Nissan और Honda का विलय, बनेगी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कंपनी

Edited By Parminder Kaur,Updated: 24 Dec, 2024 11:09 AM

nissan and honda merge to form the world third largest car company

एक समय दुनिया के कार बाजार पर दबदबा रखने वाली जापान की प्रमुख कार कंपनियां निसान और होंडा अब चीन से मिल रही बढ़ती चुनौतियों के कारण एकजुट होने जा रही हैं। दोनों कंपनियों ने आपस में विलय करने के लिए समझौता कर लिया है, जो जून 2025 तक पूरा होने की...

ऑटो डेस्क. एक समय दुनिया के कार बाजार पर दबदबा रखने वाली जापान की प्रमुख कार कंपनियां निसान और होंडा अब चीन से मिल रही बढ़ती चुनौतियों के कारण एकजुट होने जा रही हैं। दोनों कंपनियों ने आपस में विलय करने के लिए समझौता कर लिया है, जो जून 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस विलय में निसान के सहयोगी मित्सुबिशी भी शामिल हैं।

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अगर यह विलय सफल रहा, तो यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बन जाएगी। अभी बाजार में सबसे बड़ी कार कंपनी टेस्ला (119 लाख करोड़ रुपए के पूंजीकरण के साथ) है। दूसरे नंबर पर जापान की टोयोटा (19.63 लाख करोड़ रुपए) है और तीसरे नंबर पर चीन की बीवाईडी (9.09 लाख करोड़ रुपए) है। वर्तमान में होंडा का बाजार पूंजीकरण 3.40 लाख करोड़ रुपए और निसान का 85 हजार करोड़ रुपए है, जिससे दोनों कंपनियां टॉप-10 में शामिल नहीं हैं। लेकिन, विलय के बाद इन दोनों का बाजार पूंजीकरण और आय बीवाईडी से भी ज्यादा होगी। कारों की बिक्री के हिसाब से देखें तो जापान की टोयोटा (7.80 लाख यूनिट्स) पहले स्थान पर है, जबकि होंडा (3.50 लाख यूनिट्स) सातवें और निसान (3.30 लाख यूनिट्स) नौवें स्थान पर है।

मर्जर की जरूरत क्यों पड़ी?

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चीन खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) क्षेत्र में दुनिया भर की कंपनियों को पछाड़ने में सफल रहा है। नवंबर 2023 में दुनिया में जितनी भी ईवी बेची गईं, उनका 70% हिस्सा चीन का था। अक्टूबर में चीन की कंपनी बीवाईडी ने एलन मस्क की टेस्ला को पीछे छोड़ दिया था। वहीं, ईवी की बढ़ती लागत के कारण यूरोप की प्रमुख कार निर्माता कंपनी ऑडी यूरोप में अपने प्लांट बंद कर रही है और उसकी पैरेंट कंपनी फॉक्सवैगन भी कारोबार समेट रही है। इन सभी कारणों से जापानी कंपनियों को मर्जर की जरूरत महसूस हुई है, ताकि वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रह सकें।

मर्जर के बाद नई कंपनी का नाम क्या होगा?

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इस विलय के बाद नई कंपनी का नाम फिलहाल तय नहीं किया गया है। हालांकि, अगस्त 2026 तक विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी तीनों कंपनियों की पहचान बनी रहेगी, लेकिन वे एक संयुक्त या "अंबेला" कंपनी के तहत काम करेंगी। इस नई संरचना में पुरानी कारों की सर्विसिंग भी जारी रहेगी।

 

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मर्जर से ईवी और सेल्फ-ड्राइविंग तकनीक में बदलाव

निसान और होंडा का मर्जर ऑटोमोटिव तकनीक में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। खासतौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) और सेल्फ-ड्राइविंग वाहनों के क्षेत्र में नए इनोवेशन की दिशा खुलेगी। तीनों कंपनियों के मिलकर काम करने से साझा संसाधनों का उपयोग होगा, जिससे नई तकनीकों और उत्पादों के विकास में तेजी आएगी। इसके अलावा साझा वाहन प्लेटफॉर्म का उपयोग लागत को कम करेगा और विभिन्न ब्रांड अपनी पहचान बनाए रखते हुए विकास कर सकेंगे।

इस मर्जर से अनुमानित तौर पर संयुक्त यूनिट की सालाना आय लगभग 16.28 लाख करोड़ रुपये हो सकती है। इस राशि का इस्तेमाल रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मार्केट विस्तार में किया जाएगा, जिससे ऑटोमोटिव क्षेत्र में नवाचार को और गति मिलेगी। इसके अलावा सप्लाई चेन इकोसिस्टम भी लचीला बनेगा, जिससे उत्पादन की लागत में कमी आएगी और सप्लाई की स्थिरता बढ़ेगी।

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