Edited By Mahima,Updated: 11 Nov, 2024 12:46 PM
इराक की सरकार लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 साल से घटाकर 9 साल करने का प्रस्ताव लाने जा रही है। इस बदलाव के तहत महिलाओं को तलाक, बच्चों की देखभाल और संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकार नहीं मिलेगा। यह संशोधन इस्लामी शरिया कानून के आधार पर है, और...
नेशनल डेस्क: इराक की सरकार एक विवादास्पद और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जिसके तहत देश में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 साल से घटाकर 9 साल कर दिया जाएगा। अगर यह कानून पास हो जाता है, तो इराक में पुरुषों को 9 साल की लड़कियों से शादी करने की अनुमति मिल जाएगी। यह प्रस्ताव इराक के पर्सनल स्टेट्स लॉ (व्यक्तिगत कानूनी कानून) में संशोधन करने के तहत पेश किया गया है, जो मुख्य रूप से शिया मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इस बदलाव के साथ-साथ महिलाओं को तलाक, बच्चों की देखभाल और संपत्ति में हिस्से का अधिकार भी छीनने का प्रस्ताव है, जो इराकी समाज में महिलाओं के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर सकता है। यह कदम इराक की संसद में शिया मुस्लिम दलों के एक गठबंधन द्वारा लाया गया है, और इस पर जल्द ही मतदान हो सकता है।
कानूनी उम्र घटाने के साथ अन्य अधिकारों में भी परिवर्तन
प्रस्तावित संशोधन का एक प्रमुख हिस्सा यह है कि 18 साल की उम्र से पहले लड़कियों की शादी की अनुमति दी जाएगी, जिसे 9 साल की उम्र तक घटाने का प्रस्ताव है। यह कदम मुस्लिम शरिया कानून की सख्त व्याख्या के आधार पर उठाया गया है, जो कहता है कि एक लड़की शारीरिक रूप से शादी के लिए तैयार होती है जब वह यौवन को प्राप्त करती है। इसके अलावा, नए कानून के तहत महिलाओं को तलाक का अधिकार नहीं मिलेगा, यानी महिलाएं यदि अपने पति से परेशान हैं या उनके साथ हिंसा हो रही है, तो वे तलाक नहीं ले सकेंगी। इसके साथ ही, बच्चों की देखभाल और संरक्षण के अधिकार भी महिलाओं से छीन लिए जाएंगे, और वे संपत्ति में हिस्सेदारी से भी वंचित हो जाएंगी। इस संशोधन के बाद, महिलाओं के पास कई मौलिक अधिकारों की कमी हो जाएगी, जो पहले उन्हें कानून के तहत प्राप्त थे।
कानून के पीछे धार्मिक तर्क और सत्तारूढ़ गठबंधन का पक्ष
सत्तारूढ़ गठबंधन, जिसमें प्रमुख रूप से शिया मुस्लिम दल शामिल हैं, का कहना है कि यह संशोधन इस्लामी शरिया कानून की सख्त व्याख्या के अनुरूप है। उनका मानना है कि इस कदम का उद्देश्य युवतियों को "अनैतिक संबंधों" से बचाना है। उनका कहना है कि युवा लड़कियां यदि जल्दी शादी करती हैं, तो वे असामाजिक या अनैतिक गतिविधियों से बच सकती हैं, और यह समाज के लिए फायदेमंद होगा। इन्हीं धार्मिक दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए, इराकी संसद ने पहले ही पर्सनल स्टेट्स लॉ के कुछ हिस्सों में संशोधन करने का निर्णय लिया है। 16 सितंबर, 2024 को इस संशोधन का दूसरा भाग पारित हो चुका था, जिससे इस विवादास्पद मुद्दे पर कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ी है।
पुराना कानून: महिलाओं के अधिकारों का संरक्षक
यह कानून पहले, 1959 में इराकी प्रधानमंत्री अब्दुल करीम कासिम द्वारा पेश किया गया था, और उस समय इसे मध्य पूर्व के सबसे प्रगतिशील और महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण वाले कानूनों में से एक माना गया था। उस समय, इराक ने महिलाओं के अधिकारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुधार किए थे। उदाहरण के लिए, कासिम सरकार ने लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र को 18 साल तय किया था और महिलाओं को तलाक, बच्चों की देखभाल और संपत्ति में हिस्सेदारी का अधिकार दिया था। यह एक प्रमुख कदम था जो महिलाओं को समाज में समान अधिकारों का समर्थक था। कासिम के समय का यह कानून महिलाओं के लिए एक आशा की किरण था, लेकिन अब, धार्मिक समूहों द्वारा इस कानून में बदलाव की कोशिश की जा रही है, जो महिलाओं के अधिकारों को सीमित कर सकता है।
विफल हो चुके बदलाव और महिलाओं का विरोध
यह पहली बार नहीं है जब इराक में पर्सनल स्टेट्स लॉ में बदलाव की कोशिश की गई है। 2014 और 2017 में भी शिया मुस्लिम दलों ने इस कानून में बदलाव करने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों बार इसे महिलाओं के विरोध और समाज में व्यापक असहमति के कारण रद्द कर दिया गया था। इराकी महिलाओं ने विरोध जताया था कि इस तरह के बदलाव उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं और इससे उनका जीवन और अधिक असुरक्षित हो सकता है। इस बार भी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कई संगठन सामने आए हैं, जो इस प्रस्तावित संशोधन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम इराकी समाज को पीछे की ओर ले जाएगा और महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर देगा।
सत्तारूढ़ गठबंधन का तर्क और धर्म आधारित दृष्टिकोण
सत्तारूढ़ शिया गठबंधन का कहना है कि यह कदम समाज में नैतिकता और अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उनका कहना है कि छोटी उम्र में शादी करने से लड़कियां शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व हो जाती हैं, और इस कदम से समाज में व्याप्त कई तरह की समस्याओं को रोका जा सकता है। शिया धार्मिक नेताओं का मानना है कि शरिया कानून के तहत यह कदम पूरी तरह से उचित है और इससे समाज की संरचना को सुदृढ़ किया जा सकता है।
महिलाओं का विरोध और अंतरराष्ट्रीय चिंताएँ
इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप्स और मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रस्तावित बदलाव को महिलाओं के अधिकारों पर हमला और उनके मौलिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के रूप में देखा है। उनका कहना है कि इस कानून से इराकी समाज में महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ सकती है, और यह महिलाओं को घर के भीतर कैद करने का एक प्रयास हो सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस बदलाव के खिलाफ आवाज उठाई है और इराकी सरकार से अपील की है कि वे इस कानून में बदलाव की प्रक्रिया को रोकें।
आखिरकार क्या होगा?
इराकी संसद में इस संशोधन पर मतदान किया जाएगा, और यह तय होगा कि क्या इस नए कानून को पारित किया जाएगा। अगर यह कानून पास हो जाता है, तो यह इराक में महिलाओं के अधिकारों को पीछे की ओर ले जाएगा और समाज में एक बड़े बदलाव का कारण बनेगा। वहीं, यदि महिलाएं और उनके समर्थक इस बदलाव का विरोध करने में सफल रहते हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक जीत हो सकती है, जो महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेगी।
इस्तांबुल और मध्य पूर्व के अन्य देशों में महिलाओं के अधिकारों पर जारी बहस अब इराक में एक नई दिशा में बढ़ रही है। पर्सनल स्टेट्स लॉ में प्रस्तावित संशोधन इराकी समाज और राजनीति को एक नए मोड़ पर ले जा सकता है, जिसमें महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और धार्मिक कानूनों के बीच संघर्ष होगा। यह मामला न केवल इराक, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण हो सकता है कि कैसे एक समाज अपनी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।