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राज्यसभा में मिले 500 रुपये के नोटों की गड्डी पर किसी ने दावा नहीं किया, उपराष्ट्रपति ने जताया अफसोस

Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 13 Jan, 2025 06:32 PM

no one claimed the bundle of 500 rupee notes regret

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा में पिछले महीने हुई एक घटना पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को राज्यसभा की एक सीट से मिली 500 रुपये की नोटों की गड्डी पर कोई भी संसद सदस्य सामने नहीं आया और इस पर दावा...

नेशनल डेस्क: उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्यसभा में पिछले महीने हुई एक घटना पर अफसोस जताया। उन्होंने कहा कि छह दिसंबर को राज्यसभा की एक सीट से मिली 500 रुपये की नोटों की गड्डी पर कोई भी संसद सदस्य सामने नहीं आया और इस पर दावा नहीं किया। इस घटना ने संसद में एक नई चर्चा को जन्म दिया है और धनखड़ ने इसे ‘‘हमारे नैतिक मानदंडों के लिए एक सामूहिक चुनौती'' बताया।

राज्यसभा में हुआ था हंगामा

6 दिसंबर को राज्यसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी बरामद हुई थी। यह घटना राज्यसभा में काफी हंगामा का कारण बनी। विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे। कांग्रेस नेता सिंघवी ने इस घटना को ‘‘सुरक्षा चूक'' बताते हुए इसकी जांच की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सांसदों की अनुपस्थिति में सीटों पर कुछ भी रखने से रोकने के लिए कांच के घेरे बनाए जाने चाहिए।

उपराष्ट्रपति का बयान आया सामने

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर कहा, ‘‘मेरी पीड़ा की कल्पना कीजिए। लगभग एक महीने पहले राज्यसभा में एक सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली थी। मुझे दुख हुआ कि कोई भी इसे लेने नहीं आया।'' उन्होंने इसे एक ‘‘बहुत गंभीर मुद्दा'' करार देते हुए यह भी कहा कि ऐसे मामलों में जरूरत के अनुसार नोट साथ रखना सामान्य हो सकता है, लेकिन फिर भी किसी ने इस पर दावा नहीं किया, जो कि ‘‘नैतिक मानदंडों के लिए एक गंभीर चुनौती'' है।

संसद की साख और आचार समिति का काम

धनखड़ ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि लंबे समय तक संसद में आचार समिति का अभाव रहा, लेकिन 1990 के दशक के अंत में पहली बार राज्यसभा में आचार समिति का गठन हुआ। उन्होंने बताया कि यह समिति अब सक्रिय रूप से काम कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी अफसोस जताया कि राज्यसभा के सदस्य बड़े अनुभव और साख के बावजूद, जब कदम उठाने की बात आती है तो अक्सर उन्हें अन्य द्वारा निर्देशित किया जाता है। उनका यह बयान परोक्ष रूप से सांसदों द्वारा सदन में उठाए गए मुद्दों पर पार्टी लाइन का पालन करने को लेकर था।

हंगामे पर सांसदों का रुख

धनखड़ ने पहले भी कहा था कि अधिकांश सांसद हंगामे के खिलाफ हैं, लेकिन वे सदन में व्यवधान पैदा करते हैं, क्योंकि उनकी पार्टी उन्हें ऐसा करने के लिए कहती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि पार्टी राजनीति का प्रभाव संसद के कामकाज पर भी पड़ रहा है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि सदन की कार्यवाही में यह एक तरह की ‘‘नैतिक विफलता'' है, जिसका परिणाम समाज में गलत संदेश भेजता है।

राज्यसभा में 500 रुपये के नोटों की गड्डी की बरामदगी और इस पर कोई दावा न करने की घटना ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह बयान यह स्पष्ट करता है कि यह सिर्फ एक साधारण घटना नहीं थी, बल्कि यह हमारे नैतिक मानदंडों और संसद के कार्यों पर एक गंभीर सवाल खड़ा करती है। अब यह देखना होगा कि इस मुद्दे पर और क्या कदम उठाए जाएंगे और संसद में सुधार की दिशा में क्या बदलाव किए जाएंगे।

 

 

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