Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 20 Feb, 2025 01:30 PM
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20 फरवरी 2025 को प्रवेश वर्मा ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली। इस शपथ के साथ ही दिल्ली के राजनीतिक हलकों में एक नया बदलाव आया है, क्योंकि पहले माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा को उपमुख्यमंत्री के...
नेशनल डेस्क: 20 फरवरी 2025 को प्रवेश वर्मा ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली। इस शपथ के साथ ही दिल्ली के राजनीतिक हलकों में एक नया बदलाव आया है, क्योंकि पहले माना जा रहा था कि प्रवेश वर्मा को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई जाएगी। लेकिन अचानक ही उनका नाम मंत्री पद के लिए सामने आया। यह कदम बीजेपी के लिए एक बड़ा निर्णय था, खासकर तब जब दिल्ली की सियासत में प्रवेश वर्मा का खासा प्रभाव है।
प्रवेश वर्मा का राजनीतिक सफर
प्रवेश वर्मा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक प्रमुख नेता हैं और दिल्ली की सियासत में उनका बड़ा नाम है। वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं, जिससे उनके राजनीतिक रिश्ते और प्रभाव काफी मजबूत हैं। उनका जन्म 7 नवंबर 1977 को हुआ था और दिल्ली के दिल्ली पब्लिक स्कूल आर.के. पुरम से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने किरोड़ी मल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए किया। इसके बाद उन्होंने फोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। प्रवेश वर्मा की सियासी यात्रा 2013 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में महरौली सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद, 2014 में उन्होंने वेस्ट दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीता और 2019 में भी भारी मतों से जीत दर्ज की। 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन्होंने न्यू दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को 4,089 वोटों से हराकर एक बड़ा राजनीतिक झटका दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी से गहरा जुड़ाव
प्रवेश वर्मा का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी से गहरा संबंध है। वह हमेशा अपने तीखे बयानों और संगठनात्मक कौशल के लिए जाने जाते रहे हैं। उनकी राजनीतिक शख्सियत में कड़ी मेहनत, संगठन में गहरी पैठ, और नेतृत्व क्षमता प्रमुख हैं। दिल्ली की सियासत में यह माना जाता है कि प्रवेश वर्मा ने अपने राजनीतिक जीवन में भाजपा को एक मजबूत और प्रभावशाली नेता के रूप में साबित किया है।
मंत्री पद के लिए शपथ उपमुख्यमंत्री की उम्मीदें क्यों टूटीं?
अब जबकि रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया है और प्रवेश वर्मा ने मंत्री पद की शपथ ली, तो सवाल उठता है कि आखिर क्यों उनके उपमुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं टूट गईं? कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी ने यह निर्णय परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए लिया। प्रवेश वर्मा के पिता साहिब सिंह वर्मा भी पूर्व मुख्यमंत्री रहे थे, और अगर उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाता, तो बीजेपी पर परिवारवाद का आरोप लग सकता था, जो पार्टी के लिए ठीक नहीं होता।