी ऊंचाई कम होती है, या उनका रखरखाव ठीक से नहीं होता। अब NHAI ने निर्णय लिया है कि ऐसे स्थानों पर पशु आश्रयस्थल बनाए जाएं, जहां इन बेसहारा पशुओं को एक सुरक्षित स्थान मिल सके और वे सड़क पर न आ सकें। इसके साथ ही अगर कोई पशु दुर्घटना का शिकार हो जाता है, तो उसे इलाज की सुविधा भी मिल सकेगी।
कहां बनेंगे ये आश्रयस्थल?
आश्रयस्थलों का निर्माण उन हाईवे और एक्सप्रेसवे के आसपास किया जाएगा, जहां पर बेसहारा पशु अक्सर सड़क पर आ जाते हैं। इसके तहत उत्तर प्रदेश-हरियाणा सीमा के रोहना सेक्शन पर खरखोदा और हांसी बाईपास पर आश्रयस्थल बनाए जाएंगे। इसके अलावा कीरतपुर-नेर चौक पर भी एक और आश्रयस्थल की योजना है।
आश्रयस्थलों में मिलेंगी ये सुविधाएं
इन आश्रयस्थलों में पशुओं के लिए कई सुविधाएं दी जाएंगी। NHAI ने इसके लिए एक ठेकेदार कंपनी के साथ समझौता किया है, जो इन आश्रयस्थलों का निर्माण करेगी और उनका रखरखाव भी करेगी। आश्रयस्थलों में निम्नलिखित सुविधाएं दी जाएंगी:
चारा और पानी – पशुओं के लिए उचित चारा और पानी की व्यवस्था होगी।
फर्स्ट एड – अगर कोई पशु घायल हो जाता है, तो पहले इलाज की व्यवस्था भी की जाएगी।
केयरटेकर – आश्रयस्थलों में पशुओं की देखभाल करने के लिए कर्मचारी होंगे।
पशु एंबुलेंस – आश्रयस्थलों में एंबुलेंस की व्यवस्था भी होगी, ताकि घायल पशुओं को इलाज के लिए अस्पताल भेजा जा सके।
पशु अस्पताल – आश्रयस्थल के आसपास 50 किलोमीटर की दूरी पर एक पशु अस्पताल की भी व्यवस्था की जाएगी, ताकि तुरंत इलाज किया जा सके।
NHAI का बयान
NHAI के चेयरमैन संतोष यादव ने इस पहल को देश में सुरक्षित हाईवे नेटवर्क स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। उन्होंने कहा कि इस पहल से न केवल हाईवे पर चलने वाले वाहन सवारों की सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि दुर्घटना का शिकार होने वाले और दुर्घटना का कारण बने पशुओं के प्रति सहानुभूति का भी संकेत मिलेगा।