Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 14 Feb, 2025 05:03 PM
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा कि किसी पत्नी का अपने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के प्रति प्रेम और स्नेह व्यभिचार नहीं माना जाएगा, जब तक कि इसमें शारीरिक संबंध न हों। इस फैसले ने एक...
नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण और दिलचस्प फैसला सुनाया है, जिसमें उसने कहा कि किसी पत्नी का अपने पति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के प्रति प्रेम और स्नेह व्यभिचार ( विवाहित व्यक्ति का अपने जीवनसाथी के अलावा किसी और व्यक्ति के साथ यौन संबंध होना) नहीं माना जाएगा, जब तक कि इसमें शारीरिक संबंध न हों। इस फैसले ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि क्या केवल भावनात्मक संबंध रखना, बिना शारीरिक संबंध के, गलत है? कोर्ट ने इस पर अपनी राय दी है, जो न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि समाज में भी एक बहस का कारण बन सकता है।
हाई कोर्ट का फैसला
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि एक पत्नी का अपने पति के अलावा किसी अन्य पुरुष के प्रति प्रेम और स्नेह तब तक व्यभिचार नहीं माना जाएगा, जब तक कि वह उस व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध में न हो। कोर्ट ने इस मामले में पति की याचिका को खारिज किया, जिसमें उसने अपनी पत्नी के दूसरे पुरुष के प्रति प्रेम को लेकर दावा किया था कि वह गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।
पति की याचिका और कोर्ट का जवाब
इस मामले में, पति ने यह दावा किया था कि उसकी पत्नी किसी और से प्रेम करती है और इसलिए उसे भरण-पोषण की राशि नहीं मिलनी चाहिए। छिंदवाड़ा के निवासी पति ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि पत्नी ससुराल छोड़कर मायके चली गई और किसी दूसरे पुरुष से बात करती है, जिससे उसका भरण-पोषण करना ठीक नहीं है। हालांकि, हाई कोर्ट ने उसकी इस दलील को नकारते हुए साफ कहा कि पत्नी का किसी अन्य पुरुष से प्रेम करना, तब तक व्यभिचार नहीं माना जा सकता, जब तक शारीरिक संबंध न हों।
कोर्ट का अहम संदेश
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को भी बरकरार रखा, जिसमें पत्नी को 4000 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि पति को हर हाल में पत्नी का भरण-पोषण करना पड़ेगा और इसे टाला नहीं जा सकता। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि पति की आय कम है, तो भी यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह अपनी पत्नी का भरण-पोषण करे। हाई कोर्ट ने इस फैसले में यह संदेश भी दिया कि यदि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर कम आय वाले व्यक्ति से विवाह किया है, तो यह उसकी निजी जिम्मेदारी है। हालांकि, यह भी कहा कि यदि पति शारीरिक रूप से सक्षम है, तो उसे अपनी पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए कमाना होगा और यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है।