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निर्धारित समय पर भोजन न करने से बढ़ सकता है मोटापा और मधुमेह का जोखिम: नए अध्ययन से हुआ खुलासा

Edited By Mahima,Updated: 14 Jan, 2025 02:10 PM

not eating on time can increase the risk of obesity and diabetes

University of Pennsylvania के अध्ययन से पता चला है कि भोजन का समय बदलने से मोटापा और मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। लिवर की बायोलॉजिकल क्लॉक और एक विशेष जीन के कारण यह समस्या उत्पन्न होती है। शिफ्ट में काम करने वाले या यात्रा करने वाले लोगों को अपने...

नेशनल डेस्क: समय पर भोजन न करने की आदत स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है। University of Pennsylvania के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में यह सामने आया है कि भोजन के समय में असमानता और समय पर भोजन न करने से मोटापा और मधुमेह जैसे गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ सकता है। खासकर वे लोग जो शिफ्ट ड्यूटी करते हैं या बार-बार यात्रा करते हैं, उनकी आदतें शरीर की प्राकृतिक घड़ी से मेल नहीं खातीं, जो उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि लिवर और मस्तिष्क की भूमिका इस समस्या में अहम है। लिवर का अपना बायोलॉजिकल क्लॉक होता है, जो भूख लगने पर दिमाग को संकेत भेजता है कि भोजन का समय आ गया है। अगर इस समय पर भोजन नहीं किया जाता, तो यह मेटाबॉलिज्म में रुकावट पैदा करता है, जिससे शरीर में वजन बढ़ने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। 

लिवर में मौजूद खास जीन पर शोध
इस अध्ययन के परिणामों को साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया कि लिवर में एक खास जीन, जिसे "आर.ई.वी.-ई.आर.बी." कहा जाता है, शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को नियंत्रित करता है। जब यह जीन ठीक से काम नहीं करता, तो लिवर की घड़ी बिगड़ जाती है और मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर पड़ता है। लिवर में मौजूद यह जीन शरीर के अन्य अंगों से भी जुड़े होते हैं और शरीर के अन्य कार्यों को प्रभावित करते हैं।इस शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों पर प्रयोग किया, जिनके लिवर में इस जीन को निष्क्रिय कर दिया गया। परिणामस्वरूप, चूहे अपनी सामान्य आदत से अधिक खाना खाने लगे। यही प्रभाव शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में भी देखा गया है, जो रातों को जागकर दिन में सोते हैं और उनका भोजन समय सामान्य से भिन्न होता है। इससे उनकी बॉडी क्लॉक में गड़बड़ी आ जाती है, जिससे वजन बढ़ने और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ता है। 

बॉडी क्लॉक और भोजन का संबंध
बॉडी क्लॉक, जो शरीर की आंतरिक घड़ी है, सोने, जागने और भोजन करने के समय को नियंत्रित करती है। यदि इस घड़ी में कोई गड़बड़ी आती है, तो इसका असर शरीर के समग्र स्वास्थ्य पर पड़ता है। शिफ्ट में काम करने वाले लोग अक्सर शरीर की इस आंतरिक घड़ी के अनुसार अपना भोजन समय नहीं तय कर पाते, जिससे उनका मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है। अध्ययन के मुताबिक, जब लोग निर्धारित समय पर भोजन नहीं करते, तो उनकी भूख के संकेतों और शरीर के अन्य बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं में असंतुलन हो जाता है। 

क्या किया जा सकता है?
इस अध्ययन से यह स्पष्ट है कि भोजन के समय का ध्यान रखना आवश्यक है, खासकर उन लोगों के लिए जो शिफ्ट ड्यूटी करते हैं या जिनका जीवन रूटीन असामान्य है। शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को अपनी बॉडी क्लॉक को ठीक से काम करने के लिए अपने भोजन के समय को नियमित रखना चाहिए। इसके साथ ही, समय पर भोजन करने से मेटाबोलिज्म ठीक रहता है और मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों से बचाव हो सकता है।विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर भोजन करने से न केवल शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक दुरुस्त रहती है, बल्कि यह अन्य गंभीर बीमारियों से भी बचाव करता है। शिफ्ट काम करने वाले लोगों को अपने भोजन के समय पर खास ध्यान देना चाहिए, ताकि वे शरीर के स्वास्थ्य से समझौता किए बिना अपने काम को सही तरीके से कर सकें।

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